बिलासपुर का चंपा पार्क क्यों पड़ा इसका नाम चंपा पार्क

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हिमाचल प्रदेश प्रदेश का बिलासपुर जिला हमेशा से आंदोलनों के लिए जाना जाता है चाहे राजाओं के समय प्रजामंडल आंदोलन हो या फिर 1971 के में कर्मचारियों का आंदोलन I क्रांति की कोई भी ज्वाला बिलासपुर से ही उठती है I जिला बिलासपुर में धरना प्रदर्शन के लिए शहर के बीचोबीच एक स्थान है जिसका नाम है चंपा पार्क ! सियासतदारों के आंदोलन हो या फिर दुखीहारी जनता अपने हक़ के लिए लड़ना हो एसा कोई भी नही जो इस जगह न आया हो I नई पीढ़ी शायद ही यह जानती है कि इसका नाम चंपा पार्क  क्यों रखा गया है I चलिए आपको बताते हैं की इसका नाम चंपा पार्क क्यों रखा गया था I
बात जून सन 1972 की है,उस वक्त सत्ता में कांग्रेस सरकार थी और मुख्यमंत्री डॉ वाईएस परमार थे I रोजगार देने का वादा पूरा न करने को लेकर बिलासपुर में 48 प्रशिक्षित अध्यापक और अध्यापिकाओं ने  सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और जिलाधीश कार्यालय में अपनी मांग को लेकर  भूख हड़ताल शुरू कर दी थी I

फोटो चंपा कुमारी

इस भूख हड़ताल में बिलासपुर जिला के पंजगाई गाँव से पंडित गोवर्धन दास की बेटी चंपा कुमारी भी उनमें से एक थी ।   काफी दिनों तक चली इस भूख हड़ताल को सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया जिसका परिणाम यह हुआ कि काफी  दिनों तक भूखा रहने  की वजह से काफी आंदोलनकारी बीमार हो गए जिनमें सबसे अधिक गंभीर रूप से बीमार चंपा कुमारी  हुई जो की मासिक धर्म में भी हड़ताल पर बैठी रही I तबियत ज्यादा ख़राब होने पर उन्हें अस्पताल ले जाया गया परन्तु हालत गम्भीर होती गई जब जिला के डॉक्टरों से ईलाज नहीं तो शिमला स्नोडन से डॉक्टर बुलाए गए इस आन्दोलन को तवज्जो न देने वाली सरकार कुंभकरणीयं निंद्रा से जाग चुकी थी परन्तु तब तक बहुत देर हो चुकी थी I

फोटो अस्पताल में मृत चंपा कुमारी
फोटो अस्पताल में मृत चंपा कुमारी

इमरजेंसी वार्ड में दाखिल चंपा कुमारी भूख व मासिक धर्म में अधिक रक्तस्राव की वजह से जान गंवा बैठी थी I जब सरकार को इस बात का पता चला तो अंदर तक हिल चुकी सरकार ने आनन फानन में भूख हड़ताल पर बैठे सभी 48 लोगों को नियुक्ति पत्र जारी कर दिए उनमें से एक चंपा कुमारी का भी था ।। सरकार ने लोगों को पता लगने से पहले ही चंपा कुमारी के भाई को बुलाया और शरीर को आग के हवाले कर दिया जैसे  ही बिलासपुर शहर में चंपा कुमारी की मौत का पता चला पूरा शहर उग्र हो गया और एक  आंदोलन खड़ा हो गया पंडित नरोत्तम दत शास्त्री की अध्यक्षता में एक सर्वदलीय नागरिक संघर्ष समिति बनाई गई जिसके दबाव में सरकार ने हाई कोर्ट के जज से इस घटना की जांच की घोषणा कर दी जिसमें हमेशा की तरह सरकार को ही निर्दोष साबित किया परंतु कुछ महीनों बाद सरकार ने लोगों कि भावनाओं को शांत करने के लिए चंपा कुमारी  के नाम से पार्क  की घोषणा कर दी ।। तब से यह पार्क चंपा कुमारी के नाम से जाना जाता है I
बिलासपुर के इतिहास में चंपा कुमारी का बलिदान  एक बड़ी घटना है I

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