सीमेंटिंग सॉल्यूशन बचाएगा हिमालयी क्षेत्रों में पहाड़ों को दरकने से

The News Warrior
0 0
Spread the love
Read Time:4 Minute, 50 Second

 

THE NEWS WARRIOR
12/04 /2022

आईआईटी मंडी ने प्राकृतिक संसाधनों से  सीमेंटिंग सॉल्यूशन किया तैयार

पहाड़ों में मिट्टी डालकर किया जा सकेगा मजबूत 

भूमि कटान को रोकने के लिए भी यह सॉल्यूशन बेहतर उपाय 

मंडी:-

 हिमाचल प्रदेश के आईआईटी मंडी ने प्राकृतिक संसाधनों से ऐसा सीमेंटिंग सॉल्यूशन तैयार किया है, जिसे संवेदनशील पहाड़ों में डालकर मिट्टी को मजबूत किया जा सकेगा। भूमि कटान को रोकने के लिए भी यह सॉल्यूशन बेहतर उपाय है।
प्राकृतिक संसाधनों से ऐसा सीमेंटिंग सॉल्यूशन तैयार
बरसात और बर्फबारी के मौसम में हिमालयी क्षेत्रों में दरकते पहाड़ों से होने वाले जानमाल के नुकसान को अब रोका जा सकेगा। हिमाचल प्रदेश के आईआईटी मंडी ने प्राकृतिक संसाधनों से ऐसा सीमेंटिंग सॉल्यूशन तैयार किया है, जिसे संवेदनशील पहाड़ों में डालकर मिट्टी को मजबूत किया जा सकेगा। भूमि कटान को रोकने के लिए भी यह सॉल्यूशन बेहतर उपाय है। खास बात यह है कि इसमें खतरनाक रसायनों का इस्तेमाल नहीं किया गया है। आईआईटी के निदेशक प्रो. लक्ष्मीधर बैहरा के मुताबिक पूरी दुनिया में मिट्टी के स्थिरीकरण की पर्यावरण अनुकूल और स्थायी तकनीक माइक्रोबियल इंड्यूस्ड कैल्साइट प्रेसिपिटेशन (एमआईसीपी) पर परीक्षण हो रहे हैं।

आईआईटी मंडी की शोधकर्ता टीम के निष्कर्ष

इसमें बैक्टीरिया का उपयोग कर मिट्टी के सूक्ष्म छिद्रों में कैल्शियम कार्बोनेट (कैल्साइट) बनाया जाता है, जो अलग-अलग कणों को आपस में मजबूती से जोड़ता है। परिणामस्वरूप मिट्टी/जमीन की पकड़ मजबूत होती है। कैल्साइट प्रेसिपिटेशन एफिसियंसी (सीपीई) कई मानकों पर निर्भर करती है। जिनमें सीमेंट सॉल्यूशन का कंसंट्रेशन, कॉलम से होकर प्रवाह की दर, लागू आपूर्ति दर, पोर वॉल्यूम और रेत के कणों के मुख्य गुण शामिल हैं। शोध में सीपीई पर विभिन्न मानकों के प्रभाव जानने की कोशिश की गई है। इसके सकारात्मक परिणाम निकले हैं। आईआईटी मंडी की शोधकर्ता टीम के निष्कर्ष हाल ही में जियो टेक्निकल एंड जियो इन्वायरनमेंटल इंजीनियरिंग ऑफ अमेरिकन सोसायटी ऑफ सिविल इंजीनियर्स जर्नल में प्रकाशित किए गए हैं।

शोधकर्ताओं ने किया दावा  दावा

शोध के प्रमुख आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ बेसिक साइंस के एसोसिएट प्रो. डॉ. कला वेंकट उदय और सह लेखक उनके एमएस स्कॉलर दीपक मोरी हैं। इनका दावा है कि मिट्टी के स्थिरीकरण की स्थायी तकनीक विकसित करने की दिशा में कार्यरत हैं। इसमें बैक्टीरिया एस पाश्चरी का उपयोग कर रहे हैं, जो यूरिया को हाइड्रोलाइज कर कैल्साइट बनाते हैं। इस प्रक्रिया में खतरनाक रसायन इस्तेमाल नहीं होता है और प्राकृतिक संसाधनों का सतत उपयोग भी किया जा सकता है।

बड़े हादसे

13 अगस्त 2017 : पहाड़ दरकने से मंडी के कोटरोपी में हिमाचल पथ परिवहन निगम की चंबा से मनाली आ रही बस मलबे में दफन हो गई थी। इस हादसे में 50 लोगों की जान गई।

26 जुलाई 2021: किन्नौर जिले के बटसेरी में पहाड़ से पर्यटकों के वाहनों पर चट्टानें गिर गई थीं। इस हादसे में नौ सैलानियों की मौत हो गई थी।

10 अगस्त 2021 : किन्नौर के निगलुसरी में पहाड़ी दरकने से परिवहन निगम की बस सहित 6 अन्य वाहन              भूस्खलन की चपेट आ गए थे। इसमें 28 लोगों ने जान चली गई थी। 13 लोगों को रेस्क्यू कर निकाला गया था।

 

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

मल्टी टास्क वर्कर भर्ती: उम्मीदवार13 से 27 अप्रैल तक कर सकेंगे आवेदन, विभाग ने जारी किए निर्देश

Spread the love THE NEWS WARRIOR 12/04/2022 सरकारी स्कूलों में मल्टी टास्क वर्कर भर्ती के लिए शिक्षा विभाग ने कर दी है प्रक्रिया शुरू इच्छुक उम्मीदवार 13 से 27 अप्रैल तक सादे कागज पर कर सकते हैं आवेदन अधिसूचना विभाग की वेबसाइट पर कर दी गई है अपलोड शिमला:- हिमाचल […]

You May Like