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08/04/2022
केंद्रीय विद्यालय घुमारवीं के कला शिक्षक रणजीत कुमार उलटे क्रम में अपनी लिखाई और स्टेंप व उसकी सियाही के जरिए पोरट्रेट बनाने को लेकर खूब चर्चा में
करीब 200 बच्चों को बनाया एक्सपर्ट
जीत चुके हैं कई पुरस्कार
घुमारवीं:-
हर शख्स एक विशेष प्रतिभा से संपन्न होता है। जरूरत है उसे पहचानने और तराशने की। ऐसी ही एक शख्सियत की बात आज हम कर रहे हैं। यह शख्स एक नहीं बल्कि कई प्रतिभाओं के धनी हैं।
केंद्रीय विद्यालय घुमारवीं के कला शिक्षक रणजीत कुमार इन दिनों उलटे क्रम में अपनी लिखाई और स्टेंप व उसकी सियाही के जरिए पोरट्रेट बनाने को लेकर खूब चर्चा में हैं। अपनी इस प्रतिभा को इन्होंने छिपाया नहीं बल्कि अब छात्रों में बांटे रहे हैं।
केंद्रीय विद्यालय घुमारवीं के करीब 200 बच्चों को बनाया एक्सपर्ट
अंग्रेजी व हिंदी में ऊपर-नीचे व दाएं-बाएं से लिखने में एक्सपर्ट
रणजीत कुमार हिंदी व अंग्रेजी दोनों भाषाओं के शब्दों को काफी तेजी में बाएं से दाएं, दाएं से बाएं और ऊपर से नीचे उलटे क्रम में लिखने में सक्षम हैं। जब रणजीत व छात्र एक तरफ से उल्टा लिखना शुरू करते हैं तो उनके सामने बैठे आदमी को वह सभी अक्षर सीधे दिखाई देते हैं, जिन्हें सामने वाला आराम से पढ़ सकता है।
इंडिया बुक आफ रिकाड्र्स में अपना नाम दर्ज
रणजीत अपनी लिखाई के साथ एक और प्रतिभा के लिए मशहूर हैं। अकसर नोटरी व तहसील में इस्तेमाल होने वाली मुहर को आपने सत्यापन के कार्य में उपयोग होते देखा होगा, लेकिन रणजीत ने उसी स्टेंप व सियाही की मदद से डाक्टर आंबेडकर का पोरट्रेट बनाकर इंडिया बुक आफ रिकाड्र्स में अपना नाम दर्ज करवाया है।
200 बच्चों को इस प्रतिभा का बना चुके हैं धनी
रणजीत ने इस कला को सिर्फ अपने तक ही सीमित नहीं रखा, बल्कि केंद्रीय विद्यालय घुमारवीं के करीब 200 बच्चों को इस प्रतिभा का धनी बना दिया है। स्कूल के अधिकतर बच्चे अब इस कला में माहिर हो गए हैं। बच्चों का कहना है कि जबसे उन्होंने इस कला को सीखा है उनके अंदर गजब की एकाग्रता बढ़ी है तथा एक ही वक्त में कई कामों को एक साथ करने की क्षमता में भी भरपूर फायदा हुआ है। रणजीत के अनुसार इस सब के लिए बहुत एकाग्रता की जरूरत होती है और वह कई सालों से इस पर मेहनत करने के बाद इस कला में माहिर हो पाए हैं।
बिहार के एक छोटे से गांव बेरकप के रहने वाला हैं शिक्षक
शिक्षक रणजीत कुमार ने अपनी कला शिक्षा कर पढ़ाई देश की प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय बीएचयू (बनारस तथा हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी) से की है। यही नहीं इन्हें कला के क्षेत्र में टेंपल इन आर्ट फाउंडेशन द्वारा अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। वैसे रणजीत कुमार बिहार के एक छोटे से गांव बेरकप के रहने वाले हैं। हालांकि वह अब वर्ष 2017 से घुमारवीं स्थित केंद्रीय विद्यालय में कला शिक्षक के पद पर तैनात हैं।
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