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28 जनवरी 2023
शिमला : राजधानी शिमला में पीने का पानी महंगा हो गया है। पेयजल कंपनी के पानी की दरें दस फीसदी बढ़ाने के प्रस्ताव को प्रदेश सरकार ने मंजूरी दे दी है। इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। ऐसे में अब हर महीने लोगों को पहले से ज्यादा पानी का बिल चुकाना पड़ेगा। अधिसूचना के अनुसार बढ़ी हुई नई दरें 24 जनवरी से लागू मानी जाएगी। फरवरी से ही लोगों को नई दरों पर पानी के बिल जारी किए जाएंगे। शिमला शहर में 35 हजार के करीब पेयजल उपभोक्ता हैं।
पेयजल दरों में 10 फीसदी की बढ़ोतरी होना तय
सतलुज जल प्रबंधन निगम लिमिटेड (एसजेपीएनएल) के महाप्रबंधक अनिल मेहता ने बताया कि एसजेपीएनएल द्वारा वर्ष 2018 से हर वर्ष पेयजल दरों में 10 फीसदी की बढ़ोतरी होना निर्धारित है जिसके चलते राजधानी शिमला व आसपास के क्षेत्रों में 24 जनवरी से यह बढ़ी हुई दरें लागू कर दी गई है। उन्होंने बताया कि घरेलू व व्यवसायिक दोनों तरह के उपभोक्ताओं के लिए 10 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है जबकि अन्य किसी भी प्रकार के मीटर रेंट या नए कनेक्शन जैसे सेवाओं का शुल्क नहीं गया है।
इससे करीब 25 हजार घरेलू जबकि 10 हजार व्यावसायिक उपभोक्तओ पर इसका असर पड़ेगा। दस हजार घरेलू उपभोक्ता ऐसे हैं जिनका मासिक बिल अभी 200 रुपये से भी कम आ रहा है। इन पर बढ़ी दरों का कम असर पड़ेगा। नई दरों के बाद इनका बिल बढ़कर 220 तक पहुंच जाएगा। बढ़ी हुई पेयजल दरों का ज्यादा असर उन उपभोक्ताओं पर पड़ेगा जिनकी पानी की खपत ज्यादा है।
माकपा ने किया बढ़ोतरी का कड़ा विरोध
माकपा की लोकल कमेटी शिमला ने पानी की दरों में बढ़ोतरी करने का कड़ा विरोध किया है। माकपा सचिव जगत राम ने बताया कि जनता पहले ही महंगाई की मार झेल रही है ऐसे में पानी की दरों में बढ़ोतरी करके जनता की जेब पर अतिरिक्त बोझ डालना पूरी तरह जनता के साथ गैर इंसाफी है सरकार व जल प्रबंधन कंपनी द्वारा तर्क दिया जा रहा है कि विश्व बैंक प्रोजेक्ट की शर्तों के अनुसार हर साल पानी की दरों में 10 फीसदी की बढ़ोतरी करना जरूरी है। माकपा ने सरकार व नगर निगम से मांग की है कि किसी भी प्रोजेक्ट में ऐसी शर्तें तय ना की जाए जो जनता के खिलाफ हो या जनता के हितों पर कुठाराघात करती हो ।
विश्व बैंक प्रोजेक्ट के साथ प्रतिवर्ष 10% पानी की दरों में बढ़ोतरी की शर्तों को निरस्त किया जाए ताकि शिमला शहर की जनता को राहत प्रदान की जा सके पिछली सरकार ने प्रदेश में गांव में पानी के बिलों को माफ किया गया था। अतः बढ़ोतरी को वापस लिया जाए। शिमला में पानी की सप्लाई को नियमित किया जाए। यदि सरकार ने इस जनविरोधी फैसले को वापस नहीं लिया तो सीपीआईएम इसके खिलाफ आंदोलन करने को मजबूर होगी।