अहिंसा और हिंसा के बीच की खींचतान “वन्स इन इंडिया “
आयुषी त्रिपाठी एक नौजवान रंगमंच निर्देशिका के रूप में अपने पहले नाटक वन्स इन इंडिया जो की प्रसिद्ध नाटककार दया प्रकाश सिन्हा की नाट्य रचना “रक्त अभिषेक का अंग्रेजी अनुवाद हैं, में गैर ज़रूरी अहिंसा और आत्म रक्षा के लिए हिंसा के फ़र्क और ज़रूरत को समझने और समझाने का प्रयास करती है!
वो भी ऐसे समय में जब भारत बाहरी रूप से प्रेरित आतंकवादी घुसपैठ के खिलाफ हिंसा के उपयोग और अहिंसा के प्रमुख दार्शनिक सिद्धांत को बनाए रखने के बीच चयन करने की दुविधा का सामना कर रहा है। सदियों से देश के संतों द्वारा अहिंसा का पाठ समय समय पर पढ़ाया गया है, किन्तु दुश्मन जब आपके घर को, आपके अपनों को बर्बाद करने की ठान ले तो उसके समक्ष कितनी देर तक अहिंसा के फूल लेकर, अपनी बर्बादी देखी जा सकती है, इसी खींचतान को ये नाटक रेखाकिंत करता है!
नाटक एक ऐतिहासिक घटना को संदर्भित करता है जो दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व में मौर्य वंश के अंतिम सम्राट बृहद्रथ के शासनकाल के दौरान हुई थी, जिन्होंने अपने साम्राज्य के बड़े क्षेत्रों को राजाओं डेमेट्रियस और मेनेंडर के आक्रमणों से खो दिया था, और भी पहले अपने पूर्ववर्तियों सिकंदर महान और उनके उत्तराधिकारी सेल्यूकस की हार का बदला प्राप्त करने में विफल रहे।
लेखक का मानना है कि मौर्य साम्राज्य के संकुचन का कारण अहिंसा के बौद्ध सिद्धांत में बृहद्रथ का अंध विश्वास है, जिसका राजा मेनेंडर द्वारा शोषण किया जाता है। इसके अलावा, यूनानी राजा ने , बौद्ध धर्मग्रंथ मिलिंद पन्हा के अनुसार बौद्ध धर्म ग्रहण किया और एक भिक्षु बन गया, और मनमाने ढंग से एक पाखंडी के रूप में काम करने के लगा , जो भारतीय राजा को ग्रीक से मित्रता को बढ़ाने और अपने शासन को मजबूत करने के लिए एक भिक्षु होने का दिखावा करता रहा । कथित साजिश में ग्रीक सेनापति टाइटस, और मेनेंडर की बहन एंटोनिया और भी शामिल है, जिसके साथ बृहद्रथ प्यार में पड़ जाता है और अपनी मातृभूमि की रक्षा करना बंद कर देता है। इस सब के भीतर, भारतीय राजा के सेनापति पुष्यमित्र ने देश को बचाने का फैसला किया। वह राजा की हत्या करता है और खुद को नया राजा घोषित करता है। वह हिंदू धर्म को पुनर्स्थापित करता है और बौद्धों और घुसपैठियों को सताता है।
इस नाटक के साथ, निर्देशिका आयुषी त्रिपाठी अहिंसा के सिद्धांत की गलत व्याख्या के कारण होने वाली पीड़ा को उजागर करने और मातृभूमि की आत्मरक्षा के लिए हिंसा के उपयोग को सही ठहराने के लिए मंथन कर रही है । लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए लेखक ने कई शताब्दी पहले एक दूर के ऐतिहासिक तथ्य का सहारा लिया है। वह मेनेंडर, टाइटस और बृहद्रथ के व्यक्तित्व और उनके साथ अहिंसा के बौद्ध सिद्धांत को एक हद के बाद ज़बरदस्ती थोपा हुआ दिखाते हैं, जबकि साथ ही बृहद्रथ की हत्या को वीरता और राष्ट्रीय कर्तव्य के रूप में पेश करके महत्वाकांक्षी सेनापति और फिर राजा पुष्यमित्र के देशप्रेम में हिंसा के पक्ष को उचित ठहराते हैं।
नाट्य प्रदर्शन का मंचन 19 दिसंबर 2021, एन एस डी के अभिमंच सभागार में किया!
नाटक में बृहद्रथ के किरदार में अमित सक्सेना ने बढ़िया काम किया है! पात्र के अहिंसा के ढोंग, कामवासना से ग्रसित मानसिकता, और राजा के तौर पर देश के प्रति लापरवाही को अमित सक्सेना ने बढ़ी तन्मयता से दिखाया है! टाइटस के किरदार में नितिन पराशर पात्र के भीतर की कुटिलता और दोहरी मानसिकता को को बखूबी उतारते है! सेनापति पुष्यमित्र के किरदार में नौजवान अभिनेता गुनीत, नाटक में बढ़िया काम किये है और एक नायक की तरह उभरते है! पंतंजलि के किरदार में विपिन कुमार प्रभावी असर छोड़ते है और उस किरदार को जीवंत करते है! एंटोनिया का किरदार निभाने वाली अभिनेत्री भी काफ़ी प्रभावित करती है!