THE NEWS WARRIOR
23 /12 /2022
सहकारी समितियों की दशा बदलने की कवायद अब शुरू
हिमाचल
हिमाचल के ग्रामीण इलाकों की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी कही जाने वाली सहकारी समितियों की दशा बदलने की कवायद अब शुरू हो चुकी है। केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय द्वारा देश भर में कृषि सेवा सहकारी समितियों के कंप्यूटराइजेशन की परियोजना बनाई गई थी। जिस पर अमलीजामा पहनाने का काम शुरू हो चूका है।
मंत्रालय की ओर से देशभर में सहकारी सभाओं का कंप्यूटरीकरण किया जा रहा है, जिसे नाबार्ड की देखरेख में क्रियान्वित किया जा रहा है। इस परियोजना की लागत लगभग 2516 करोड़ है।
10 प्रतिशत खर्च करेगी राज्य सरकार
हमीरपुर स्थित सहकारिता विभाग के सहायक पंजीयक ई. प्रत्युष चौहान ने बताया कि हिमाचल में इस प्रोजेक्ट पर राज्य सरकार 10 प्रतिशत खर्च करेगी। जिसमें हरेक सहकारी सभा को लगभग 4 लाख का सहयोग मिलेगा, जिसमें कंप्यूटर, उद्यम संसाधन योजना सॉफ्टवेयर तथा सभा कर्मचारियों को प्रशिक्षण आदि शामिल होगा।
अंतिम तारीख 9 जनवरी
बीते माह नाबार्ड द्वारा कंप्यूटराइजेशन के लिए सिस्टम इंटीग्रेटर्स नियुक्त करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर तकनीकी एवं वितीय निविदाएं आमंत्रित कर ली गई हैं। निविदा में हिस्सा लेने के लिए 9 जनवरी 2023 अंतिम तिथि रखी गई है। उसी दिन तकनीकी निविदाएं खोली जाएंगी। बोली से पूर्व मानदंड पूरे करने वाले सफल बोलीदाताओं की वित्तीय निविदाएं बाद मे खोली जाएंगी
सुधार लाने के लिए उठाए कदम
सहकारिता विभाग द्वारा जिला हमीरपुर में 125 सहकारी समितियों का अनुमोदन करके राज्य स्तरीय कमेटी को भेज दिया गया था। सिस्टम इंटीग्रेटिव के नियुक्त होते ही परियोजना पर काम शुरू हो जाएगा। सहकारी सभाओं में बढ़ते गबन एवं जमाराशि के दुरुपयोग के मामलों के कारण सहकारिता में लोगों का विश्वास घटने लगा था। विभाग द्वारा पहले भी कई कदम सहकारिता के क्षेत्र में सुधार लाने को लिए गए हैं।
कर्मचारियों की भर्ती के लिए नियम लागू किया
जिनमें सभाओं में कर्मचारियों की भर्ती नियम लागू होना। गलत ऋण देने में गलती पाए जाने पर सभा सचिव और प्रबंधक समिति की जवाबदारी तथा ऋण वापस ना करने वालों को 30 दिन का कारावास शामिल है। इसके साथ जमीन कुर्की और नीलामी जैसे सख्त कदम लेना शामिल हैं।
कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की
गलती छुपाने वाले प्रमाणित अंकेक्षक एवं विभागीय कर्मचारियों पर भी अनुशासनात्मक कार्रवाई बीते दिनों की गई है। अब इस नए कदम से सहकारिता के क्षेत्र में पारदर्शिता बढ़ेगी। युवा तबका सहकारिता से जुड़ेगा और तकनीक के उपयोग से लोगों को सहूलियत भी मिलेगी।
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