औहर-भंजवाणी ऐतिहासिक पुल के लिए सीआईआरएफ के तहत 103 करोड मंजूर खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री राजेंद्र गर्ग ने किया ऐलान

The News Warrior
0 0
Spread the love
Read Time:4 Minute, 37 Second

 

 

THE  NEWS WARRIOR
17 /08 /2022

ऐतिहासिक औहर-भजवाणी पुल के डूबने के कारण पिछले काफी वर्षो से फिर वहीं पुल बनाने को मांग

बिलासपुर:

एशिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित गोविंदसागर झील के निर्माण के साथ ही ऐतिहासिक औहर-भजवाणी पुल के डूबने के कारण पिछले काफी वर्षो से फिर वहीं पुल बनाने को मांग उठ रही थी । उल्लेखनीय है कि उस समय की बिलासपुर व घुमारवीं तहसीलों को जोड़ने वाला यह पुल आजादी के बाद 60 के दशक में गोविंद सागर झील में जलमग्न हो गया था पुल राजाओं के समय इसी पुल से वाहन गुजरते थे ।

103 , 31 करोड की धनराशि हुई मंजूर

बिलासपुर के ऐतिहासिक एवं सदर बिलासपुर , घुमारवीं व झंडूता विस क्षेत्र को आपस में जोडने वाले भंजवाणी पुल निर्माण के लिए केंद्र सरकार द्धारा सीआईआरएफ के तहत 103 , 31 करोड की धनराशि मंजूर हुई है।जिससे अब इस पुल के निर्माण की उम्मीद फिर से जगी है। इस पुल के निमार्ण से जहां सदर बिलासपुर , घुमारवीं व झंडूता विस क्षेत्र को आपस में जुडेंगे । वहीं इससे इन क्षेत्रों के विकास की नई संभावनाएं भी उभरेगी। बल्कि आने वाले वर्षो में बदलाव भी आएगा। इस पुल का निर्माण कार्य माह के भीतर शुरू हो जाएगा। यहां पर पत्रकारों को संबोधित करते हुए खाद्य आपूर्ति मंत्री राजेद्र गर्ग ने कहा कि उन्होंने इस पुल से जुडे मुददे को भाजपा राष्टरीय अध्यक्ष जेपी नडडा व मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के समक्ष प्रमुखता से उठाया था। क्योंकि पिछले काफी समय से भंजवाणी पुल की मांग विभिन्न सामाजिक संगठनों द्धारा उठाई जा रही थी।

कंदरौर पुल भी 57 वर्ष पुराना

इस पुल के निर्मित हो जाने से तीनों विस क्षेत्रों की लगभग दो लाख की आबादी को लाभ मिलेगा। वही यह पुल कंदरौर पुल के भार को भी कम करेगा। क्योकि कंदरौर पुल भी 57 वर्ष पुराना हो चुका है। जिस कारण आने वाले समय में भंजवाणी पुल को विकल्प के तौर भी प्रयोग किया जा सकेगा। वहीं यह पुल नेरचौक कीरतपुर फोरलेन से भी जुडेगा।

गोविंद सागर झील बनने  से  पुल हो गया था जलमग्न

गौरतलब है कि वर्ष 1960 से पहले सतलुज नदी पर तरेड गांव के पास व सामने स्थित ग्राम पंचायत औहर के भंजवाणी के कस्बे के पास राजाओं द्धारा आर पार जाने के लिए लकडी का बडा पुल डाला गया। जिस पर बसें व अन्य वाहन भी गुजरते थे। लेकिन 1960 के दशक में सतलुज नदी पर गोविंद सागर झील बन जाने से यह पुल जलमग्न हो गया था। बताया जाता है कि वर्ष 24 फरवरी 1948 को पंजाब सरकार व बिलासपुर के राजा के बीच पुल बनाने को लेकर एक सहमति भी हुई थी। गर्ग ने बताया कि यह पुल 301 मीटर लंबा होगा । जिस पर 43 -43 मीटर के सात स्पैन बनेंगे। उन्होंने इस पुल की धन राशि मंजूर करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा राष्टरीय अध्यक्ष जेपी नडडा, भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर तथा मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के प्रति आभार जताया है

 

 

 

 

यह भी पढ़े:

हिमाचल: कांग्रेस के 2 विधायक बीजेपी में शामिल, CM ने दिल्ली में दिलाई भाजपा की सदस्यता

 

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

युवकों के सीर खड्ड में डूबने की आशंका, दोयुवकों की तलाश जारी

Spread the love  THE NEWS WARRIOR 17 /08 /2022 झंडूता पुलिस थाना के तहत दो युवकों के सीर खड्ड में डूबने की आशंका बिलासपुर: हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में झंडूता पुलिस थाना के तहत दो युवकों के सीर खड्ड में डूबने की आशंका जताई जा रही है। घटना की […]

You May Like