महिलाओ के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनी है कुल्लू की कंचन

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15 /2 /2022 
कुल्लू
महिलाए किसी भी क्षेत्र में पुरषो से पीछे नहीं है ऐसा ही एक मामला के कुल्लू में देखने को मिला है ।  कुल्लू के नग्गर खंड के सेउगी गांव की कंचन दूसरी महिलाओं के प्रेरणा बन गई हैं। परिवार की जिम्मेदारी के साथ कंचन खेतीबाड़ी भी अकेले ही संभाल रही हैं। वह अपनी छह बीघा जमीन से सीजन के दौरान डेढ़ से दो लाख रुपये कमा रही हैं। कंचन ने प्राकृतिक खेती की है। कंचन ने बताया कि शुरूआत में उन्हें कई दिक्कतें आई, लेकिन खेती करने के लिए हौसला बनाए रखा। पावल टिल्लर से हल चलाकर खेतों को कृषि योग्य बनाया। प्राकृतिक खेती की पहली जानकारी उन्हें 2019 में ब्लॉक स्तर के अधिकारियों से मिली। इसके बाद पालमपुर से प्रशिक्षण लेकर अपने गार्डन में मटर लगाया। जीवामृत, घनजीवामृत और अन्य आदानों के प्रयोग से मटर की अच्छी फसल मिली। कंचन अब मटर, टमाटर, मक्की, राजमाह और शिमला मिर्च की खेती कर रही हैं।

सेब और जापानी फल के 200 पौधे लगाए
कंचन ने बताया कि अपनी भूमि पर सेब और जापानी फल के 200 पेड़ लगाए हैं। जिन्होंने फल देना भी शुुरू कर दिया है। ढलानदार बगीचों में रासायनिक खेती के दौरान कई तरह की बीमारियों का प्रकोप होता है। इनकी रोकथाम के लिए जब वह रसायनों का छिड़काव करती थीं तो उससे पौधों पर विपरीत असर पड़ता था। रसायनों के इस दुष्चक्र से प्राकृतिक खेती ने उन्हें बाहर निकाला।

कंचन को देख दूसरे लोगों ने शुरू की खेती
कंचन की सफलता का जब रिश्तेदार और ग्रामीणों को पता चला तो उन्होंने प्राकृतिक और रासायनिक खेती शुरू कर दी है। जिसमें लगभग 30 ग्रामीण शामिल हैं। शुरुआती दौर में ग्रामीण प्राकृतिक विधि का ट्रायल कर रहे हैं। वहीं कंचना गांव के अन्य लोगों को भी प्राकृतिक और रासायनिक खेती की जानकारी दे रही हैं। आत्मा कुल्लू के परियोजना अधिकारी विजय लांबा ने बताया कि प्राकृतिक खेती में पुरुषों के मुकाबले महिलाएं आगे आ रहीं हैं। कंचन अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बनी

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