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11 फरवरी 2023
शिमला : पूर्व भाजपा सरकार के कार्यकाल में चुनावी वर्ष में खोले गए 23 डिग्री कालेजों में से 18 फेल होने वाले हैं। सिर्फ पांच डिग्री कालेज ही मापदंडों के मुताबिक पास हो रहे हैं। अन्य डिग्री कालेजों को सरकार यदि बंद न भी करे, तो ये स्टूडेंट्स के बिना अपने आप ही बंद हो जाएंगे। शिक्षा विभाग ने नए डिग्री कालेजों पर पूरी रिपोर्ट बना दी है और दिल्ली से लौटने के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू इस पर फैसला लेंगे।
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इन कॉलेजों में ज़ीरो एडमिशन
भाजपा सरकार के दौरान अप्रैल 2022 से चुनाव आचार संहिता तक कुल 23 डिग्री कालेज खुले थे। हैरानी की बात यह है कि इनमें से पांच डिग्री कालेजों में जीरो एडमिशन है। यानी इनमें एक भी स्टूडेंट एडमिट नहीं हुआ है। इनमें हमीरपुर जिला का लंबलू डिग्री कालेज, मंडी जिला का पांगणा डिग्री कालेज, शिमला जिला का जलोग डिग्री कालेज, सोलन जिला का चंडी डिग्री कालेज और रामपुर के पास खोला गया सिंगला डिग्री कालेज शामिल हैं।
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बाकी डिग्री कालेजों की बात करें, तो बालसिन्हा में 20 छात्र हैं, तो गलोड़ में 10, पंडोह में 21, ममलीग में 5, नूरपुर के बरांडा में 6, सतौन में 11, सोलन के बरुणा में 35, स्वारघाट में 20, चंबा के मसरुंड में 28, कोटला में 1, चढिय़ार में 12, बागाचनौगी में 3 और जगतसुख में 4 छात्रों ने एडमिशन ली है। नई सरकार की ओर से बनाई गई रिपोर्ट के मुताबिक इन डिग्री कालेजों को वर्तमान मापदंडों पर भी परखा गया था। इसके अनुसार दूसरे डिग्री कालेज से 25 किलोमीटर की दूरी और एडमिशन को आधार बनाया गया था। इन मापदंडों के अनुसार सिर्फ पांच कालेज ही पास हो रहे हैं।
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यह कॉलेज मापदंडों के मुताबिक
इनमें चंबा का बनीखेत डिग्री कालेज, शाहपुर विधानसभा क्षेत्र का रिडक़मार कालेज, सिराज विधानसभा क्षेत्र का छतरी डिग्री कालेज, सिरमौर जिला में नोहराधार डिग्री कालेज और चौपाल विधानसभा क्षेत्र का कुपवी डिग्री कालेज शामिल हैं। इन सभी में एडमिशन भी अच्छी हुई है। बनीखेत में 188, रिडक़मार में 61, छतरी में 60, नोहराधार में 77 और कुपवी में 86 बच्चे एडमिशन ले चुके हैं। इन डिग्री कालेजों को सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार जारी रख सकती है।
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मुख्यमंत्री के लौटने पर होगा फैसला
अब यदि सरकार मापदंडों के अनुसार न पाए जाने वाले करीब 18 डिग्री कालेज बंद होते हैं, तो स्टाफ का क्या होगा? शॉर्ट स्टे होने की वजह से इस बारे में मुख्यमंत्री ही फैसला लेने को अधिकृत हैं। जिन कालेजों में कम एडमिशन हुई है, वहां के छात्रों को दूसरी जगह शिफ्ट करने को लेकर भी आर्डर पास होंगे, इसीलिए मुख्यमंत्री के लौटने का इंतजार हो रहा है। हिमाचल सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना चाहती है। जो डिग्री कालेज मापदंडों पर सही होगा, वह चलता रहेगा। जिस कालेज में एडमिशन ही नहीं होगी, उसका स्टाफ और संसाधन कहीं और प्रयोग होंगे। संभावना है कि कैबिनेट में इस बारे में चर्चा हो सकती है ।