खाकी को आस नए डी जी पी संजय कुंडू नहीं करेंगे निराश

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खाकी को आस नए डी जी पी संजय कुंडू नहीं करेंगे निराश

 

हिमाचल प्रदेश पुलिस को 30 मई को 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी संजय कुंडू के रूप में नए पुलिस महानिदेशक मिलें हैं I राज्य सरकार ने डीजजीपी के पैनल के लिए जिन तीन नामों को भेजा था उनमें सोमेश गोयल, संजय कुंडू, एसआर ओझा के नाम शामिल थे। पैनल को मंजूरी मिलने के बाद यह यह राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है कि डीजीपी किसे लगाना है।1989 बैच के आईपीएस अधिकारी कुंडू ने इस पद पर सीता राम मरड़ी का स्थान लिया I

इस पद से पहले कुंडू जयराम सरकार में प्रिंसिपल सेक्रेटरी टू सीएम के पद पर सेवाएं दे रहे थे। इसके साथ ही उनके पास क्वालिटी कंट्रोल ,आबकारी व कराधान, विजिलेंस, प्रिंसिपल रेजिडेंट कमिश्नर दिल्ली की भी जिम्मेदारी थी। केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर बीएसएफ में आईजी ऑपरेशनल एयर विंग समेत कई पदों पर सेवाएं दे चुके हैं।

 

प्रदेश के नए डीजीपी संजय कुंडू पूर्व में यानी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से पहले हिमाचल के चार जिलों – बिलासपुर, कांगड़ा, मंडी और चंबा के एसपी रह चुके हैं।हालांकि पिछले दो वर्षों से संजय कुंडू सिविल ड्रेस में सेवाएं देते रहे थे Iलेकिन अब यह देखना बाकि है कि खाकी वर्दी और नई चुनोतियों से कैसे निपटेंगे। संजय कुंडू की कार्यशेली को जानते हैं उनका कहना हैं की कुंडू जहाँ भी जाते हैं अपनी छाप छोड़ जाते हैं
चाहे वह मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव,क्वालिटी कंट्रोल सेल, एक्साइज डिपार्टमेंट , केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर कार्य या फिर दुनिया की सबसे बड़ी बॉर्डर फ़ोर्स बीएसएफ में डीआईजी (DIG works) और (IG Admin) के रूप में किए कार्य हों।
जैसे 12वीं पंचवर्षीय योजना को सही ढंग से इंप्लीमेंट करते हुए नई बटालियन में इन्फ्रास्ट्रक्चर,आवसीय इन्फ्रास्ट्रक्चर या फिर चाहे विश्व स्तरीय ट्रेनिंग सेंटर बनाना हो,

 

खाकी को डी जी पी संजय कुंडू से क्या है आस

संजय कुंडू जुझारू और जमीन से जुड़े हुए अफसर माने जाते हैं जनता के बीच खाकी की छवि सुधारने के साथ लम्बे समय से चली आ रही पुलिस जवानों की मांगों को हल करवाना मुख्य चुनोतियों में से एक होगी I
हिमाचल प्रेदश में आज भी पंजाब सर्विस रूल लागू है परन्तु सुविधाओं की अगर पंजाब पुलिस से तुलना की जाए तो आज भी हिमाचल पुलिस वेतन भत्तों और अन्य सुविधाओं में बहुत पिछड़ी हुई है I जिसको लेकर हिमाचल पुलिस के जवान लम्बे समय से मांग कर रहे हैं I

 

हिमाचल प्रदेश में 2015 के बाद पुलिस विभाग में कांस्टेबल पद पर जो भी भर्तियाँ हुई हैं आज भी उनको भर्ती होने के बाद आठ साल तक रेगुलर ग्रेड पे का इंतजार करना पड़ता है तब तक उनको पुराना 5910+1900 ग्रेड पे मिलता है या यूँ कह लो कुल 17500 रुपए खाते में आते हैं और जो 2015 से पहले कांस्टेबल पद पर भर्ती हुए हैं उनको 10300 +3200 रेगुलर ग्रेड पे दिया जाता है जबकि ड्यूटी दोनों को बराबर करनी पड़ती हैI

 

 

