अज्ञात वास में गसोता महादेव था पांडवो का निवास स्थान, आज हैं आस्था का केंद्र

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18/05/2022

गसोता महादेव

हिमाचल प्रदेश पावन देवधरा के रूप में विश्व विख्यात है। प्रदेश के अनेक स्थानों का नामकरण देवी देवताओं के नाम पर हुआ माना जाता है । स्थान-स्थान पर देवालय बने हैं । लोगों की इन देवी देवताओं के प्रति अटूट श्रद्धा है । कोई भी त्यौहार हो यह किसी परिवार में मंगल कार्य हो । विवाह शादी हो या अन्य कोई धार्मिक अनुष्ठान, लोग सबसे पहले रिद्धि सिद्धि के स्वामी गणपति, ग्राम देवता, स्थान देवता, कुलदेवी की पूजा की जाती है तथा ब्रह्मा विष्णु एवं शिव की भी पूजा की जाती है । इसके साथ ही द्वापर युग जब पांडवों को अज्ञातवास हुआ था तब उन्होंने कुछ समय हिमाचल के शांत क्षेत्र में बिताया था।

प्रदेश के अनेक स्थानों का नामकरण पांडवों के नाम से जुड़ा प्रतीत होता है । प्रदेश में ऐसे कई अंजूबे हैं जिनके साथ विशालकाय बलशाली पांडव भीम का सम्बंध जोड़ा गया है । लोकमान्यता के अनुसार भीम रात के समय ही कोई काम करते थे । सवेरे तड़के जब किसी व्यक्ति के बोलने की आवाज आती थी, उससे पहले ही वह काम अधूरा छोड़कर छुप जाता था । पांडवों को यही डर सताता रहता था कि किसी को उनके वहां होने की सूचना नहीं होनी चाहिए । गसोता महादेव नामक स्थान बहने वाली जलधारा का सम्बंध भी पांडव नंदन भीम से जुड़ा माना गया है।

 

इस स्थान पर स्थापित सदियों पुराना शिवलिंग लोगों की आस्था का केंद्र है। श्रद्धालु गसोता महादेव मंदिर में दूर-दूर से आकर शिवलिंग की पूजा करते हैं । मान्यता है कि पांडव अपने अज्ञात वास के दौरान किसी वीरान जगह की तलाश कर रहे थे। वहां पर भीम ने घराट चलाने की योजना बनाई । वह जब रात को ब्यास नदी के पानी के बहाव को मोड़ कर कूहल से घराट की तरफ लाने लगे । उस समय किसी के आने की आवाज का आभास हुआ। उन्होंने सोचा की सुबह हो गई है। भीम घराट का सारा सामान बारी गांव में छोड़ कर चल दिए।

इसके बाद पांडव गसोता गांव पहुंचे व जंगल होने के कारण वहां गाय रख ली और फिर उसके चार पानी का प्रबंध करने लगे। कुछ समय बाद वहां सूखा पड़ा और गाय प्यास के मारे तड़पने लगी। भीम ने भूमि पर गद्दा से प्रहार किया और वहां जलधार फूट पड़ी । लोकमान्यता है कि वही जलधारा गसोता महादेव में सदियों से बह रही।

एक अन्य किवदंती के अनुसार एक किसान गसोता गांव में अपने खेत में हल चला रहा था। उस दौरान हल किसी वस्तु से टकराया तब वहां जलधारा फूटी। दूसरी बार फिर हल टकराया उस समय दूधधारा निकली। तीसरी बार जब हल टकराया तो खून निकला । उस समय किसान की आंखों की रोशनी चली गई। बाद में किसान को इस संदर्भ में आए सपने के अनुसार वहां स्वयंभू शिवलिंग निकला तथा उसे स्थापित करने के लिए कहा गया। ग्रामीणों के सहयोग से किसान ने उस शिवलिंग को स्थापित किया तथा अपने लिए अभयदान मांगा जो पूरा हुआ।

प्राचीन शिवलिंग लोगों की आस्था का केंद्र बिंदू है। देशभर से श्रद्धालु अपनी मन्नत मांगने के लिए गसोता महादेव में शिवलिंग की पूजा करने पहुंचते हैं। गसोता महादेव के पवित्र स्थल का नाम पांडव काल से जुड़ा हुआ है। मंदिर के पुजारी के अनुसार गसोता महादेव मंदिर लोगों की प्राचीन आस्था का केंद्र हैं। मंदिर में श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूर्ण होती है। महादेव की पावन भूमि में भक्ति, शक्ति, मुक्ति एवं भक्ति से युक्त महादेव की पावन भूमि की सेवा से साधक सकल लोक की प्राप्ति कर सकता

यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए लंगर की बेहतर सुविधा हर दिन होती है। इसके अलावा यहां एक गौशाला भी है, जहां श्रद्धालु स्वेच्छा से घास व अन्य सामग्री दान करते हैं। गसोता महादेव मंदिर में हजारों साल पुराना शिवलिंग स्थापित है। हमीरपुर जाहू सड़क के किनारे स्थित गसोता महादेव मंदिर भगवान शिव का स्मरण करवाता है । हमीरपुर जिला मुख्यालय में स्थित दो-सड़का से महज 7 किलोमीटर की दूरी तय करके इस धार्मिक स्थल तक पहुंचा जा सकता है । जहां पर हर वर्ष मई महीने में 8 दिवसीय नलवाड़ मेले का आयोजन किया जाता हैं। शिवरात्रि पर्व पर विशाल जागरण का आयोजन और विशाल भंडारे का आयोजन भी किया जाता है।

 

पूजा हरयाणवी

 

 

 

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