अरुणाचल प्रदेश हिमस्खलन में शहीद हुए बिलासपुर जिले के सेऊ गांव के शहीद जवान अंकेश भारद्वाज को पूरे सैन्य व राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। पार्थिव शरीर सुबह लगभग 10 बजे के करीब घर में पहुंचा। घर में आते ही वहां शहीद अंकेश भारद्वाज अमर रहे के नारे लगने लगे
शहद अंकेश की पार्थिव देह के घर पहुंचने से पहले पूरे घर में राष्ट्रीय ध्वज लगाने के साथ-साथ घर को शादी समारोह की तरह सजाया गया था। अंकेश की पार्थिव देह गत शाम को भोटा में थी। वहां से घर के आते समय बिलासपुर सीमा तरघेल पर स्वागत किया गया। युवाओं ने बाइक रैली निकाल कर करीब 300 मीटर तिरंगा यात्रा के साथ भव्य स्वागत किया। घर मे शहीद को नमन करने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे थे। हिंदू रीति रिवाज के अनुसार सभी रस्में पूरी करने के पश्चात बैंड बाजों के साथ शहीद को विदाई दी गई।
घर से राजकीय सम्मान के साथ पार्थिव देह को मुक्तिधाम तक ले जाया गया। जिस मुक्ति धाम पर अंकेश का दाह संस्कार हुआ उसका हाल ही में नवनिर्माण किया गया है। अंकेश भारद्वाज को ही पहली बार इस मुक्तिधाम में पहली चिता जलाई गई है। शहीद की वीर देह के सम्मान में सैंकड़ों लोगों ने उन्हें नमन किया। शहीद की अंतिम यात्रा बैंड बाजे के साथ निकली। शहीद के छोटे भाई ने मुखाग्नि दी। इस दौरान उसने भी सेना में जाने की इच्छा प्रकट की है।
शायद, ही ऐसा नजारा पहले कभी सामने आया हो, जब ग्रामीणों ने मुक्तिधाम को भी दुल्हन की तरह सजाया हो, मानों यहां बारात आ रही हो। ग्राम सुधार समिति सेऊं ने मुक्तिधाम को दुल्हन की तरह सजाने की जिम्मेदारी संभाली थी। पिता के निर्णय के बाद गांव में शादी की तरह घर व आसपास के इलाके को लड़ियो से सजाया गया था।
मां भी बेटे की शहादत पर गर्व महसूस कर रही थी। बोली, बेटा शेर की तरह आया था, शेर की तरह चला गया।
बता दें कि अरुणांचल प्रदेश में बर्फीले तूफान की चपेट में आने से हिमाचल के बिलासपुर जिला के घुमारवीं उपमंडल के सेऊं गांव का अंकेश शहीद हो गया था। शहीद बेटे की पार्थिव देह पांच दिन तक न आने पर शनिवार को पिता का गुस्सा भी फूट पड़ा था।
शनिवार देर शाम ही शहीद की पार्थिव देह भोटा पहुंची थी। दूल्हा बने बेटे को सेल्यूट के साथ अंतिम विदाई देते पिता को देखकर मौजूद जन सैलाब की आंखे नम हो उठी।