THE NEWS WARRIOR
04 /08 /2022
सोलन जिले के नौणी में बागवानी एवं बानिकी विश्वविद्यालय डॉ. यशवंत सिंह परमार के नाम पर
जन्म दिवस पर विशेष:
डॉ. यशवंत सिंह परमार के नाम पर है जबकि डॉ. परमार के नाम से हिमाचल विश्विद्यालय में एक पीठ की स्थापना हुई हों । डॉ. परमार एक कुशल राजनीतिज्ञ ही नहीं बल्कि उच्च कोटि के वकील, जज व साहित्यकार थे तथा असधारण व्यक्तित्व के स्वामी थे ।
लोक कला एवं लोक साहित्य के रसिक
लोक कला एवं लोक साहित्य के इतने रसिक थे कि व्यस्त होने पर भी सबंधित कार्यक्रम में अंत तक जमें रहते थे । अपने समय में समाज शास्त्र में पीएचडी थे । बताया जाता है कि जब डॉ. परमार ने मुख्यमंत्री पद छोड़ा था तब वे शिमला से बस में बैठकर अपने घर रवाना हुए थे । डॉ. यशवंत सिंह परमार का जन्म 4 अगस्त 1906 को सिरमौर जिले के चनालग गांव में हुआ था ।
11 वर्षों तक सिरमौर रियासत के रहे जज
1928 में बीए आनर्ज करने के बाद उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से एलएलबी की उपाधि ली थी । वे 11 वर्षों तक सिरमौर रियासत के जज रहे । उसके बाद वे सैशन जज भी रहे हैं । उसके बाद वे सुकेत सत्याग्रह में शैमिल हो गए थे । 1929 में वे थियोसोफिकल सोसायटी के सदस्य बने । जबकि 1943 से 1946 तक वे सिररमौर एसोसिएशन के सचिव तथा 1946 में हिल स्टेट कॉउंसिल के प्रधान तथा 1947 में आल इंडिया पीपुल कांफ्रेन्स के सदस्य रहे । डॉ. परमार 1948 से 1952 तक सदस्य सचिव हिमाचल प्रदेश चीफ एडवाइजरी कॉउंसिल रहे ।
कांग्रेस के प्रदेश रहे अध्यक्ष
डॉ. यशवंत सिंह परमार 1952 से 1964 तक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे 1957 से 1963 तक सांसद रहे ।जबकि 1963 से 24 जनवरी 1977 तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे । उनके कार्यकाल को आज भी लोग याद करते हैं ।
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