नई दिल्ली
दुनियाभर में एचआईवी (HIV) संक्रमण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 1 दिसंबर को वर्ल्ड एड्स डे (World AIDS Day) मनाया जाता है. ताकि लोगो को एड्स के बारे में बताया जा सके . WHO (वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन )ने सबसे पहले विश्व एड्स दिवस को वैश्विक स्तर पर मनाने की शुरुआत अगस्त 1987 में की थी.
एड्स क्या होता है – एड्स को HIV(ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस )भी कहा जाता है .HIV एक ऐसा वायरस है जिसके द्वारा एड्स हो होता है. जिसे मेडिकल भाषा में ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस यानि एचआईवी के नाम से जाना जाता है. यह वायरस एक इन्सान से दूसरे इंसान में फ़ैल सकता है .यह जानलेवा संक्रमण व्यक्ति के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) पर सीधा हमला करता है जिसकी वजह से शरीर सामान्य बीमारियों से लड़ने में सक्षम नहीं हो पाता और और अत्यधिक बीमार रहने लगता है .तथा उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता खत्म हो जाती है और सही समय पर सही उपचार न मिलने की वजह से व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है.
एड्स से कोई भी व्यक्ति संक्रमित हो सकता है .यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है .एड्स के शुरुआती दौर में विश्व एड्स दिवस से सिर्फ बच्चों और युवाओं से ही जोड़कर देखा जाता था जबकि एचआईवी संक्रमण किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है. इसके बाद साल 1996 मेंAIDS पर संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक स्तर इसका प्रचार किया. जिसके बाद सन 1997 में विश्व एड्स अभियान के तहत एड्स के बारे में जानकारी,रोकथाम लक्षण और शिक्षा तथा इससे बचाव पर काफी ध्यान देना शुरू किया गया. जिसके बाद हर साल 1 दिसंबर को एड्स दिवस पर कई हेल्थ डिपार्टमेंट एड्स कण्ट्रोल सोसाइटी लोगो को जागरूक करते है ताकि इस संक्रमण से अधिक से अधिक लोगो को बचाया जा सके .
वर्ल्ड एड्स डे मनाने का उद्देश्य एचआईवी संक्रमण की वजह से होने वाली महामारी एड्स के बारे में हर उम्र के लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाना है. एड्स आज के आधुनिक समय की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है. इससे हर साल लाखो लोग संक्रमित होते है .तथा मौत का शिकार हो जाते है . UNICEF की रिपोर्ट की मानें तो अब तक 37 मिलियन से ज्यादा लोग HIV के शिकार हो चुके हैं जबकि भारत सरकार द्वारा जारी किए गए आकड़ों के अनुसार भारत में एचआईवी के रोगियों की संख्या लगभग 3 मिलियन के आसपास है.