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22 /03 /2022
जल मनुष्य और जीव-जंतुओं के लिए बेहद जरूरी
पानी के बिना जीवन की कल्पना मात्र से ही लगता है डर
दुनिया भर के लिए जल की कमी का संकट एक विकट समस्या
दुनियाभर के लोगों में जागरुकता फैलाने के लिए 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है
जल दिवस विशेष:-
जल ही जीवन है! ये सुना तो कई बार होगा लेकिन समझते कम ही लोग है। तो जल के महत्व को बताने के उद्देश्य से ही हर साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है। आइए जानते हैं इस दिन से जुड़ी अन्य बातें।
आपने कई लोगों को ये कहते हुए सुना होगा कि ‘जल ही जीवन है।’ जल मनुष्य और जीव-जंतुओं के लिए बेहद जरूरी है। खेती करनी हो, घर का काम करना हो, नहाना हो, पीना हो आदि। इन सभी कामों के लिए जल बेहद जरूरी है। वहीं, दूसरी तरफ पानी के बिना जीवन की कल्पना मात्र से ही डर लगता है। बात अगर भारत की करें, तो यहां कई ऐसे शहर हैं जहां गर्मी के समय पानी की काफी किल्लत हो जाती है। जबकि आने वाले समय में इन शहरों के लिए काफी खतरा भी बना हुआ है। यही नहीं, दुनिया भर के लिए जल की कमी का संकट एक विकट समस्या के रूप में सामने खड़ा है। ऐसे में कैसे जल को बचाया जा सके और जल की क्या महत्वता है आदि। इन सब बातों को ध्यान में रखकर ही हर साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है। तो चलिए आपको इस दिन के बारे में विस्तार से बताते हैं
विश्व जल दिवस का इतिहास
बात अगर विश्व जल दिवस के इतिहास की करें, तो ब्राजील के रियो द जेनेरियो में ‘पर्यावरण तथा विकास का संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन’ साल 1992 के दिन आयोजित किया गया था। इसी दिन इस बात की घोषणा की गई थी कि हर साल 22 मार्च के दिन विश्व जल दिवस मनाया जाएगा। वहीं, 22 मार्च 1993 को पहला विश्व जल दिवस मनाया गया था।
विश्व जल दिवस को मनाने का कारण
जल एक ऐसा दुर्लभ प्राकृतिक संसाधन है, जो सिर्फ कृषि कार्यों के लिए ही नहीं बल्कि पृथ्वी पर जीवन के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है, लेकिन चिंतनीय स्थिति यह है कि जल की कमी का संकट न केवल भारत बल्कि दुनिया के लगभग सभी देशों की एक विकट समस्या बन चुका है। तो लोगों को जल का महत्व बताने और कैसे अलग-अलग तरीकों से उसे संरक्षित किया जा सकता है इसके लिए यह दिन मनाया जाता है।जल संरक्षण और रखरखाव को लेकर दुनियाभर के लोगों में जागरुकता फैलाने के लिए हर 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है। सही मायने में यह दिन जल के महत्व को जानने, समय रहते जल संरक्षण को लेकर सचेत होने और पानी बचाने का संकल्प लेने का दिन है।
2022 विश्व जल दिवस की थीम
विश्व जल दिवस हर साल एक थीम के साथ सेलिब्रेट किया जाता है। इस साल की थीम है – ‘भूजल: अदृश्य को दृश्यमान बनाना जिसे इंटरनेशनल ग्राउंडवाटर रिसोर्स अस्सेमेंट सेंटर द्वारा प्रस्तावित किया गया है।
हम सभी जानते हैं कि जिस तरह से धरती से जल तेजी से खत्म हो रहा है। ऐसे में जरूरी है कि इसे बचाने के लिए कुछ उपाय किए जाएं, नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब पूरी दुनिया जल के संकट से जूझती हुई नजर आएगी। इसलिए लोगों में जागरूकता फैलाने के महत्व से ये दिन मनाया जाता है।
जल दिवस को मनाने का तरीका
विश्व जल दिवस के मौके पर तरह-तरह के कार्यक्रमों का आयोजन होता है। नाटक, कविताओं, भाषण, पोस्टर, तस्वीरों और स्लोगन के जरिए लोगों को जल के महत्व और इसके संरक्षण की आवश्यकता को समझाने की कोशिश की जाती है।
महत्वपूर्ण जानकारी
