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17 जनवरी 2022
हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ ने प्रदेश सरकार द्वारा हिमाचल प्रदेश में छठे वेतन आयोग की अधिसूचना को लागू करने के लिए सरकार का आभार व्यक्त करता है । महासंघ प्रतिनिधि ने कहा है कि जहाँ पूरा देश कोविड महामारी के कारण आर्थिक तंगी से जूझ रहा है वहां हिमाचल सरकार द्वारा प्रदेश के लाखों कर्मचारियों को छठे वेतन आयोग की सिफ़ारिशो को लागू करना एक एतिहासिक निर्णय है।
उल्लेखनीय है कि हिमाचल सरकार हमेशा से पंजाब सरकार द्वारा जारी वेतन आयोग का अनुसरण करती आई है परन्तु इस वेतन आयोग की अधिसूचना जारी करने के बाद हिमाचल प्रदेश और पंजाब के कर्मचारियों के वेतन में काफी अंतर आ गया है । इस सन्दर्भ में शिक्षक महासंघ ने 4 जनवरी को मुख्यसचिव और पांच जनवरी को प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्रियों से मिल कर अपना पक्ष रख चुका है और अब उनके द्वारा दिए गए दिशानिर्देश अनुसार पंजाब और हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों की तुलनात्मक रिपोर्ट तैयार कर सरकार को प्रेषित कर रहे हैं।
प्रदेश शिक्षक महासंघ ने मुख्यमंत्री आवास पर मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर और मुख्यसचिव के साथ बैठक की जिस दौरान दोनों राज्यों में दी जा रहे वेतन में हो रही विसंगतियों पर गहनता से चर्चा की गई । अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय सचिव पवन मिश्रा और प्रदेश शिक्षक महासंघ के प्रान्त महामंत्री डॉ मामराज पुंडीर उपस्थित रहे । डॉ पुंडीर ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ चली एक घंटे की इस बैठक में शिक्षा विभाग के कई विषयों पर चर्चा हुई जिन्हें प्रदेश सरकार जल्द पूरा करने के लिए कार्य कर रही है।
हिमाचल प्रदेश में 1-10-2012 को वेतन संशोधन को लागू करते समय हिमाचल प्रदेश में इनिशिअल स्टार्ट खत्म कर दिया था। हिमाचल कर्मचारी वेतन के मामले में पीछे हो गये थे क्योंकि हिमाचल में प्रमोशन के बाद भी 2 साल तक उन्हें नये ग्रेड पै से वंचित कर दिया गया था जिसका नुकसान आज प्रदेश के कर्मचारियों को देखने को मिल रहा है।
शिक्षक महासंघ के आग्रह पर तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने प्रदेश के कर्मचारियों को मिलने वाली एसीपी को दो फोर्मेट में लागू किया था जिसमे 4-9-14 और 8/16/24/32 प्रदेश के कर्मचारी आप्शन ले सकते थे । परन्तु 7 जुलाई 2014 को तत्कालीन सरकार द्वारा कर्मचारियों को मिलने वाले एसीपी यानि 4-9-14 के सभी प्रारूप बदल कर प्रदेश के लाखों कर्मचारियों के साथ बहुत बढ़ा धोखा हुआ था । प्रदेश शिक्षक महासंघ का कहना है कि उन्होंने इसका विरोध किया था जिसके कारण प्रदेश भर में हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ के कार्यकर्ताओं को तत्कालीन सरकार प्रताड़ित करती रही है।
तुलनात्मक रिपोर्ट के मुख्य बिंदु :
- हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ सरकार से मांग करता है कि पंजाब की तर्ज पर हिमाचल प्रदेश में भी 2.25,2.59 और 15 प्रतिशत की बढोतरी के साथ वेतन मान को लागू करे।
- हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ ने सरकार से मांग कि है कि प्रदेश के कर्मचारियों को आप्शन चुनने की एक महीने की अवधि को बढ़ाया जाये ।
- हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ सरकार से मांग करता है कि पंजाब में लागू वेतनमान को हिमाचल में यथावत लागू किया जाये। क्योकि हिमाचल प्रदेश सरकार पंजाब के वेतन आयोग को लागू करता है ।
- हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ सरकार से मांग करता है कि प्रदेश में 1/1/2016 में नियुक्त सभी वर्ग के अध्यापको को पंजाब की तर्ज पर इनिसिअल स्केल दे, जिसमे जेबीटी को 33400(HP) के स्थान पर 37600(PUNJAB), सी एंड वी को 35600 की तुलना में 40100, टीजीटी और डीपीई को 38100 के स्थान पर 41600, प्रवक्ता को 43000 के स्थान पर 47000 दिया जाये ।
- हिमाचल प्रदेश के कर्मचारी को भते पंजाब के आधार पर नही दिए जाते ,जिसकी वजय से हिमाचल प्रदेश का कर्मचारी पिछड़ता जा रहा है ।
- हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ प्रदेश का सबसे बढ़ा संगठन होने के नाते अपने दायित्व को निभाने का भरपूर प्रयास करता है । प्रदेश में कंप्यूटर और एसएमसी अध्यापको का वर्ग ऐसा भी है जिनको पिछले 20 वर्ष और 10 वर्ष की सेवा के बाद भी 10 हजार के आस पास सेलेरी दी जाती है। जो इनका शोषण के सेवाए कुछ नही। हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ सरकार से आग्रह करता है कि इन शिक्षको के लिए निति बना कर इन्हें नियमित अध्यापक के बराबर सैलेरी देने का प्रावधान करे।
अब प्रदेश मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने प्रदेश के सभी कर्मचारियों की वेतन से सम्बन्धित समस्याओं को दूर करने का आश्वासन देते हुए कहा है, “हमने प्रदेश के लाखो कर्मचारियों को कोविड के काल में भी सुरक्षित रखा है आगे भी रखेंगे।”
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