उत्तरी भारत के प्रसिद्ध सिद्ध पीठ बाबा बालक नाथ मंदिर को जाने वाले रास्ते पर उस समय भगदड़ मच गई, जब 700 साल पुराना बरगद का पेड़ अचानक गिर गया। पेड़ के जड़ों की उड़ती आवाज को सुनकर दुकानदार दुकानें छोड़कर भाग निकले। भारी भरकम पेड़ जैसे ही दुकानों पर गिरा, तो चार दुकानें पूरी तरह से ध्वस्त हो गई। वहीं ,साथ लगती करीब आधा दर्जन दुकानों को आंशिक रूप से नुकसान पहुंचा है। बरगद का यह पेड़ माता के मंदिर के लैंटल पर आकर रुका। गनीमत रही कि इस भयानक हादसे में कोई जानी नुकसान नहीं हुआ है लेकिन दुकानें ध्वस्त होकर क्षति ग्रस्त होने से करीब 25 लाख के नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है। शुक्रवार के दिन श्रद्धालुओं की आवाजाही कम होने के चलते यहां बड़ा हादसा बाल-बाल टल गया। यदि यहां से श्रद्धालु गुजर रहे होते तो बड़ा हादसा पेश आ सकता था।
प्राप्त जानकारी के अनुसार बाबा बालक नाथ मंदिर की तरफ निचले गेट से जाने वाली सीढिय़ों के रास्ते पर ही यह प्राचीन बरगद का पेड़ था। पेड़ करीब 700 साल पुराना होने के चलते काफी बड़ा तथा भारी-भरकम हो गया था। शुक्रवार शाम करीब 5:30 बजे अचानक इसकी जड़ों की उखडऩे की आवाज सुनाई देने लगी। इसकी जड़ें उखाडऩे की आवाज सुनकर दुकानदारों के होश फाख्ता हो गए तथा सभी दुकानों से बाहर निकल कर भाग गए। कुछ ही देर में यह भारी-भरकम वटवृक्ष दुकानों पर आ गिरा और दुकानें ताश के पत्तों की तरह बिखर गई। जहां चार दुकानें पूरी तरह से ध्वस्त हो गई हैं वहीं करीब आधा दर्जन दुकानों को आंशिक रूप से नुकसान पहुंचा है। यदि माता मंदिर का लेंटर इस भारी-भरकम पेड़ को नहीं रोकता तो और दुकानें इसकी चपेट में आ सकती थी। वही इस बारे में व्यापार मंडल दियोटसिद्ध के प्रधान संजय कुमार का कहना है कि हादसा शुक्रवार शाम करीब 5:30 बजे हुआ है। हादसे में चार दुकानें पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है जबकि कई दुकानों को नुकसान पहुंचा है। हादसे में करीब 2500000 रुपए के नुकसान का अनुमान है। उन्होंने बताया कि हादसे में कोई जानी नुकसान नहीं हुआ है यदि श्रद्धालुओं की आवाजाही होती तो बड़ी दुर्घटना से इनकार नहीं किया जा सकता था। उन्होंने बताया कि इस बारे में प्रशासन को भी अवगत करवा दिया गया है। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि पीडि़त दुकानदारों की यथासंभव सहायता की जाए।