भूमि -अधिग्रहण लगाएगा सरकार को ग्रहण : बी.आर कौंडल ।
जनता के साथ आज तक का सबसे बडा़ धोखा
The News Warrior
04 /07 /2022
भूमि अधिग्रहण के समय लोगों की नहीं हुई सुनवाई। अधिसूचना जारी करते सरकारी हो जाती है अधिग्रहित भूमि। आधा -अधूरा मुआबजा़ जमा कर दिया जाता है व्यक्ति के खाते में और फिर शुरू हो जाता है मुक्कदमेंवाजी का कूचक्र ।
इस सारी प्रक्रिया में प्रदेश सरकार ने कभी भी लोगों का पक्ष नहीं लिया। उल्टा रोड़ निर्माण कार्य में लगी कम्पनीयों के पक्ष में प्रशासन का इस्तेमाल किया गया व लोगों को आधा-अधूरा मुआवजा़ देकर बेघर व भूमिहीन कर दिया गया । भूमि/मकानों का मुआवजा़ राशी आंकलन करने से पहले सर्कल रेट कम कर दिए गए ।
भूमि अधिग्रहण से सम्बन्धित कानून -2013 व रीसैटलमैन्ट स्कीम का लोगों को लाभ नहीं दिया गया। लोगों की बची भूमि की निशानदेही नहीं की गई व लोगों को राजस्व विभाग के रैहमोकर्म पर छोड़ दिया गया।
कुछ जगहों पर रोड़ की लाईनमैंट बिना केन्द्रिय सरकार व वन विभाग की ईजाज़त के बदल दी गई। कुछ प्रभावशाली लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए जरुरत से ज्यादा भूमि व मकान/होटल अधिग्रहण कर लिए गए तथा आम आदमी सही मुआवजे़ के लिए भटकता रहा।
पूरी प्रक्रिया में किसी भी व्यक्ति को ‘ Loss of earning’ की राशी नहीं दी गई। किराएदार बिना कोई मुआवजा दिए मकानों से निकाल दिए गए। किरतपुर से नागचला तक 100 प्रतिशत सौलेशियम नहीं दिया गया जो कि मा. उच्चतम न्यायलय के आदेश की अवहेलना है। लोगों की शेष बची भूमि पर टी.सी.पी. नियम लगा देने के कारण लोग अपनी भूमि पर मकान नहींं बना पा रहे हैं। सड़क से पांच मीटर भूमि तक कोई भी व्यक्ति मकान तामीर नहीं कर सकता व यदि किसी ने दूकान डालनी है तो उसे आठ मीटर भूमि सड़क के किनारे छोड़नी होगी।
इस प्रकार की हजारों समस्याओं से लोग झूझ रहे हैं, लेकिन सरकार कमेटीयां गठित कर के लोगों को धोखा देती रही।
अब समय लोगों का है। सत्तापक्ष खामोश है, प्रतिपक्ष बडे़-बडे़ वादे कर रहा है । जब प्रतिपक्ष सत्ता में था तो इन का रूख भी वही था जो आज सत्तापक्ष का है। लोग जायें तो जायें कहां। सरकारी तन्त्र में भ्रष्टाचार व उपेक्षा का इतना बडा़ खेल इस देवभूमि में पहले कभी नहीं देखा था।
सरकार समय रहते आवश्यक कदम उठाए अन्यथा सरकार का जाना तय है।