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19 /08 /2022
नवमीं को रोट चढ़ाने की परंपरा के साथ ही शनिवार को गुग्गा मेलों की शुरुआत हो जाएगी
बिलासपुर:
जहरीले सांपों व अन्य कीड़े मकोड़ों से ग्रामीणों व उनके मवेशियों की रक्षा करने के साथ ही सुख समृद्धि प्रदान करने वाले लोकदेवता गुग्गा जाहरपीर की कार के समापन पर गुग्गा नवमीं को रोट चढ़ाने की परंपरा के साथ ही शनिवार को गुग्गा मेलों की शुरुआत हो जाएगी । बिलासपुर जिले में इस देवता की बहुत अधिक मान्यता है । प्रत्येक गांव के घर घर में गुग्गा गाथा मंडलियां गुग्गा जाहरपीर की महिमा का गुणगान करते हैं । ये मंडलियां रक्षाबंधन दिन से गुग्गा की कार शुरू कर देते हैं । ये भक्तजन कार के दौरान आठ दिनों तक नंगे पांव चलते हैं तथा चारपाई पर सोने के बजाए भूमि पर सोते हैं । मंडलियों के अलावा की भक्त गुग्गा की प्रतीकात्मक लोहे की छड़ी हाथ में उठाए गुग्गा जाहरपीर का अलख जगाते हैं ।
गुग्गा की महिमा का गुणगान
कार के दौरान किसी न किस घर में गुग्गा का डेरा होता है । जिसमें पूरी रात गुग्गा की महिमा का गुणगान किया जाता है । इस कार्यक्रम में पूरी मंडली उपस्थित रहती है । कृष्ण जन्माष्टमी के बाद गुग्गा नवमीं को गुग्गा नवमीं के दिन रोट चढ़ाया जाता है । उसके बाद गुग्गा के मेले शुरू शुरू हो जाते हैं । बिलासपुर जिले में गुग्गा के नाम से पहले विकास खण्ड व विधानसभा चुनाव क्षेत्र था । गेहडवीं में गुग्गा जाहर पीर का प्राचीन मन्दिर है । गुग्गा मोहड़ा के नाम से एक स्थान है । बरमाणा को तो पहले गुग्गा भटेड के नाम से जाना जाता है । भटेड में भी मेला होता है । पूरे जिले में एक दर्जन से अधिक गंगेहड़ियों में गुग्गा जाहर पीर के मेले लगते हैं
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