इस मिशन का उदेश्य भारत को ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बनाना और अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों में कार्बन उत्सर्जन में कमी लाना
4 जनवरी को हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडक की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दे दी है। मिशन के लिए प्रारंभ में 19,744 करोड़ रुपये का खर्च होगा | जिसमें से साइट कार्यक्रम के लिए 17,490 करोड़ रुपये, पायलट परियोजनाओं के लिए 1,466 करोड़ रुपये, अनुसंधान एवं विकास के लिए 400 करोड़ रुपये और अन्य मिशन घटकों के लिए 388 करोड़ रुपये का प्रयोग होगा । नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय इससे संबंधित घटकों के कार्यान्वयन के लिए योजना के दिशानिर्देश तैयार करेगा।
इस मिशन से छः लाख लोगों को मिलेंगे रोजगार के अवसर
इस मिशन से 2030 तक संभावित परिणाम प्राप्त होने लगेंगे | इस मिशन से छः लाख से अधिक लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे |इसके साथ ही वार्षिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में लगभग 50 एमएमटी की कमी दर्ज की जाएगी और एक लाख करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के जीवाश्म ईंधन के आयात में भी कमी आएगी |इस मिशन से विभिन्न प्रकार के लाभ प्राप्त होंगे | सरकार ने इस मिशन के तहत 2030 तक 8 लाख करोड़ रुपये का निवेश होने का लक्ष्य रखा है और 6 लाख से अधिक रोजगार सृजित होने की भी संभावना है।
ग्रीन हाइड्रोजन और इसके सहायक उत्पादों के उत्पादन, इस्तेमाल और निर्यात के लिए भारत को एक वैश्विक हब बनाना
इस मिशन के द्वारा ग्रीन हाइड्रोजन की मांग, उत्पादन, उपयोग और निर्यात की सुविधा प्राप्त होगी। बड़े पैमाने पर उत्पादन और हाइड्रोजन के इस्तेमाल का समर्थन करने में सक्षम क्षेत्रों की पहचान की जाएगी और उन्हें ग्रीन हाइड्रोजन हब के रूप में विकसित किया जाएगा।
ग्रीन हाइड्रोजन इकोसिस्टम की स्थापना का समर्थन करने के लिए एक सक्षम नीतिगत कार्यक्रम विकसित किया जाएगा। इसके अलावा, मिशन के तहत अनुसंधान एवं विकास के लिए एक सार्वजनिक-निजी भागीदारी की सुविधा प्रदान की जाएगी | इस मिशन के तहत एक समन्वित कौशल विकास कार्यक्रम भी चलाया जाएगा। मिशन के समग्र समन्वय और कार्यान्वयन के लिए नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय उत्तरदायी होगा।