क्या गरीबी उन्मूलन की सभी योजनाएँ हमें और भी गरीब बनती हैं: प्रवीण शर्मा

0 0
Spread the love
Read Time:4 Minute, 20 Second

क्या गरीबी उन्मूलन की सभी योजनाएँ हमें और भी गरीब बनती हैं: प्रवीण शर्मा

THE NEWS WARRIOR 

28 जनवरी 

वैश्विक तानाशाहों से निडर होकर श्रीमती इंदिरा गांधी ने कहा था कि भारत गरीबों का देश हो सकता है किंतु भारत स्वयं में गरीब नहीं है, क्योंकि श्रीमती इंदिरा गांधी का यह मत था कि भारत के अंदर व्याप्त सभी प्राकृतिक संसाधनों का यदि सही तरह से प्रयोग किया जाये तो मात्र 20 वर्ष के अंदर भारत को विश्व में एक महाशक्ति बनाया जा सकता है !

1971 में पाकिस्तान को तोड़ने के बाद जब श्रीमती इंदिरा गांधी की दूरगामी योजना भारत को महाशक्ति बनाने की आरम्भ हुयी तो इससे घबराकर विश्व के महाशक्तियों ने पंजाब के अंदर सिखों को भड़का कर अलग खालिस्तान की मांग शुरू करवा दी और अंततः उसी खालिस्तान की ओट में श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या करवा दी ! यह सभी कुछ विश्व सत्ता चलाने वालों का प्रायोजित कार्यक्रम था !

इसके बाद अनेक प्रधानमंत्री आये और गये ! सभी ने भारत की गरीबी को मिटाने के लिए गरीबों को तरह-तरह के अव्यवस्थित रोजगार और घर बैठे सस्ते या मुफत का भोजन देने की व्यवस्था की, लेकिन यह सब कुछ भारतीय अर्थव्यवस्था पर अतिरिक्त व अव्यवस्थित बोझ था ! जिसने भारत को कई दशक पीछे धकेल दिया !

आज भी भारत की जनशक्ति का सदुपयोग कर भारत को महाशक्ति बनाने की दिशा में किसी भी राजनीतिक दल द्वारा कोई भी सराहनीय कार्य नहीं किया गया ! बल्कि दुर्भाग्य से एक ओर तो वैश्वीकरण की ओट में भारत के प्राकृतिक संसाधनों को विदेशी कंपनियों (लुटेरों) के हवाले कर दिये जा रहे हैं और दूसरी ओर आज पूरी दुनिया में भारत से शारीरिक और बौद्धिक लेवर सप्लाई की जाने लगी है ! जो भारत की जन पूंजी है ! जिससे भारत की जान शक्ति दूसरे देशों के विकास में लग गयी और आज विश्व के कई देशों की अर्थव्यवस्था भारत के इन्हीं बौद्धिक और शारीरिक लेबरों के दम पर चल रही है !

वर्तमान में भारत की एक से एक लाभ देने वाली कंपनियों का प्राइवेटाइजेशन करके अभी तत्काल में तो वर्तमान में भारतीय कंपनी को ही दिया जा रहा है, लेकिन शीघ्र ही निकट भविष्य में यह भारतीय कंपनियां विदेशी कंपनियों के हवाले कर दी जायेंगी !

यदि आज भी भारत के जल. जंगल. जमीन. नागरिक और संसाधन के मध्य यदि सामंजस्य बिठा दिया जाये तो निश्चित रूप से आज भी भारत में गरीबी उन्मूलन के लिए किसी भी कार्यक्रम को चलाने की कोई आवश्यकता नहीं पड़ेगी !

ऐसी स्थिति में विश्व की महाशक्तियां यह कभी नहीं चाहती हैं कि भारत अपने जन संसाधनों का व्यवस्थित प्रयोग करके उनके सामने चीन की तरह एक चुनौती बन कर खड़ा हो जाये !

दुर्भाग्य से हराम की रोटी खाते खाते अब हमें भी यह सोचने में संकोच लगने लगा है कि हम अपनी जनशक्ति और संसाधनों के दम पर किस तरह से विश्व में महाशक्ति बन सकते हैं !

यह लेखक के स्वतंत्र विचार हैं .

लेखक

प्रवीण शर्मा

बिलासपुर से हैं और सामाजिक मुद्दों पर लिखते हैं .

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

कितनी बिजली खपत करने पर नहीं लगेगा फिक्स्ड चार्जेस और मीटर रेंट - पढ़ें खबर

Spread the love * बिजली बिलों में छूट संबंधी प्रदेश सरकार के निर्णय से लाभान्वित होंगे 11 लाख घरेलू बिजली उपभोक्ता *घरेलू उपभोक्ताओं को मार्च तथा कृषि उपभोक्ताओं को अप्रैल माह से मिलेगा छूट  THE NEWS WARRIOR  शिमला : 29 जनवरी  हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड के एक प्रवक्ता […]
HP Energy Policy

You May Like