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18 /11 /2022
खेतों में उगाए गए उत्पाद दुकानदारों द्वारा बेचने के लिए रखे गए
हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के रामपुर में लगा लवी मेला खत्म हो गया है, लेकिन यहां अभी भी स्टॉल लगे हैं। इनमें कुछ स्टॉल ऐसे हैं, जहां पर अपनी खेतों में उगाए गए उत्पाद दुकानदारों द्वारा बेचने के लिए रखे गए हैं। इनमें सबसे पसंदीदा उत्पाद लाल चावल है, जिसे लोग हाथों हाथ खरीद रहे हैं।
कीमत 800 रूपए प्रति किलो
लाल चावल की पेजा किस्म भी है, जिसकी कीमत 800 रूपए प्रति किलो है। इस चावल की विशेषता यह है कि यह काफी पौष्टिक होता है। शुगर के मरीज भी इस चावल का आनंद ले सकते हैं। इस स्टॉल पर पहाड़ी माश, कोलथ, अखरोट, राजमा, ओगला, फाफरा, चुली और बेमी का तेल भी बेचने के लिए रखा गया है।
पुराने उत्पादों को लोग हाथों हाथ खरीद रहे
पहाड़ी उत्पाद के विक्रेता बबलू वर्मा और अमरनाथ का कहना है कि लवी मेले में आधुनिकता हावी हो गई है, लेकिन अभी भी लोग पुरानी चीजों को पसंद कर रहे हैं। खासकर पुराने उत्पादों को लोग हाथों हाथ खरीद रहे है। अब लाल चावल की खेती सिमट कर रह गई है। एक दशक पहले यह खेती रामपुर के अधिकतर क्षेत्रों, जो नदी के किनारे बसे हुए थे, वहां पर की जाती थी।
खेती करने से भी किनारा कर दिया
अब जैसे-जैसे लोग व्यस्त हो गए हैं, उन्होंने इस खेती से किनारा कर दिया। अब यह खेती रोहड़ू के कुछ क्षेत्रों तक सिमटकर रह गई है। अगर यही स्थिति रही तो लाल चावल खाना तो दूर लोगों को देखना तक नसीब नही होगा। वहीं पहाड़ी माश व कोलथ की स्थिति भी ऐसी ही है। लोगों ने इसकी खेती करने से भी किनारा कर दिया है।
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