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21 जनवरी 2022
हिमाचल प्रदेश सरकार ने गुरुवार को अधिसूचित कर राज्य में नई इलेक्ट्रिक व्हीकल नीति लागू कर दी है। पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से नए हिमाचल प्रदेश मोटरयान तृतीय संशोधन नियम 2021 पर सरकार को कोई भी सुझाव या आपत्ति नहीं मिलने के बाद अब प्रदेश सरकार ने इस दिशा में अधिसूचना जारी कर दी है। प्रदेश अतिरिक्त मुख्य सचिव परिवहन जेसी शर्मा ने गुरुवार को हिमाचल प्रदेश की नई इलेक्ट्रिक व्हीकल नीति 2022 को अधिसूचित कर दिया है।
नई इलेक्ट्रिक व्हीकल नीति के मुख्य प्रावधान:
इन संशोधन नियमों के तहत बनी नई इलेक्ट्रिक व्हीकल नीति के अंतर्गत अब इलेक्ट्रिक वाहन चालकों को आगामी 5 वर्षों के लिए बड़ी रहत मिलने वाली है। इसके तहत हिमाचल प्रदेश में राज्य में रजिस्टर्ड इलेक्ट्रिक वाहनों को सड़क टोकन टैक्स में छूट दी जाएगी जबकि बाहरी प्रदेशों के इलेक्ट्रिक वाहनों से भी टोल टैक्स नहीं लिया जाएगा। यह विशेष छूट इस पालिसी के 5 सालों के लिए दी जाएगी।
सरकार की इस महत्वाकांक्षी नीति का 2025 तक 15 फीसदी इलेक्ट्रिक वाहन पंजीकृत करने का लक्ष्य रहेगा। इस दौरान प्रदेश सरकार ने ग्रीन टैक्स और मोटर व्हीकल एक्ट कर कंपाउंडिंग फीस से एकत्र 95 फीसदी फंड का इस्तेमाल पालिसी की अवधि में इलेक्ट्रिक वाहनों को धरातल पर उतारने के लिए करने का फैसला लिया है।
इस नीति के तहत चार्जिंग स्टेशन लगाने और इलेक्ट्रिक वाहन बनाने से संबंधित उद्योगों को औद्योगिक नीति के अनुसार प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। साथ ही प्रदेशवासियों को इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने पर शुल्क व कर में भी छूट दे जाएगी। इसके इलावा नई इलेक्ट्रिक व्हीकल नीति के अनुसार इलेक्ट्रिक वाहनों को केंद्रीय भूतल परिवहन एवं उच्च मार्ग मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार वाणिज्यिक परमिट फीस में भी रियायत दी जाएगी।
इसके इलावा राज्य सरकार 100 से 200 एकड़ का एक इलेक्ट्रिक व्हीकल पार्क बनाएगी जहाँ इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण को प्रोत्साहित किया जाएगा। इस नीति को लागू करने के लिए बिजली बोर्ड और नगर निकाय भी सहयोग करेंगे। एक ओर जहाँ नोडल एजेंसी बना बिजली बोर्ड वाहनों को चार्ज करने के आधारभूत ढांचे को तैयार करने में मदद करेगा तो वहीं इन चार्जिंग स्टेशनों के लिए टैरिफ योजना भी तैयार करेगा।
शिमला, मंडी, बद्दी और धर्मशाला बने इ-व्हीकल मॉडल शहर
इस नीति को लागू करने के लिए में शिमला, मंडी, बद्दी और धर्मशाला सहित चार मॉडल शहरों को चिन्हित किया गया है। इन शहरों में एक “गैसों के शून्य उत्सर्जन” वाला जोन तैयार किया जायेगा जहां केवल पैदल चलने अथवा साइकिल या इलेक्ट्रिक वाहन में चलने की ही अनुमति होगी। इसके इलावा इन शहरों में हर एक गुणा एक किलोमीटर की ग्रिड में न्यूनतम एक चार्जिंग स्टेशन होगा जबकि राज्य उच्च मार्गों में हर 25 किलोमीटर बाद और व्यस्त राष्ट्रीय राजमार्गों पर हर 50 किलोमीटर के बाद प्रत्येक ओर पर एक चार्जिंग प्वाइंट रहेगा।
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