घुमारवीं ग्रीष्मोत्सव में लंगर लगाने वाली जुध्या देवी पर लिखी गई यह खूबसूरत कविता

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बिलासपुर : घुमारवीं के ग्रीष्मोत्सव में लंगर लगाने वाली जुध्या देवी ने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया है । 90 वर्षीय बुजुर्ग महिला समाज हित के कार्यों में हमेशा तत्पर रहती थी । वह घुमारवीं के मेले में 25 से 26 सालों से लंगर लगाती आ रही थी । पति और बेटे की मृत्यु के बाद अकेले ही पुण्य के कार्यों जैसे बड़े कारनामे करती थी । मंगलवार शाम 6 बजे उनकी हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई । जुध्या देवी पर अभिषेक टेसू ने बहुत ही खूबसूरत कविता प्रस्तुत की है । उनके द्वारा लिखी गई कविता कुछ इस प्रकार है………..

 

 

लंगर वाली दादी

इतने साल लंगर लगाया तो प्रसिद्ध नहीं हुई जुध्या दादी……

इस साल लोगों ने प्रसिद्ध की तो छोड़ के चली गईं दादी ये घनी आबादी…..

काश ना प्रसिद्ध की होती इस बार लंगर वाली दादी……..

तो कुछ और साल मेले में लोगों को लंगर खिला देती दादी ,बड़े दिल वाली थीं लंगर वाली दादी….

ना मदद को किसी से गुहार लगाती थीं…..

अपनी ही नेक कमाई से छोटा पर बड़े दिल वाला लंगर चलाती थीं………

चली गईं इस संसार से सारे बंधन तोड़ के…….

पर चली गईं इस स्वार्थी संसार के लिए मानवता का उदाहरण छोड़ के…..

प्रेम अभिषेक टेसू
घुमारवीं

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