– पृथ्वी का करीब तीन चौथाई हिस्सा पानी से भरा है, लेकिन धरती पर मौजूद पानी के विशाल स्त्रोत में से महज एक- डेढ़ फीसदी पानी ही पीने और दैनिक क्रियाकलापों योग्य है।
– दुनियाभर में इस समय करीब दो अरब लोग ऐसे हैं, जिन्हें स्वच्छ पेयजल उपलब्ध नहीं हो पा रहा है जिससे लाखों लोगों की बीमार होकर असमय मृत्यु हो जाती है।
– पृथ्वी पर उपलब्ध पानी की कुल मात्रा में से मात्र तीन प्रतिशत पानी ही स्वच्छ बचा है और उसमें से भी करीब दो प्रतिशत पानी पहाड़ों व ध्रुवों पर बर्फ के रूप में जमा है, बचे एक प्रतिशत पानी का इस्तेमाल पेयजल, सिंचाई, कृषि और उद्योगों के लिए किया जाता है।
क्यों बढ़ती जा रही है भूमिगत जल की अहमियत:-
दुनिया में पानी बहुत है लेकिन फिर संसार जल संकट का सामना कर रहा है. बहुत ही कम लोगों को यह समझ पाते हैं कि दुनिया में मौजूद कुछ ही तरह का पानी इंसानी उपयोग और पीने योग्य है. इस तरह के पानी की ना केवल मात्रा काफी कम है बल्कि हर जगह यह उपलब्ध भी नहीं हैं. संयुक्त राष्ट्र के संधारणीय विकास के लक्ष्यों में एक है कि साल 2030 तक सभी को पानी और स्वच्छता उपलब्ध हो सके. साफ और सुरक्षित पानी में भूमिगत जल के महत्व को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने इस बार विश्व जल दिवस पर इसे अपनी थीम में शामिल किया है.
पानी की आवश्यकता
पानी जीवन के प्रमुख आवश्यकताओं में से एक है. सभी पौधों और जानवरों का इसके बिना अस्तित्व ही संकट में आ जाएगा. लेकिन मानवीय जीवन में जिस तरह की विकास, उद्योग आदि के नाम पर जिस तरह से प्राकृतिक संसाधनों का जो दोहन हो रहा है, वह ‘पानी की कमी’ जैसे स्थितियां पैदा करने के लिए कम जिम्मेदार नहीं हैं.
पानी की कमी नहीं फिर भी कमी
दुनिया में पानी हर जगह है पृथ्वी की सतह का दो तिहाई हिस्सा पान से ढका है. लेकिन दुनिया का एक प्रतिशत से भी कम पानी स्वच्छ और सुरक्षित जल की श्रेणी में रखा जा सकता है. इसी लिए दुनिया जल सकंट का सामना करती है. दुनिया में बहुत से लोगों तक साफ पानी तक नहीं पहुंच पाता है. इसीलिए 2.2 अरब से ज्यादा लोग पीने के लिए और अच्छे रहनसहन के लिए साफ पानी से वंचित हैं.
ज्यादा पानी निकालने का खतरा
भूमिगत जल कई झरनों, नदियों, झीलों, आर्द्रभूमि, यहां तक कि महासागरों तक के लिए पानी का स्रोत होता है. भूमिगत जल का भंडारण बारिश और बर्फबारी के बाद जमीन में पानी रिसने से होता है. इंसान इस पानी को पम्प और कुओं के जरिए निकालता है. इस तरह के स्रोतों का अधिक उपयोग इनके अस्तित्व के ही लिए खतरा बन जाता है. ऐसा तब होता है जब बारिश और बर्फबारी से जमीन रीचार्ज होने की गति से ज्यादा तेजी से पानी निकाल लिया जाए.
जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय चुनौतियां
भूमिगत जल को प्रदूषण से भी काफी खतरा है. जिसे पानी की कमी के साथ ही उसके शुद्धिकरण लागत बढ़ जाती है. यहां तक कि कई बार दो इस प्रदूषित पानी का उपयोग ही संभव नहीं होता है. इस समय दुनिया में जलवायु परिवर्तन और अन्य पर्यावरणीय चुनौतियों के रहते है जीवन को बचाने के लिए भमिगत जल का संरक्षित करना प्रमुख लक्ष्य लक्ष्यों में शामिल करना होगा.
जलवायु परिवर्तन से बिगड़ते हालात के चलते भूमिगत जल का उपयोग और भी ज्यादा संवेदनशील होने लगा है. पानी का उपयोग मानवीय गतिविधियों के लिए बढ़ने लगा है. कृषि से लेकर उद्योगों में पानी की जरूरत बढ़ती जा रही है और इसकी वजह से भूमिगत पानी का भी उपयोग बेतरतीब तरीके से बढ़ता जा रहा है. संयुक्त राष्ट्र ने इसी लिए इस साल भूमिगत पानी के प्रंबंधन पर जोर देने का विचार किया है
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