भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा, पूरे कार्यक्रम में एकत्रित होंगे 25 लाख श्रद्धालु

The News Warrior
0 0
Spread the love
Read Time:3 Minute, 37 Second

 

The news warrior

20 जून 2023

ओडिशा : आज विश्व प्रसिद्ध ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा दोपहर को  निकाली जाएगी ।  भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ तकरीबन ढाई से तीन किमी दूर गुंडिचा मंदिर जाएंगे ।  यह उनकी मौसी का घर माना जाता है । इस रथयात्रा में बहुत से लोगों के आने की संभावना है । मान्यता  है कि इस रथ यात्रा में शामिल होना 100 यज्ञों के बराबर होता है । यह यात्रा भव्य तरीके से ढोल नगाड़ों के साथ निकाली जाती है ।

रथ बनाने के लिए कील या किसी धातु का नहीं होता प्रयोग

जगन्नाथ यात्रा के लिए तीन भव्य रथ बनाए गए हैं । भगवान जग्गनाथ, बलभद्र व सुभद्रा देवी के रथ नीम की पवित्र और परिपक्व लकड़ियों से बनाये जाते हैं । इन रथों के निर्माण में किसी भी प्रकार के कील या कांटे या अन्य किसी धातु का प्रयोग नहीं होता है । सभी रथों में  इतनी हल्की लकड़ियां प्रयोग की जाती हैं कि रथ को आसानी से खींचा जा सके । यह रथ बनाने में दो महीने का समय लगता है । जब तक रथ बनकर तैयार नहीं हो जाता तब तक पूरे 2 महीने के लिए कारीगर वहीं रहते हैं और सभी नियमों का पालन करते हैं ।

 

जनता का हाल जानने निकलते हैं तीनों भाई बहन

भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा के पीछे की मान्यता है कि इस दौरान भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई और बहन के साथ रथ पर सवार होकर जनता का हाल जानने के लिए निकलते हैं । एक कथा के अनुसार एक बार देवी सुभद्रा ने अपने भाई श्रीकृष्ण और बलराम से द्वारिका दर्शन की इच्छा जाहिर की, जिसे पूरी करने के लिए तीनों रथ पर सवार होकर द्वारका नगर भ्रमण पर निकले तभी से रथयात्रा हर साल होती है ।

 

सोने की झाड़ू से की जाती है रथ मंडप की सफाई

रथयात्रा शुरू करने से पहले सोने की झाड़ू से रथ मंडप की सफाई की जाती है ।  इसे छर पहनरा कहा जाता है ।  झाड़ू लगाने के बाद मंत्रोच्चारण के साथ शुभ मुहूर्त में ढोल, नगाड़े, तुरही और शंख ध्वनि बजाकर भक्तगण रथों को खींचते हैं और भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है ।

 

गुंडींचा मंदिर भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर

भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा गुडींचा मंदिर के पास रुकती है । गुंडींचा मंदिर को भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर कहा जाता है ।  यहां रथ सात दिनों तक ठहरता है । इसके बाद आषाढ़ शुक्लपक्ष की दशमी तिथि को रथों को मुख्य मंदिर की ओर फिर से ले जाया जाता है और मंदिर के ठीक सामने लगाया जाता है ।  हालांकि इस दौरान प्रतिमाओं को रथ से निकाला नहीं जाता है ।
Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

ओडिशा ट्रेन हादसा, रेलवे सिग्नल जेई का घर CBI ने किया सील, पढ़ें पूरी खबर

Spread the love   The news warrior 20 जून 2023 ओडिशा : ओडिशा के बालासोर ट्रेन हादसे के मामले में  नया अपडेट सामने आया है । इस मामले से जुड़े रेलवे सिग्नल जूनियर इंजीनियर का घर सीबीआई ने सील कर दिया है । सीबीआई ने शुरुवाती जांच के दौरान उससे […]

You May Like