मैं इम्युनिटी हूँ,जो कोरोना वायरस से अकेले लड रही हूँ !
क्या हूँ ,क्यूँ जरुरी हूँ,कैसे लडती हूँ जानिए मेरे बारे में !
दुनियां में पिछले 9 महीने से हर किसी की जुबां पर दो नाम हर रोज लिए जा रहे हैं, और वो दो नाम हैं -“कोरोना वायरस” यानि Covid-19 और दूसरा शब्द है रोग प्रतिरोधक क्षमता यानि (Immunity) I
पहला नाम कोरोना वायरस जिसने पूरी दुनियां में तांडव मचा रखा है, और लाखों लोंगो को अभी तक मौत की नींद सुला चुका है I लाखों लोंगो को और सुला चूका होता अगर दूसरा नाम इम्युनिटी इसके सामने खड़ा ना होता I
कोरोना वायरस इतना खतरनाक है कि दुनिया के ताकतवर देश भी इसके आगे नतमस्तक हो गए हैं I आप इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि अभी तक कोई भी विज्ञानिक इसको खत्म करने की वैक्सीन नहीं बना पाया हैI
पहली बार दुनियां ने कोरोना शब्द 17 नवंबर 2019 उस वक्त सुना जब चीन के वुहान की राजधानी हुबेई में जब 55 साल का एक चीनी व्यक्ति कोरोनावायरस से संक्रमित हुआ था। उसके बाद पूरी दुनिया में इसका कहर शुरू हो गया था I तब से लेकर आज तक इसका मुकाबला अगर कोई कर रहा है तो वह है सिर्फ इम्युनिटी I आइए जानते हैं क्या है इम्युनिटी कितने टाइप की होती है और क्यों जरुरी है I रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity):
इम्युनिटी हमारे शरीर की टाक्सिन से लडने की क्षमता है। ये टाक्सिन बैक्टिरिया, वायरस, फंगस या कोई और पैरासाइट, नुकसानदायक पदार्थ हो सकता हैं। इम्युनिटी मजबूत होना आवश्यक है, ताकि हमें कोई भी बिमारी आसानी से न लग सके। इम्युनिटी सभी व्यक्तियों की अलग-अलग होती है, पर समय के साथ यह सामान्य व्यक्ति के भीतर अपेक्षाकृत स्थिर रहती हैं, और जैसे-जैसे व्यक्ति बड़ा होता है, किटाणुओं से लडने की क्षमता बढ़ती रहती हैं, परंतु जैसे व्यक्ति बूढ़ा हो जाता है, तो रोगों से लडने की क्षमता कम हो जाती है।
इम्युनिटी दो प्रकार की होती है:
सहज मुक्ति (Innate Immunity) : जो इम्यूनिटी हमारे अंदर जन्म से ही हर वक्त उपस्थित होती हैI उसे हम सहज मुक्ति या जन्मजात या प्राकृतिक, वंशानुगत इम्यूनिटी कहते हैं। यह सभी प्रकार के किटाणुओं और विषाणुओं के लिए एक ही तरह से लडने का काम करती है, यह हमारे शरीर में किसी बिमारी के होने से पहले उत्पन्न होती हैं। यह विशिष्ट प्रकार की इम्यूनिटी नहीं है, मतलब हमारे शरीर में सभी प्रकार के हमलावर से हमारी रक्षा करती है, बिना देखे कि कौन सा वायरस, या कौन सा प्रोटोजोआ है। इसका प्रभाव तुरंत (fast ) होता है पर लम्बे समय तक नहीं रहता है। उदाहरण के लिए: चमड़ी (Skin is largest organ of body), आंसु (enzymes in tears), मुंह की लार (saliva from salivary gland of mouth), पेट का अम्ल (HCL in Stomach from oxyntic glands).
अनुकूली प्रतिरक्षा (Adaptive Immunity): यह इम्यूनिटी innate Immunity के बाद में आती है, जिसे बनने में थोड़ा समय लगता है। और यह प्रतिरोध क्षमता बनती है, जो bacteria, virus शरीर के अंदर आए हैं उन्हें देखने के बाद, यह इम्यूनिटी एक विशेष प्रकार की प्रोटीन के साथ किसी विशेष रोगजनक के लिए हमारा शरीर की रक्षा करता है। यह दो तरह से हमारी रक्षा करता है, सेलुलर एवं त्रिदोषन प्रतिरोध क्षमता (Cellular and Humoral Immunity) इस प्रकार कि क्षमता लम्बे समय तक रहती है।
Cellular immunity में हमें कुछ कोशिकाएं रक्षा प्रदान करती हैं, जैसे कि B-cell और T- cell Or B,T-lymphocytes.
