हिमाचल में दो घंटे की पेनडाउन हड़ताल, स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ा बुरा असर

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हिमाचल में डाक्टरों की दो घंटे की हड़ताल  से गुरुवार को स्वास्थ्य सेवाओं पर बुरा असर पड़ा है। अस्पतालों में मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। खासकर सुबह 11:30 बजे तक मरीज ओपीडी के बाहर डाक्टरों का इंतजार करते रहे, लेकिन डाक्टर नहीं आए, क्योंकि हिमाचल प्रदेश मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन ने पंजाब की तर्ज पर पे-कमीशन के लाभ न मिलने पर हड़ताल शुरू कर दी है। हिमाचल सरकार ने अपने सभी कर्मचारियों को 1-1-2016 से छठे वेतनमान के लाभ देने की घोषणा कर रखी है। प्रदेश में 1978 से ही पंजाब पे-स्केल को लागू किया जा रहा है। इसलिए मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन भी पंजाब की तर्ज पर नए वेतनमान के लाभ के लिए अड़ गई है। इसे लेकर एसोसिएशन द्वारा बीते सप्ताह ही राज्य सरकार को नोटिस दिया गया। यदि सरकार इनकी मांग पूरी नहीं करती है तो आने वाले दिनों में मेडिकल ऑफिसर फुल स्ट्राइक पर जा सकते हैं। मेडिकल ऑफिसर संघ के प्रदेशाध्यक्ष दीपक कैंथला ने बताया कि उनकी यह हड़ताल आने वाले सात दिनों तक जारी रहेगी। उनका दावा है कि मुख्यमंत्री से बार बार मिलने के बाद भी उनकी मांगे पूरी नहीं हुई है। सात दिनों में अगर उनकी मांगों पर सरकार की ओर से गौर नहीं किया जाता है, तो फिर संघ आगामी रणनीति तैयार करेगा।

आईजीएमसी अस्पताल, रिपन व केएनएच में भी डाक्टर दो घंटे की हड़ताल पर रहे। सुबह साढ़े नौ बजे शुरू हुई हड़ताल में चिकित्सक ओपीडी में नहीं बैठे। हालांकि मरीजों को पंजीकरण करने पर्ची बनाने का काम चलता रहा। ऐसे में क्षेत्रीय चिकित्सालय में 11 बजे तक 200 के करीब मरीज अपना पंजीकरण करवा चुके थे। कुछ मरीज ओपीडी के बाहर बैठकर डाक्टर का इंतजार करते रहे, तो कुछ मरीज व तीमारदार धूप में आकर बैठ गए। डाक्टर भी ओपीडी में न बैठकर खिली धूप में ही खड़े रहे। ऐसे में साढ़े नौ बजे से लेकर साढ़े 11 बजे तक चिकित्सकों ने हड़ताल जारी रखी। हड़ताल के कारण ज्यादातर उन लोगों को परेशानी हुई जो अपने बच्चे को उपचार के लिए डाक्टर के पास लेकर आए थे, पर्ची भी बन गई, पर डाक्टर ही सीट पर नहीं बैठे। एक महिला ने बताया कि वह अपने बच्चे को दिखाने के लिए यहां आई हैं, लेकिन हड़ताल के कारण कुछ देर तक इंतजार करना पड़ा।

प्रदेश अध्यक्ष डा. दीपक कैंथला ने आरोप लगाया है कि प्रदेश सरकार से बार-बार पिछले एक महीने से आग्रह करने के बाद और निजी तौर पर मांग पत्र मुख्यमंत्री को सौंपने के बाद भी सरकार चिकित्सकों के प्रति बिल्कुल भी गंभीर नहीं है। वेतन विसंगतियों के लिए जब सरकार ने प्रदेश के अन्य कर्मचारी संघों को बैठक के लिए बुलाया तब भी प्रदेश के सभी चिकित्सक संघों को दरकिनार किया गया। सभी चिकित्सकों ने एकमत से फैसला लिया कि अगर इस दौरान भी सरकार उचित मांगों की तरफ ध्यान नहीं देती है, तो इस संघर्ष को और तेज किया जाएगा और संपूर्ण हड़ताल की जाएगी। उन्होंने कहा कि मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन नॉन प्रेक्टिव अलाउंस को बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। सरकार ने एनपीए जो पहले 25 फीसदी था, अब उसे घटाकर 20 फीसदी कर दिया है। इसके अलावा मेडिकल ऑफिसर को 4-9-14 का लाभ नहीं मिल रहा है। जब तक इसे बढ़ाया नहीं जाएगा तक तक स्ट्राइक जारी रहेगी।

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