THE NEWS WARRIOR
07 /03 /2022
आर. एंड पी.रूल से छेड़छाड़ करने के प्रयास के मामले में सरकार से दख़ल देने की मांग की
पिछले केडर टीजीटी का लाभ देकर पुनः मुख्याध्यापक बनाना भर्ती एवं पदोन्नति नियमों का सरासर उल्लंघन
25 वर्षों से विभाग में सेवाएं दे रहे हैं फिर भी पदोन्नति नहीं मिल रही है |
विभाग के नियमानुसार एक बार जो ऑप्शन दे देता है वह चेंज नहीं होती
हिमाचल प्रदेश:-
सीनियर टीजीटी संघ हिमाचल प्रदेश ने वर्चुअल मीटिंग कर आर. एंड पी. रूल से छेड़छाड़ करने के प्रयास के मामले में सरकार को दख़ल देने की मांग की है। संघ का मानना है कि जो शिक्षक एक बार प्रवक्ता बन चुका है, उसे पिछले केडर टीजीटी का लाभ देकर पुनः मुख्याध्यापक बनाना भर्ती एवं पदोन्नति नियमों का सरासर उल्लंघन माना जाएगा। स्नातक वर्ग का कहना है कि वे लगभग 25 वर्षों से ऊपर से विभाग में सेवाएं दे रहे हैं फिर भी उन्हें पदोन्नति नहीं मिल रही है |
2010 से पूर्व नियुक्त टीजीटी को दोनों ऑप्शन
2010 से पूर्व नियुक्त टीजीटी को दोनों ऑप्शन यानी मुख्याध्यापक व प्रवक्ता बहाल करने की सरकार से मांग रखी गई है जबकि हाई कोर्ट के निर्णय अनुसार जो भी टीजीटी 26.4. 2010 के बाद ऑप्शन दे पीजीटी या प्रवक्ता स्कूल न्यू के पद पर प्रोन्नत हो चुके हैं वे चाहे 2010 से पूर्व नियुक्त टीजीटी हो या 2010 के बाद टीजीटी नियुक्त हो वह मुख्याध्यापक के पद के लिए एलिजिबल नहीं हैं क्योंकि विभाग के नियमानुसार एक बार जो ऑप्शन दे देता है वह चेंज नहीं होती यदि विभाग 2010 से पूर्व नियुक्त टीजीटी जो 26.4 .2010 के बाद पीजीटी या प्रवक्ता स्कूल पद पर प्रोन्नत हो चुके हैं उनको मुख्याध्यापक की ऑप्शन बहाल करती है तो यह कोर्ट के निर्णय की अवमानना होगी और जो टीजीटी लगभग 25 से 30 वर्षों तक टीजीटी पद पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं वे प्रोन्नत नहीं होंगे और न ही उन्हें सी एंड वी की तरह 20 साल की सेवा के बाद दो इंक्रीमेंट मिलती है।
मुख्याध्यापक बनने के लिए यही टीजीटी पात्र हैं
यह टीजीटी के साथ अन्याय होगा यदि विभाग कुछ लोगों के कहने पर ऑप्शन बहाल करता है तो टीजीटी कोर्ट में जाने के लिए बाध्य होंगे| बहुत से टीजीटी हैं जो प्रवक्ता बनने की योग्यता रखते हुए भी प्रवक्ता या मुख्याध्यापक के विकल्प में से मुख्याध्यापक बनने के विकल्प को चुन चुके हैं, मुख्याध्यापक बनने के लिए यही टीजीटी पात्र हैं। नए वेतनमान में टीजीटी वर्ग के वे शिक्षक जो मुख्याध्यापक का विकल्प चुन चुके हैं उनको वित्तीय हानि हुई है। प्रवक्ता पद पर पदोन्नत हुए टीजीटी केडर के शिक्षक नए वेतनमान का अच्छा-खासा लाभ लेकर भी अब मुख्याध्यापक बनने के सपने देखने लगे हैं।
मुख्याध्यापक बनकर वे किस श्रेणी में आना चाहते हैं
भर्ती एवं पदोन्नति नियमों में स्पष्ट है कि पदोन्नति पाने पर मात्र दो साल तक पिछले केडर में वरिष्ठता रह सकती है, बाद में नहीं। संघ के पदाधिकारियों ने टीजीटी के रूप में आठ साल की सेवाएं पूरी न करने वाले पदोन्नत प्रवक्ताओं को भी मुख्याध्यापक न बनाने की बात कही। उन्होंने एफ. आर एवं पदोन्नति नियमों का हवाला देते हुए उनकी पदोन्नति पर उंगली उठाई है। टीजीटी से प्रवक्ता न्यू बने शिक्षक खुद को क्लास टू मानते हैं तो मुख्याध्यापक बनकर वे किस श्रेणी में आना चाहते हैं
संघ अपने अधिकारों के लिए उच्च न्यायालय में भी जाएगा
गौरतलब है कि जब कोई जेबीटी टीजीटी बन जाता है तो उसे जेबीटी केडर में पदोन्नति का कोई अवसर नहीं मिलता तो एक ही विभाग में दोहरे नियम क्यों ? इन शिक्षकों ने सरकार को टीजीटी के भर्ती एवं पदोन्नति नियमों को न बदलने के लिए भी चेताया। शीघ्र ही संघ के चुनिंदा प्रतिनिधि इस संदर्भ में शिक्षा निदेशक, शिक्षा सचिव, शिक्षा मंत्री व मुख्यमंत्री से भी मुलाकात करेंगे। यदि आवश्यक हुआ तो संघ अपने अधिकारों के लिए उच्च न्यायालय में भी जाएगा। इस वर्चुअल मीटिंग में 50 से अधिक शिक्षकों ने हिस्सा लिया।इन वरिष्ठ टीजीटी शिक्षकों में अक्षय कुमार, अशोक शांडिल,हरीश गुप्ता, हुसन नेगी, कुलदीप सिंह, नरेश कुमार, निशिकांत शर्मा, राजेश दत्त, राजेश धीमान, प्रोमिला जसवाल इत्यादि शामिल थे।
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