हैरानी की बात यह है हिमाचल में अन्य विभागों में 3 साल बाद ही रेगुलर पे बैंड मिलना शुरू हो जाता है I
अन्य सुविधाओं की बात करें तो आज भी पुलिस महकमे में सिपाही से इंस्पेक्टर तक ₹210 मासिक भत्ता मिलता है जो कि दिन का ₹7 दिन का बनता है।वर्दी किट के रखरखाव के लिए 30 रुपए मासिक दिया जाता है I अगर हम यात्रा भत्ते की बाद करें तो 2015 से पहले कांस्टेबल भर्ती हुए हैं उनको अगर ऑफिस के काम से हिमाचल में कहीं जाना हो तो 160 रुपए दैनिक भत्ता मिलता है और अगर हिमाचल से बाहर जाना हो तो 250 रुपए दैनिक भत्ता मिलता है I वहीं दूसरी तरफ 2015 के बाद भर्ती हुए कांस्टेबल को यात्रा भत्ता हिमाचल में 100 रुपए और अगर हिमाचल से बाहर जाना हो तो 150- 200 रुपए है I HRA की बात की जाए तो ऊंट के मुंह में जीरा वाली कहावत पूरी फिट बैठती है
पुलिस जवानों की प्रमोशन जैसे 16 साल की नौकरी में हेड कांस्टेबल,
24 साल की नौकरी में असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर,31 साल में सब इंस्पेक्टर,और 35 साल की नौकरी में इंस्पेक्टर पद पर पदोन्नति की पालिसी तो बनी है पर अभी तक नहीं मिल रही हैI कोर्ट की तरफ से 8 घंटे ड्यूटी का फैसला कब का आ चुका है पर अभी तक हिमाचल में लागू नहीं हुआ है I । 24 घंटे ड्यूटी करने वाले जवानों का यह शोषण क्यों हो रहा इसका जबाब शायद सरकार ही दे सकती है

 

 

पुलिस रिफॉर्मिंग की बातें सुनने में आ रही है जिसमें Law & order wing और investigation wing अलग अलग करने की भी मुख्य बातें सामने आई हैं ताकि वर्षों से लंबित पड़े केसों का जल्दी से निपटारा हो सके I
थानों और आवासीय कॉलोनियों की बात करें तो भवन जर्जर हो चुके हैं
हिमाचल के दो प्रमुख सियासी दलों भाजपा की मैरून और कांगेस की हरी टोपियों पर तो चर्चित हैं इसके आलावा पुलिस महकमे की कई जिलों में खाकी और कई जिलों में नीली टोपी पहनना भी चर्चा में रहता है यहाँ तो मामला कोर्ट तक भी पहुँच गया था कारण यह था की हिमाचल जवानों की टोपी खाकी से नीली कर दी थी जवानों ने नीली टोपी भी खरीद ली थी परन्तु कुछ अफसरों ने इसका विरोध किया तो सरकार ने फैसला वापिस ले लिया तब तक टोपियों की खरीद हो चुकी थी फिर पुलिस वेलफेयर संघ ने प्रदेश सरकार के आदेशों पर रोक लगाने की कोर्ट में गुहार लगाई थी. आदेशों में कहा गया था कि टोपी का रंग नीले से खाकी किया जाएगा. याचिका में कहा गया है कि होम गॉर्ड, सिक्योरिटी गार्ड व फॉरेस्ट गार्ड की वर्दी की टोपी का रंग है, जो पुलिस और गार्ड्स में पहचान को लेकर असंमजस पैदा करता है हाईकोर्ट ने भी फैसला पुलिस वेलफेयर संघ के पक्ष में सुनाया और फिलहाल 6 महीने तक टोपियाँ न बदलने के आदेश सरकार को दिए हैं I

नीली टोपी
ख़ाकी टोपी

कमिश्नर प्रणाली को लेकर भी आवाज उठ रही है इसको हिमाचल में लागू करना है या नहीं अगर करना है तो कैसे और कहाँ से शुरू करना है
बेहतरीन कार्य करने के लिए डी जी पी डिस्क अवार्ड दिए जाते हैं जो हमेशा विवादों में रहते हैं और इन अवार्डों की निष्पक्षता पर सवाल उठाए जाते हैं अब पुलिस जवानों को उम्मीद है की कुंडू के समय में योग्यता देखकर ही डी जी पी डिस्क अवार्ड दिए जाएँगे
पंजाब हरियाणा व अन्य राज्यों की पुलिस का खेलों में बहुत नाम है हिमाचल पुलिस को स्पोर्ट्स आइकॉन बनाना भी एक चुनौती रहेगी I इसलिए अब पुलिस महकमे की आस अपने नए पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू से है कि निराश नहीं करेंगे I

 

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