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09 /04 /2022
सिरमौर में बागवानों का रुझान स्ट्राबेरी उत्पादन की ओर बढ़ा
इस साल ज़िला के 300 के करीब किसान व बागवान इस उत्पादन से जुड़े
मौजूदा समय में जिले में 30-32 हेक्टेयर जमीन में स्ट्राबेरी खेती की गई
बागवानी विभाग ने ढाई करोड़ रुपये के करीब स्ट्राबेरी उत्पादकों की आमदनी का अनुमान जताया
सिरमौर:-
जिला सिरमौर में पिछले एक दशक के मुकाबले इस बार बागवानों का रुझान स्ट्राबेरी उत्पादन की ओर बढ़ा है। इस साल ज़िला के 300 के करीब किसान व बागवान इस उत्पादन से जुड़े हैं, जो गत वर्ष का मुकाबले काफी अधिक है। मौजूदा समय में जिले में 30-32 हेक्टेयर जमीन में स्ट्राबेरी खेती की गई है। बाजार में स्ट्राबेरी के दाम 50 से 70 रुपये प्रति पैकेट मिल रहे हैं। इस बार बागवानी विभाग ने ढाई करोड़ रुपये के करीब स्ट्राबेरी उत्पादकों की आमदनी का अनुमान जताया है। सिरमौर जिला के मैदानी इलाके खासकर पांवटा साहिब उपमंडल स्ट्राबेरी के उत्पादन के लिए जाना जाता है।
डेढ़ करोड़ की आमदनी बागवानों को हुई
नाहन उपमंडल के कुछ हिस्सों में भी इसकी खेती की जाती है। यहां की स्ट्राबेरी हिमाचल सहित पड़ोसी राज्यों में भी सप्लाई की जा रही है। उद्यान विभाग के अनुसार पिछले साल करीब 150 बागवानों ने ही स्ट्राबेरी की खेती की थी, जिससे डेढ़ करोड़ की आमदनी बागवानों को हुई। इस बार इस खेती की तरफ किसानों का रूझान बढऩे से आमदनी का आंकड़ा बढऩे की उम्मीद है। जबकि, इस साल शुरूआती दौर में बारिश अधिक होने से कुछ बागवानों को नुकसान भी उठाना पड़ा। जिला में स्ट्राबेरी की महत्वपूर्ण किस्म केमोरोजा, विंटरडोन आदि उगाई जाती है, जो काफी अच्छा उत्पादन दे रही हैं।
30 हेक्टेयर भूमि में करीब 250 से 300 किसान-बागवानों ने स्ट्राबेरी की खेती की
उद्यान विभाग के उपनिदेशक डा. सतीश शर्मा ने बताया कि जिला के राजगढ़ व सराहां क्षेत्र में स्ट्राबेरी की पौध तैयार की जाती है। जिसका जिला के मैदानी इलाके में स्ट्राबेरी का उत्पादन होता है। उन्होंने बताया कि स्ट्राबेरी की खेती जल्द नष्ट होने वाली होती है। लिहाजा, बागवान इसका उत्पादन या तो मार्किट के हिसाब से करते हैं या फिर उद्यान केंद्रों के आसपास इसकी खेती की जाती है। इस बार पांवटा साहिब व नाहन के मैदानी क्षेत्र में 30 हेक्टेयर भूमि में करीब 250 से 300 किसान-बागवानों ने स्ट्राबेरी की खेती की है। किसान-बागवानों को साढ़े 62 हजार रुपये की सब्सिडी साढ़े 12 बीघा खेती के लिए प्रदान की जाती है।
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