THE NEWS WARRIOR
27 /02 /2022
भारत माता के लाल, अमर बलिदानी आजाद जी की पुण्यतिथि पर शत्-शत् नमन
शहीद चन्द्रशेखर आज़ाद स्वतंत्रता एक भारतीय सेनानी थे। चन्द्रशेखर आज़ाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को मध्य प्रदेश के भाबरा गाँव में हुआ। इनके पिता का नाम पण्डित सीताराम तिवारी और माता का नाम जगरानी देवी था। ‘मैं आज़ाद हूँ, आज़ाद रहूँगा और आज़ाद ही मरूंगा’यह नारा चंद्रशेखर आज़ाद का दिया हुआ है। मात्र 24 साल की उम्र चन्द्रशेखर अंग्रेजों के खिलाफ लड़ते हुए शहीद हो गए थे।
मां भारती के उस शेर की तस्वीर
बड़ी-बड़ी आंखें, बलवान शरीर, मझला कद, चेहरे पर स्वाभिमान और देश प्रेम की चमक, तनी हुई नुकीली मूछें, ऊपर से कठोर, अन्दर से कोमल, चतुर और कुशल निशानेबाज. इन शब्दों से मां भारती के उस शेर की तस्वीर बनती है जिन्हें हम चंद्रशेखर आजाद के नाम से जानते हैं. आज चंद्रशेखर आजाद की पुण्यतिथि है. महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद 27 फरवरी 1931 को शहीद हुए थे.
चंद्रशेखर आजाद का जीवन ही नहीं उनकी मौत भी प्रेरणा देने वाली
चंद्रशेखर आजाद का जीवन ही नहीं उनकी मौत भी प्रेरणा देने वाली है. आजाद ने अंग्रेजों के पकड़ में ना आने की शपथ के चलते खुद को गोली मार ली थी. आजाद जब तक जिए आजाद रहे, उन्हें कोई कैद नहीं कर पाया. उनकी पुण्यतिथि पर हम आपको उनके जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं.
दुश्मन की गोलियों का हम सामना करेंगे, हम आज़ाद थे, आज़ाद हैं, आज़ाद रहेंगे।
चन्द्रशेखर आज़ाद !
मेरा नाम आज़ाद है, मेरे पिता का नाम स्वतंत्रता और मेरा घर जेल है।
चन्द्रशेखर आज़ाद !
यदि कोई युवा मातृभूमि की सेवा नहीं करता है, तो उसका जीवन व्यर्थ है।
चन्द्रशेखर आज़ाद !
15 साल की उम्र में गांधी जी के असहयोग आंदोलन में गिरफ्तार होने के बाद कोर्ट में दिए गए जवाबों ने उन्हें मशहूर कर दिया. उन्होंने जज के पूछने पर अपना नाम आजाद, पिता का नाम स्वतंत्रता, घर का पता जेल बताया. इससे नाराज होकर जज ने उन्हें 15 कोड़ों की सजा दी. मगर इतनी सख्त सजा के बावजूद भी वो हर कोड़े पर वे वंदे मातरम और महात्मा गांधी की जय कहते रहे. इसके बाद से ही उनका नाम आजाद पड़ गया.
संकल्प लिया था कि वे कभी भी जालिम अंग्रेजों के हाथ नहीं आएंगे
आजाद जिंदगी भर अपने नाम के मुताबिक आजाद जिंदगी जीत रहे. उन्होंने संकल्प लिया था कि वे कभी भी जालिम अंग्रेजों के हाथ नहीं आएंगे और उन्हें फांसी लगाने का मौका अंग्रेजों को कभी नहीं मिल सकेगा और अपने इसी वचन को आजाद ने पूरी तरह से निभाया.