सावन माह के अंतिम सोमवार को बछरेटु के प्राचीन शिव मंदिर में सारा दिन लगा रहा भक्तों का तांता

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16 /08 /2022

प्राचीन शिव मंदिर बछरेटू में सावन माह के अंतिम सोमवार को  उमड़ पड़ा भक्तों का सैलाब 

बिलासपुर :

बिलासपुर जिले के कोट धार के आंचल में स्थित प्राचीन शिव मंदिर बछरेटू में सावन माह के अंतिम सोमवार को भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा । मंदिर में सुबह ही भक्तों की भीड़ उमड़ना शुरू हो गई । मान्यता है कि यह मंदिर करीब तीन सौ साल पुराना है तथा कहलूर रियासत के राजाओं के द्वारा बनाया गया । इस मंदिर की दीवारें चार फुट चौड़ी हैं तथा इसके मुख्य द्वार पर एक तरफ हनुमान तथा दुसरी तरफ भौरौं की चार-चार फुट की मुर्तियां स्थापित है ।

शिव मन्दिर के प्रवेश द्वार पर शिव बाबडी

मंदिर के प्रांगण में शिव वहान नंदी की करीब नौ फुट लंबी और साढ़े पांच फुट ऊंची मूर्ति है। दूर से देखने से ऐसा लगता है कि मंदिर परिसर में सचमुच ही कोई बैल है । इस शिव मन्दिर की विशेषता यह है कि इसमें लकड़ी का बिल्कुल प्रयोग नहीं हुआ है । मंदिर की दीवार के चारों ओर लगी भिन्न भिन्न देवताओं की मूर्ति, नंदी बैल, हनुमान व भौंरो नाथ की मूर्तियों को कारीगरों अपनी मेहनत से केवल पत्थर पर उकेरी गई है । इसमें न ही सीमेंट और न ही सरिया लगाया है। इतना ही नहीं इस शिव मन्दिर के प्रवेश द्वार पर शिव बाबडी (नौण) है जिसे लोग मिनी हरिद्वार कहते हैं। इस शिव बाबड़ी से तीन चार गांवों को पीने की आपूर्ति की जाती है। गौरतलब है कि सावन माह का अंतिम सोमवार को स्थानीय श्रद्धालुओं के द्वारा भंडारे का आयोजन किया गया । इस दौरान सैकड़ों भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया।

भक्तों ने शिव का किया गुणगान

वहीं श्रावण मास के अंतिम सोमवार को भक्तों ने शिवलिंग पर भांग, बेलपत्र, दूध और जलाभिषेक कर भोले शंकर को प्रसन्न किया। इस अवसर पर काफी संख्या में भक्तों ने माथा टेक कर सुख समृद्धि की कामना की। जिसके चलते शिव मंदिरों में भी भक्तों की काफी भीड़ रही। इस दौरान जय भोले और हर-हर महादेव से जयकारों से सभी शिव मंदिर गूंज उठे। शिव मंदिरों में पूरा दिन रौनक रही। वंही मंदिर में माथा टेकने के लिए शिव भक्तों में काफी उत्साह देखा गया। भक्तों ने शिवालयों में गंगाजल, दूध, दही से जलाभिषेक कर, बेलपत्र, चावल और पुष्प से भगवान शिव की पूजा की। इस अवसर पर भक्तों ने शिव का गुणगान भी किया।

रामायण पाठ का आयोजन

इस दौरान स्थानीय श्रद्धालुओं के द्वारा मंदिर परिसर में रामायण पाठ का आयोजन भी किया गया।इस अवसर पर कथा वाचक प्रमोद शर्मा ने बताया कि शिव पुराण अनुसार श्रावण मास में सोमवार को शिवलिंग बिलपत्र चढ़ाने से तीनों जन्म के पापों से मुक्ति मिलती है। उन्होंने बताया कि शिवलिंग का बिल्व पत्र से पूजन करने पर दरिद्रता दूर होती है और सौभाग्य का उदय होता है। उन्होंने बताया कि श्रावण मास में बिल्ब पत्र से भगवान शिव ही नहीं उनके अंशावतार बजरंग बली प्रसन्न होते हैं। शिवपुराण के अनुसार घर में बिल्व वृक्ष लगाने से पूरा कुटुम्ब विभिन्न प्रकार के पापों के प्रभाव से मुक्त हो जाता है। जिस स्थान पर बिल्ववृक्ष होता है उसे काशी तीर्थ के समान पूजनीय और पवित्र माना गया है।

 

 

 

 

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