सेब और जापानी फल के 200 पौधे लगाए
कंचन ने बताया कि अपनी भूमि पर सेब और जापानी फल के 200 पेड़ लगाए हैं। जिन्होंने फल देना भी शुुरू कर दिया है। ढलानदार बगीचों में रासायनिक खेती के दौरान कई तरह की बीमारियों का प्रकोप होता है। इनकी रोकथाम के लिए जब वह रसायनों का छिड़काव करती थीं तो उससे पौधों पर विपरीत असर पड़ता था। रसायनों के इस दुष्चक्र से प्राकृतिक खेती ने उन्हें बाहर निकाला।
कंचन को देख दूसरे लोगों ने शुरू की खेती
कंचन की सफलता का जब रिश्तेदार और ग्रामीणों को पता चला तो उन्होंने प्राकृतिक और रासायनिक खेती शुरू कर दी है। जिसमें लगभग 30 ग्रामीण शामिल हैं। शुरुआती दौर में ग्रामीण प्राकृतिक विधि का ट्रायल कर रहे हैं। वहीं कंचना गांव के अन्य लोगों को भी प्राकृतिक और रासायनिक खेती की जानकारी दे रही हैं। आत्मा कुल्लू के परियोजना अधिकारी विजय लांबा ने बताया कि प्राकृतिक खेती में पुरुषों के मुकाबले महिलाएं आगे आ रहीं हैं। कंचन अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बनी