THE NEWS WARRIOR
22 /03 /2022
दृष्टिहीन अंजना ने बनाए कामयाबी के नए आयाम
राज्य सरकार के चुनाव विभाग में लिपिक के पद पर हुआ अंजना का चयन
मेहनत और लगन से हासिल की सफलता
अनेक बच्चों के लिए बनी प्रेरणा
अंजना के संघर्षों में उमंग फाउंडेशन ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
बिलासपुर :-
अगर मन में विशवास हो और कुछ करने की चाह तो बड़ी से बड़ी बाधा रोक नहीं सकती हैं। ऐसा ही उदाहरण पेश किया हैं अंजना के संघर्ष व सफलता की कहानी,जो आज अनेक बच्चों के लिए प्रेरणा बनी हैं। अंजना जन्म से ही दृष्टिहीन हैं। निर्धनता और अनुसूचित जाति में जन्म लेने और सर पर माता पिता का साया न होने पर भी अंजना ने हार नहीं मानी और लगातार मेहनत कर सफलता हासिल की हैं। अंजना ने आर्थिक तंगी को दूर से नहीं देखा बल्कि जिया हैं, लेकिन प्रतिभा, मेहनत, लगन और ईमानदारी जैसे गुण ईश्वर ने उसे उपहार में प्रदान किए हैं । मेहनत और लगन से अंजना का चयन राज्य सरकार के चुनाव विभाग में लिपिक के पद पर हो गया हैं।
स्कूल की शिक्षा की प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण
सुंदरनगर स्थित राज्य सरकार द्वारा संचालित दृष्टिबाधित छात्राओं के विशेष विद्यालय में अंजना ने बचपन से लेकर दसवीं तक की पढ़ाई पूरी की। उसके बाद उमंग फाउंडेशन द्वारा दसवीं की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण करने के बाद उसका दाखिला शिमला के प्रतिष्ठित पोर्टमोर स्कूल में करा दिया गया जहां अंजना ने अन्य दृष्टिबाधित छात्राओं के साथ पढ़ाई की। हॉस्टल में रहकर अंजना ने 12वीं की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास की। बिलासपुर जिले के घुमारवीं कॉलेज के हॉस्टल में रहकर उसने प्रथम श्रेणी में बीए किया। पिछले वर्ष हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में एमए (इतिहास) में प्रवेश लिया
पोर्टमोर स्कूल से किया कंप्यूटर कोर्स
उमंग फाउंडेशन के संस्थपक अजय श्रीवास्तव का कहना है की जब अंजना 9वीं कक्षा में थी तो उनसे उसकी मुलाकात हुई और तब से वह उनकी बेटी बन गई। अजय श्रीवास्तव ने अंजना की पूरी पढ़ाई की जिम्ममेवारी ली। अजय श्रीवास्तव ने बताया की वर्ष 2016 में काफी प्रयास करके अंजना और पोर्टमोर स्कूल में उसके साथ पढ़ रही अन्य दृष्टिबाधित छात्राओं को आई.टी.आई में कंप्यूटर का कोर्स शुरू कराया। अंजना अन्य छात्रा के साथ अपने बैच की टॉपर बनी।
कंप्यूटर पर काम करता देखकर हैरत में पड़ जाते हैं लोग
अंजना को कंप्यूटर पर काम करता देखकर लोग हैरत में पड़ जाते हैं। वह फेसबुक, व्हाट्सएप, टेलीग्राम एवं ऐसे ही अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सक्रिय है। उसके संघर्षों में अनेक लोगों ने अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अंजना के संघर्षों में अनेक लोगों ने निभाई अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका
अजय श्रीवास्तव ने बताया की अंजना के संघर्षों में अनेक लोगों ने अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं। उन्होंने बताया की उमंग फाउंडेशन के महासचिव यशवंत राय, मेरी पूर्व विद्यार्थी और घुमारवीं कॉलेज में पत्रकारिता की सहायक प्रोफेसर एवं हॉस्टल वार्डन डॉ. रीता दीवान, पत्रकार मनीष गर्ग तथा पोर्टमोर स्कूल की शिक्षिका सरिता चौहान की इसमें मुख्य भूमिका रही। इनके अलावा उमंग फाउंडेशन से जुड़े युवाओं- ज्योति गौतम, मोनिका राव, मीनू चंदेल, अमृता नेगी, सवीना जहां, यश ठाकुर, मुकेश कुमार, विशाल और बबिता देवी आदि ने समय-समय पर उसका साथ दिया। उसकी सहपाठी छात्राओं ने भी हमेशा उसकी चिंता की। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सिकंदर कुमार और इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर अरुण सिंह भी इनमें शामिल हैं।
विकट परिस्थितियों में न हारे हिम्मत
अजय श्रीवास्तव ने बताया की एक बेटी की यह कहानी इसलिए शेयर कर रहा हूं कि कोई भी लड़की विकट से विकट परिस्थितियों में हिम्मत न हारे। गरीबी, जाति का दंश, विकलांगता और ऐसे ही अनेक कारण अक्सर युवाओं का हौसला तोड़ देते हैं। लेकिन जब वह हिम्मत करते हैं तो समाज का एक वर्ग उनका हौसला बढ़ाने के लिए भी आगे आता है। अंजना जैसे बच्चे विपरीत परिस्थितियों को लाँघ कर अपने पैरों पर खड़े हो जाते हैं। उन्होंने बताया की निजी तौर पर मेरे लिए आज यह बहुत ही खुशी का दिन है।
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