B-cell दो प्रकार के होते हैं, प्लाज्मा B -cell, जो कि एंटीबॉडी बनाता है किसी विशेष रोगजनक के लिए और Memory B-cell, जैसे कि इसका नाम है, यह कोशिकाएं याद रखती हैं कि जब वो विशेष प्रकार का रोगजनक दोबारा शरीर में आएगा तो मैं इस प्रकार की प्रोटीन (Antibodies), जल्दी बनाकर उसको खत्म करूंगा, ताकि वो रोगजनक फिर हमें आसानी से बिमार नहीं कर सके। T-cell का काम है B-cell को सक्रिय (activate) करना।
Humoral Immunity यहां पर हमें कुछ प्रोटिन रक्षा प्रदान करती हैं, अनुकूली प्रतिरक्षा, त्रिदोषन क्षमता को बढ़ाने का काम करता है, boost करता है इस को एंटीबॉडी बनाकर जो कि सबसे महत्वपूर्ण प्रोटीन है। एंटीबॉडी ही एक ऐसा प्रोटिन है जो विशेष प्रकार के रोगजनक (pathogen/ any foreign organism) के ऊपर लग कर उसे मार गिराता है।
जीवन में प्रतिरक्षा भूमिका (Role of Immunity in life):
प्रतिरक्षा तंत्र एक जटिल तंत्र है,जो कि विभिन्न प्रकार की प्रोटीनों और कोशिकाओं का संजाल है I यह हमें विभिन्न प्रकार की बिमारियों से लडने की क्षमता प्रदान करता है। यह रक्षा तंत्र हमेशा अपने पास पहले आए हुए रोगजनको की जानकारी रखता है, जिनको इसने पहली मुठभेड़ (encounter) में हराया होता है और दूसरी बार उन रोगजनको के शरीर में प्रवेश करने पर रक्षा तंत्र एकदम सक्रिय होकर उन रोगजनको को मार गिराता है। जब तक हमार रक्षा तंत्र बेरोकटोक चल रहा होता है, हमें इसके काम करने की अनुभूति नहीं होती, परंतु जैसे ही यह काम यानि कि हमारी रक्षा करना बंद करने लगता है, किसी बिमारी से जब हारने लगता है, तब हम बीमार हो जाते हैं। ज्यादातर हमें कोई भी रोगजनक पहली बार आने पर बीमार करता है जब हमारे शरीर के रक्षा तंत्र को उससे लडने के लिए प्रयोग होने वाले हथियार (antibody) को बनाने में समय लग जाता हैI तब तक व़ो रोगजनक हमारे शरीर पर हावी होकर हमें बीमार कर देता है। यह रक्षा तंत्र न केवल बाहर से आए हुए रोगजनको को मारता है, बल्कि शरीर के अंदर स्वत: उत्पन्न होने वाले विकारजनकों को भी खत्म करता है।
जीवन के विभिन्न चरणों में इम्युनिटी का प्रभाव:
बच्चों को कितनी जरुरी है
इम्यूनिटी का प्रभाव जीवन के प्रत्येक चरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मां के गर्भ में शिशु गर्भनाल के जरिए मां के इम्युन सिस्टम की एंटीबाडी (IgG) लेकर खुद को स्वस्थ रखता है, और नवजात शिशु पैदा होने के कुछ समय तक निष्क्रिय प्रतिरोध क्षमता ( Passive immunity ) मां के दूध से प्राप्त करता है।
धीरे-धीरे जब वह शिशु रोगजनकों का सामना करता है, उसका इम्युन सिस्टम ताकतवर बनता जाता है और स्वयं एंटीबॉडी तैयार करता है (which is called Active immunity). इसलिए नवजात शिशु पैदा होने के कुछ समय बाद तक रोगों से बचाव के लिए मां पर निर्भर होता है, और इस passive immunity और active immunity के भीतर के अंतराल में शिशु बिमारियों के लिए बहुत संवेदनशील होता है। जैसे-जैसे शिशु बड़ा होता है, बिमारियों से लड़ने की ताकत बढ़ती है, इसी कारण बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए समय-समय पर टीकाकरण करके उनको कम मात्रा में रोगजनक देकर उनके इम्युनिटी पॉवर को सहनयोग्य बनाया और मजबूत किया जाता है। लगभग सात से दस वर्ष की आयु में हमारा इम्यून सिस्टम पुरी तरह से सक्रिय और मजबूत हो जाता है। परंतु इस इम्यूनिटी को शिखर तक पहुंचने के लिए युवावस्था तक का समय लग जाता है। युवावस्था में हम कोई भी बिमारी का डट कर मुकाबला करने के योग्य होते हैं। उसके बाद लगभग चालीस वर्ष की आयु के बाद हमारी रोगों से छुटकारा पाने की क्षमता कम होती रहती है फिर हमें छोटी छोटी बिमारियों का शिकार होना पड़ता है और अगर उन छोटी-छोटी बिमारियों का समय पर उपचार न हो तो वह कैंसर (Cancer) जैसी भयानक बिमारियों का रूप ले लेती हैं।
