कुल्लू: आजादी के 75 साल बाद सैंज तहसील के चार गांवो में पहली बार बिजली का जलेगा बल्ब

The News Warrior
0 0
Spread the love
Read Time:3 Minute, 56 Second
THE NEWS WARRIOR
26/03/2022

कुल्लू की सैंज तहसील के अति दुर्गम गांवो में पहली बार जलेगा बिजली का बल्ब

12.118 किलोमीटर लंबी बिछाई जाएगी ट्रांसमिशन लाइन

टिमटिमाएंगे घरों में बिजली के बल्ब

कुल्लू:-

हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू की सैंज तहसील के अति दुर्गम शाक्टी, मरौड़, शुगाड और कुटला गांव में पहली बार बिजली का बल्ब जलेगा। आजादी के 75 साल बाद आखिरकार 300 ग्रामीणों का इंतजार खत्म होने वाला है। नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ ने ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क से 11 केवी एचटी ट्रांसमिशन लाइन बिछाने की अनुमति प्रदान की है। राज्य बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ इसकी अनुमति पहले ही दे चुका है। अब वन विभाग की मंजूरी का इंतजार है। इसके बाद ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क से होते हुए इन गांवों तक 12.118 किलोमीटर लंबी ट्रांसमिशन लाइन बिछाई जाएगी। बता दें कि यहां के ग्रामीण अभी सोलर लाइट के सहारे ही गुजर बसर कर रहे हैं। बर्फीला इलाका होने के चलते सोलर लाइटें काम नहीं करती हैं। यह लाइटें एक एनजीओ ने 8 साल पहले ही मुहैया करवाई थीं।

सदियों से रोशनी से महरूम थे घाटी के चार गांवों

सैंज घाटी की ग्राम पंचायत गाड़ापारली के चार गांवों के 40 घर ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क में होने के चलते सदियों से रोशनी से महरूम थे। अब इनके घरों में बिजली के बल्ब टिमटिमाएंगे। बच्चे देर रात तक पढ़ाई कर पाएंगे। मोबाइल की घंटी भी बजेगी। कपड़े इस्त्री कर सकेंगे। इनके जीवन से अंधेरा दूर हो जाएगा।

वन वभाग की मंजूरी का है इंतजार

ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के डीएफओ निशांत मंढोत्रा ने कहा कि पार्क से दुर्गम गांवों केे लिए एचटी ट्रांसमिशन लाइन ले जाने की नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ से अनुमति प्रदान की गई है। बिजली बोर्ड कुल्लू के अधीक्षण अभियंता संजय कौशल ने कहा कि वन वभाग की मंजूरी का इंतजार है। जैसे ही हरी झंडी मिलती है, बोर्ड बिजली लाइनों को बिछाने का काम शुरू कर देगा। इस पर करीब तीन करोड़ रुपये खर्च होंगे।

 24 किलोमीटर रोज पैदल चलते हैं इन गांवों के लोग

दुर्गम गांव शाक्टी, मरौड़, कुटला और शुगाड़ में ग्रामीण आज भी मूलभूत सुविधाओं से दूर हैं। सड़क न होने से ग्रामीणों को रोज अपने जरूरी कामकाज के लिए 24 किमी पैदल चलना पड़ता है। यहां मात्र आठवीं कक्षा तक स्कूल है। डिस्पेंसरी 20 किमी दूर बाह में है। न्यूली से नैनी तक सड़क है। इसके आगे इन गांवों तक पहुंचने के लिए 24 किमी पैदल जाना पड़ता है। बिजली मिली तो अन्य सुविधाओं की भी आस जग जाएगी।

 

 

 

 

 

यह भी पढ़िए………………………………….

साधारण जीवन से सत्ता के शीर्ष तक पहुंचने की कहानी है मोदी स्‍टोरी पोर्टल,सुमित्रा गांधी कुलकर्णी ने किया पोर्टल का उद्घाटन 

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

एचपीयू के पांच दिव्यांग विद्यार्थियों ने राष्ट्रीय फेलोशिप लेकर रचा इतिहास 

Spread the love THE NEWS WARRIOR 26 /03 /2022 विश्वविद्यालय के पांच दिव्यांग पीएचडी शोधार्थियों ने केंद्र सरकार की राष्ट्रीय फेलोशिप अर्जित कर रचा नया इतिहास  हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के पांच विद्यार्थियों को  फैलोशिप मिलना गर्व की बात विश्वविद्यालय में दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए शिक्षा और हॉस्टल सुविधा बिल्कुल निशुल्क […]

You May Like