बैसाखी का त्योहार क्यों मनाया जाता है, क्या है इसका इतिहास और महत्व, यहाँ पढ़ें

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The news warrior 

14 अप्रैल 2023

बिलासपुर : बैसाखी सिख धर्म का प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है। इस त्योहार को मुख्यरूप से सिख समुदाय के लोग व हिन्दू लोग बड़ी धूमधाम से मनाते हैं । सिख लोग इसे नव वर्ष के रूप में भी मनाते हैं  । यह त्योहार कृषि से जुड़ा हुआ है । अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार बैसाखी पर्व हर साल 13 अप्रैल को मनाया जाता है। वैसे कभी-कभी 12-13 वर्ष में यह त्योहार 14 तारीख को भी आ जाता है। इस बार यह पर्व 14 अप्रैल को मनाया जा रहा है ।  विशेषकर  पंजाब , हरियाणा व उतर भारत में बड़े हर्षोलास से मनाया जाता है । बैसाख  महीने में ही रबी फसलें पकती हैं और इनकी कटाई की जाती है । लोग फसल के कटने पर ईश्वर का शुक्रियादा करते हैं।  उन्हें धन्यवाद देते हैं । अनाज के कटकर घर आने पर लोग शाम में पूजा करते हैं और  खुशियां मनाते हैं।

 

इस तरह मनाते हैं बैसाखी का त्योहार

 

 

 

 

बैसाखी के समय आकाश में विशाखा नक्षत्र होता है ।  विशाखा नक्षत्र पूर्णिमा में होने के कारण इस माह को बैसाख कहते हैं ।  वैशाख माह के पहले दिन को बैसाखी कहा गया है ।

बैसाखी का त्योहार मनाने के पीछे का इतिहास

बैसाखी का त्योहार मनाने के पीछे मुख्य वजह अच्छी फसल के अलावा, इस दिन सिख समुदाय के लोग गुरुद्वारों में विशेष उत्सव मनाते हैं क्योंकि इस दिन सिख धर्म के 10वें और अंतिम गुरु, गुरु गोविंद सिंहजी ने 13 अप्रैल सन् 1699 में आनंदपुर साहिब में मुगलों के अत्याचारों से मुकाबला करने के लिए खालसा पंथ की स्थापना की थी। खालसा पंथ की स्थापना धर्म की रक्षा और समाज की भलाई के लिए की गई थी ।   इसके अलावा बैसाखी के दिन ही महाराजा रणजीत सिंह को सिख साम्राज्य का प्रभार सौंपा गया था । जिन्होंने एकीकृत राज्य की स्थापना की थी ।

 

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