महिलाओं और पुरुषों के इम्यून सिस्टम में अंतर:- दशकों के शोध बताते हैं कि महिलाओं और पुरुषों की इम्यूनिटी और बीमारियों के लिए संवेदनशीलता में अंतर होता है यह अतंर विभिन्न प्रकार के जैविक कारकों के कारण निर्भर करता है (जैसे कि सेक्स डिफरेंसेस, जेनेटिक एंड एपीजेनेटिक फैक्टर्, डिफरेंशियल एक्सप्रेशन ऑफ एक्स क्रोमोसोम (X- chromosome encoded genes) इत्यादि). Males and females ना केवल सांस्कृतिक और स्वाभाविक रूप से रोगजनकों के संपर्क में प्रमुख भूमिका निभाते हैं बल्कि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता अलग-अलग इंफेक्शन के लिए अलग-अलग होती है।
उदाहरण के लिए प्रॉस्टेट कैंसर (prostate cancer) अधिकांश रूप से पुरुषों में पाया जाता है, और अंडाशय कैंसर(ovary, breast cancer) महिलाओं में अधिकांश रूप से पाया जाता है। बेहतर समझ के लिए भविष्य मे शोध की आवश्यकता है जिससे कि हम पता लगा सके, की व्यक्तिगत रूप से संक्रामक रोगों का किस तरह से जैविक कारकों पर ध्यान रखते हुए, उपचार किया जाना चाहिए।
अपनी रोग-प्रतिरोधक क्षमता को कैसे बढ़ाया जा सकता है (How to boost your Immunity):
कुछ उपाय जो हमें निरोग रख सकते हैं, जैसे:-
जिसमें हरी सब्जियां, फल इत्यादि शामिल हों।
इम्युनिटी बढ़ाने का विचार बहुत ही मोहक (enticing) है, परंतु इसे बढ़ा पाना मायावी साबित हो सकता है कई कारणों के लिए। यह किसी अनमोल तोहफ़े से कम नहीं, यूं कहें तो स्वस्थ जीवन से बढ़कर कुछ भी नहीं है। स्वास्थ्य ही धन है (Health is wealth). व्यक्ति के शरीर को ढंग से काम करने के लिए स्वास्थ्य से बढकर कोई दूसरा विकल्प नहीं है।
बिमारियों से बचने के लिए स्वच्छता बहुत जरूरी है, खान-पान की वस्तुओं को ढक कर रखें, बिना हाथ धोए कभी भी कुछ न खाएं, अपने आसपास स्वच्छता रखना भी उतना ही जरूरी जितना की अपने को स्वस्थ रखना।
व्यक्ति का सेहतमंद होना उसके खान-पान, उसकी प्रतिदिन की दिनचर्या और उसकी मानसिकता ये सब उसके स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक है।
इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए देखें यह विडियो -: डॉक्टर चारु के इन आयुर्वेदिक टिप्स से बढ़ाएं अपनी इम्युनिटी ! दी न्यूज़ वारियर के प्रोग्राम डॉक्टर लाइव में देखिये, गवर्नमेंट आयुर्वेदिक कॉलेज पपरोला से असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर चारु
कमजोर इम्यूनिटी के दुष्प्रभाव( Side effect of weak immunity):-
कोई भी व्यक्ति या कोई भी यंत्र तभी अच्छे से काम करता है, अगर उसके अंदर के सभी अंग या उस यंत्र के हिस्से अपना काम ढंग से कर रहे हों। इसलिए इम्यूनिटी का मजबूत होना बहुत आवश्यक है। कमजोर व्यक्ति को बिमारियां आसानी से ग्रस्त कर लेती हैं। कमजोरी चाहे शारिरीक हो, चाहे मानसिक, चाहे सामाजिक ये व्यक्ति के जीवन को प्रभावित जरूरी करती हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार (According to WHO: Health is a complete state of physical, mental, social well-being and not merely the absence of disease or infirmity) स्वास्थ्य एक शारिरीक, मानसिक, सामाजिक रूप से सही होना है, केवल व्यक्ति का रोगमुक्त होना ही स्वास्थ्य नहीं होता है। कमजोर इम्यूनिटी के दुष्प्रभाव इस प्रकार है:-
सव्-प्रतिरक्षित विकार, आंतरिक अंगों की सूजन, ख़ून की कमी, बच्चों के विकास और वृद्धि में कमी, कुपोषण, पाचन तंत्र में समस्या, भूख न लगना या कोई और प्रकार की मानसिक व शारिरीक विकलांगता।
किटाणु और विषाणु जो इम्यूनिटी को कमजोर करते हैं (Bacteria and Viruses which affect immunity):
Bacteria and viruses दोनों ही हमारी इम्यूनिटी की परीक्षा लेते हैं, दोनों ही हमें बिमार करते हैं। यह इम्यूनिटी पर तय होता है कि हम बिमार किस स्तर तक हो सकते हैं।
कुछ विशेष प्रकार के विषाणु जो इम्यूनिटी को कम करते हैं:-
राइनो वायरस, एचआईवी वायरस, हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस, इबोला वायरस, हेपेटाइटिस बी वायरस, पोलियो वायरस, चिकन पॉक्स का वरीसेला-ज़ोस्टर वायरस, SARS-Cov-2 और इन सब वायरस में सबसे लोकप्रिय खतरनाक वायरसजिसने पूरी दुनिया में अन्तक फैला रखा है कोविड -19 जो मुख्या रूप से श्वास से हो रहा है )।