माता सोहणीदेवी का मंदिर प्रकृति का माया लोक, जानिए मंदिर के इतिहास के बारे में

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25 /03 /2022
धार्मिक पर्यटकों की पसंदीदा सैरगाह और पिकनिक स्थल
मंदिर का निर्माण लगभग नौ सौ वर्ष पूर्व  दो भाइयो द्वारा किया गया 
रात को स्वप्न में माता के निर्देशानुसार मूर्ति को किया गया था प्रतिस्थापित
सोहणी देवी हजारों क्षेत्रवासियों की कुल देवी के रूप में है प्रसिद्ध 
बिलासपुर:- 
हिमालय के आगोश में स्थित हिमाचल प्रदेश को कुदरत का स्वर्ग, सैलानियों की पसंदीदा सैरगाह और देवभूमि जैसे अनेक सार्थक नामों से पुकारा जाता है। यहां के कलकल करते झरने, गगनचुंबी, हिमाच्छादित पर्वत शृंखलाएं, लहलहाती फूलों से सुशोभित उपजाऊ घाटियां अनायास ही बरबस धार्मिक पर्यटकों का मन मोह लेती हैं।
धार्मिक पर्यटकों की पसंदीदा सैरगाह और पिकनिक स्थल
ऐसी ही धार्मिक पर्यटकों की पसंदीदा सैरगाह और पिकनिक स्थल के रूप में उभर रही बिलासपुर जनपद की सोहणी धार को प्रकृति का माया लोक कहा जाए, तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। सोहणी धार की चोटी पर कोलाहल व शोर से कोसों दूर चीड़ के वृक्षों के झुरमुटों में मंद-मंद बहती समीर के प्रवाह के बीच सोहणी माता का भव्य व विशाल मंदिर है।
 लगभग नौ सौ वर्ष पूर्व देवी के निर्देश हुआ था मंदिर का निर्माण
इस मंदिर का निर्माण लगभग नौ सौ वर्ष पूर्व चकमोह से यहां आकर बसे दो ब्राह्मण भाइयों द्वारा देवी के निर्देश पर किए जाने की लोक आस्था है। मंदिर के निर्माण बारे पुजारी व इलाकावासी बताते हैं कि करीब नौ सौ वर्ष पूर्व यहां खेत में हल जोतते हुए दो भाइयों को मां सोहणी देवी की पाषाणकालीन मूर्ति मिली। रात को स्वप्न में माता के निर्देशानुसार मूर्ति को समुचित स्थान पर प्रतिस्थापित करने के लिए ज्यों ही उन्होंने मूर्ति को कोटला गांव की ओर उठाने का प्रयास किया, तो मूर्ति इतनी भारी भरकम हो गई कि इसे उठाना तो दूर की बात, हिला भी नहीं पाए। दोनों भाई मां के इस प्रत्यक्ष चमत्कार की घटना से भयभीत होकर नंगे पांव ही सारी सोहणी धार में मूर्ति प्रतिष्ठा हेतु समुचित स्थान की खोज में जुट गए।
सोहणी देवी हजारों क्षेत्रवासियों की कुल देवी
उन्होंने मूर्ति प्रतिष्ठा व मंदिर निर्माण के लिए सोहणी धार की चोटी पर स्थित वर्तमान मंदिर प्रांगण का चुनाव किया और पुनः मूर्ति को खेत से उठाने की चेष्टा की, तो मूर्ति एकदम हल्की हो गई। दोनों भाइयों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने माता के जयकारे लगाते हुए आसानी से पाषाण कालीन मूर्ति को धार की चोटी पर प्रतिष्ठित करके मंदिर निर्माण की नींव रखी। क्षेत्रवासियों के सहयोग से सन् 1980 में पुराने मंदिर का जीर्णोद्धार करके यहां नया मंदिर बनाया गया है। सोहणी देवी हजारों क्षेत्रवासियों की कुल देवी के रूप में प्रसिद्ध है। इसी कारण यहां भक्तगणों का तांता लगा रहता है। यहां अकसर नवरात्र और विशेष पर्वों पर भागवत, रात्रि जागरण व जात्रा का आयोजन होता रहता है।

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