मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मुख्य सचिव के खिलाफ भ्रष्टाचार को संरक्षण देने की शिकायत पर रिपोर्ट की तलब

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15/04/2022

मुख्य सचिव के खिलाफ 60 लाख रुपये की गड़बड़ी को दबाने और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाई न करने के मामले की शिकायत पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने की रिपोर्ट तलब

शिवसेना के कार्यकर्ता बृज लाल ने पी.एम.ओ में 8 सितंबर 2021 को की थी शिकायत

शिकायतकर्ता का आरोप,  मुख्य सचिव वन रहते रामसुभग सिंह ने गड़बड़ी मामले को दबाया

शिमला:

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मुख्य सचिव रामसुभग सिंह के खिलाफ अतिरिक्त मुख्य सचिव (वन) रहते भ्रष्टाचार को संरक्षण देने की प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को की गई शिकायत पर रिपोर्ट तलब कर ली है। गुरुवार को मुख्यमंत्री ने खुद इसकी पुष्टि की है। उन्होंने डॉ. भीमराव आंबेडकर जयंती पर शिमला में पत्रकारों के सवाल के जवाब में कहा कि मामले की रिपोर्ट मांगी गई है। जब तक तथ्य सामने नहीं आते, तब तक वह मीडिया से कुछ नहीं कहेंगे।

मुख्य सचिव के खिलाफ शिकायत

सीएस के खिलाफ यह शिकायत एसीएस (वन) रहते नगरोटा सूरियां में इंटरसेप्शन सेंटर के निर्माण में 60 लाख रुपये की गड़बड़ी को दबाने और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाई न करने के मामले में हुई है। सीएम ने कहा कि इस बारे में पीएमओ से चिट्ठी आई है। वहां रूटीन में जो भी शिकायत आती है, उसे आगे राज्य को फारवर्ड किया जाता है और इसे देखने को कहा जाता है।

सीएम ने पत्रकारों के सवालो को टाला

सीएम से पत्रकारों ने जब पूछा, क्या इस बारे में अधिकारियों ने आपको गुमराह किया है। इस पर सीएम ने कहा कि जब तक तथ्य स्पष्ट न हों, तब तक इसमें गुमराह करने वाली बात नहीं है। सीएम ने एक सीमेंट उद्योग में अनियमितताओं से संबंधित एक अन्य शिकायत के भी सामने आने पर किए गए सवाल को टाल दिया।

क्या है मामला?

शिवसेना के कार्यकर्ता बृज लाल ने पीएमओ में यह शिकायत 8 सितंबर 2021 को की थी। इसे 20 सिंतबर 2021 को अवर सचिव वेद ज्योति ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण सचिव को कार्रवाई के लिए भेजा। 13 अक्तूबर 2021 को इसे केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय ने प्रधान सचिव मुख्यमंत्री को उपयुक्त कार्रवाई को भेजा। तबसे लेकर यह शिकायत मुख्यमंत्री कार्यालय में ही पड़ी रही।

अचानक इसका जिन्न सोशल मीडिया पर बाहर निकला है। इसमें घटिया सामग्री का इस्तेमाल होने और इसमें करीब 60 लाख रुपये का गड़बड़झाला करने का आरोप है। शिकायतकर्ता का आरोप है कि एसीएस वन रहते रामसुभग सिंह ने इस मामले को दबाया और उन्होंने भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारियों को बचाया, जबकि प्रधान सचिव सतर्कता ने भी इस बारे में कार्रवाई की संस्तुति की थी।

 

 

 

 

 

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