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15 /12 /2022
MBBS में दाखिला लेने वाली हिमाचल की पहली व्हील चेयर यूज़र बन गई निकिता चौधरी
हिमाचल
दिव्यांग छात्रा निकिता चौधरी को आखिरकार हिमाचल के डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज, टांडा ने MBBS में दाखिला दे ही दिया। हिमाचल हाईकोर्ट के आदेश पर कॉलेज को निकिता को दाखिला देना ही पड़ा। इसके साथ ही निकिता MBBS में दाखिला लेने वाली हिमाचल की पहली व्हील चेयर यूज़र बन गई है।
मेडिकल कॉलेज ने पहले उसकी दिव्यांगता के कारण नियमों का हवाला देते हुए उसे प्रवेश देने से इनकार कर दिया था। न्याय के लिए उसकी फरियाद को पिछली सरकार ने भी अनसुना कर दिया गया था। उमंग फाउंडेशन ने उसके साथ हुए अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई और मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा।
हाईकोर्ट में दायर की गई थी याचिका
उमंग फाउंडेशन ने 12 नवंबर को हाईकोर्ट में याचिका दायर करके निकिता के लिए न्याय मांगा था। हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति सबीना और न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने सरकार को आदेश दिए कि निकिता चौधरी को टांडा मेडिकल कॉलेज में तुरंत दाखिला दिया जाए। इसके बाद चिकित्सा शिक्षा निदेशक प्रो. रजनीश पठानिया की अध्यक्षता में मेडिकल कॉलेजों के प्रधानाचार्य की एक उच्चस्तरीय बैठक हुई, जिसमें हाईकोर्ट के आदेश का पालन करने को कहा गया।
किसी और को दे दी गई थी निकिता की सीट
टांडा कॉलेज ने निकिता को दाखिला देने से इनकार करके उसकी सीट जनरल कोटे में शाम्भवी को दे दी थी। अब निकिता को सीट देने के लिए सीट आवंटन में काफी फेरबदल करना पड़ा। शाम्भवी को टांडा से लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज, मंडी में उसके मूल आवंटित मेडिकल कॉलेज में भेजा गया है। मंडी से चक्षिता सिंह को हमीरपुर के डॉक्टर राधाकृष्णन मेडिकल कॉलेज में और वहां से अंकिता को चंबा के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में भेजा गया है।
निकिता का विकलांगता का प्रमाण पत्र रिजेक्ट किया गया
उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष और राज्य विकलांगता सलाहकार बोर्ड के विशेषज्ञ सदस्य प्रो. अजय श्रीवास्तव ने बताया किा कांगड़ा जिले की तहसील बड़ोह के गांव सरोत्री की निकिता चौधरी ने इस वर्ष नीट की परीक्षा पास की है। वह विकलांगता के कारण व्हीलचेयर यूजर है। कांगड़ा के मेडिकल बोर्ड ने उसे 75% विकलांगता का प्रमाण पत्र दिया था। निकिता को मेरिट के आधार पर राज्य कोटे की MBBS की सीट टांडा मेडिकल कॉलेज में मिलनी थी, लेकिन कॉलेज ने नियमों का हवाला देकर उसे दाखिला देने से इनकार कर दिया।
नियमों के विपरीत दोबारा कराया मेडिकल
अजय ने बताया कि टांडा मेडिकल कॉलेज ने नीट के नियमों के विपरीत जाकर निकिता का दोबारा मेडिकल कराया और प्रमाण पत्र में उसकी विकलांगता 90% कर दी। वहां उससे यह भी कहा गया कि तुम पढ़ाई के दौरान व्हीलचेयर से कैसे चल पाओगी। कांगड़ा के मेडिकल बोर्ड और चंडीगढ़ के मेडिकल कॉलेज के अधिकृत बोर्ड ने उसकी विकलांगता को ‘प्रोग्रेसिव’ नहीं बताया था। टांडा मेडिकल कॉलेज के बोर्ड ने प्रमाण पत्र पर लिखा कि उसकी बीमारी प्रोग्रेसिव है, यानी भविष्य में और भी बढ़ सकती है।
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