घुमारवीं नगर परिषद् का नहीं है कोई खैर ख्वा

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15 /07 /2022

कार्यकारी अधिकारी के पास अतिरिक्त कार्यभार, इसलिए फोन पर भी नहीं होती कोई करवाई 

घुमारवीं:- 

नगर परिषद के कल्याणा वार्ड में अव्यवस्था का बोलबाला है । लोगों का आरोप है कि इस नगर परिषद के निवासी प्रदेश सरकार के खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले मंत्री राजिंद्र गर्ग का राजनीतिक प्रभाव न बढ़े । इसलिए नगर परिषद मनमानी से काम करती है । मजे की बात यह है कि मंत्री के आदेशों की भी आवेलहना होती है । परिषद में कांग्रेस का कब्जा है । लोग यह भी कहते सुने जा सकते हैं कि मंत्री के नगर परिषद के पदाधिकरियों की खींचातानी है । इससे क्षेत्र में विकास कार्यों को गति नहीं मिल रही है । बार बार फोन करने के बावजूद नगर परिषद लोगों की समस्या का नहीं कर रही है ।

बैल पिछले तीन दिनों से जमीन पर पड़ा

कल्याणा वार्ड की आदर्श कॉलोनी के पास एक कमजोर लावारिस बैल पिछले तीन दिनों से जमीन पर पड़ा है । उससे उठा भी नहीं जा रहा है । कुते व कौवे उसे नोचने का प्रयास कर रहे हैं । लोग बार बार नगर परिषद में फोन कर रहे हैं । यह बैल भूख प्यास से मरने को है । उधर इसी वार्ड की लुखानी वस्ती की सफाई व्यवस्था कुतों, कौवों व लावारिस पशुओं के भरोसे है । वस्ती में प्रवासी लोगों ने स्थानीय लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है । स्थानीय लोग को यहां से पलायन करने की नौबत आ गई है । वहां चार कमरों व आठ झुंगियों में 40 से अधिक प्रवासी भेड़ बकरियों की तरह रह रहे हैं तथा इधर उधर बड़ी मात्रा में गन्दगी फैला रहे हैं । उनमें से कुछ कूड़ा बीनने का काम करते है और बड़ी बड़ी झोलियो में कूड़ा भर कर ले जाते हैं । वहां उसकी छंटाई करते हैं तथा जो कचरा उनके मतलब का नहीं होता उसे वहां सड़क या खेतों में फेंक देते हैं । ये प्रवासी आपस में अश्लील गालियां देते हैं । आपस में खूब लड़ाई झगड़ा भी करते हैं । वे एक दूसरे को इतनी अधिक अश्लील गालियां बकते हैं कि स्थानीय महिलाएं शर्म के मारे दरवाजा बंद करके कमरे में दुबक जाती है तथा तब तक बाहर नहीं आती जब तक झगड़ा चल रहा होता है ।

कोई कर्मचारी नहीं ले रहा संज्ञान 

नगर परिषद् अध्यक्ष का अपना वार्ड होने पर भी कोई कर्मचारी संज्ञान नहीं ले रहा है । फोन करने पर अध्यक्ष यह बता देती है कि इसके लिए किसी कर्मचारी की ड्यूटी लगा दी है लेकिन मौके पर कोई नहीं जाता । इन दिनों जमकर वरसात पड़ रही है । पिछले पांच दिनों से पानी की एक बूंद भी नहीं आ रही है । ऊपर से सफाई व्यवस्था बुरी तरह लड़खड़ा गई है । इस वस्ती में प्रवासियों की झुंगियों में 8-9 लकड़ी से चुल्हें जलते हैं । उससे बड़ी मात्रा में निकलने वाले धुंए से पर्यवरण प्रदूषण फैल रहा है । यह धुंआ सीधे स्थानीय लोगों के कमरों में जा रहा रहा इससे बच्चों व बुजुर्गों को सांस लेना भी मुश्किल होने लगा है । वस्ती में चार कमरे जर्जर अवस्था में है । उनकी छत से सीमेंट के बड़े बड़े ढेले गिर रहे हैं । ये कमरे कभी भी गिर सकते हैं तथा कोई बड़ी अनहोनी हो सकती है ।

सांस लेना भी हो रहा मुश्किल 

ये प्रवासी रोजाना बस्ती में खूब हो हल्ला करते हैं तथा आपस में लड़ाई झगड़ा करते हैं तथा अश्लील गालियां बकते हैं । जब किराए के कमरों में रहने वाले स्थानीय लोग उन्हें इससे रोकने की कोशिश करते हैं तो उन्हें भी आंखे दिखाने लगते हैं । इन्होंने कुत्ते, सांप व मुर्गे भी पाल रखे हैं । स्थानीय निवासी कांता देवी ने बताया कि उनका एक कुत्ता पिछले दिनों मवेशीखाने के आंगन में घुस गया तथा उसने नोचने का प्रयास किया लेकिन समय रहते उसे भगा दिया । अन्यथा बड़ा नुकसान हो जाता । उनकी झुंगियां स्थानीय लोगों के किराये के कमरों के भवन से सटी है । ये अपने चूल्हों में जब लकड़ियों के अलावा प्लाष्टिक व पोलोथिन जैसे पदार्थ जलाते हैं । तब उसका जहरीला धुंआ पूरी वस्ती में फैल जाता है । आए दिन वस्ती में ऐसा ही प्रदूषित वातावरण हो जाता है कि सड़क से गुजरने वाले लोग भी नाक पर रुमाल रखकर गुजरते हैं । यहां रहने वाले बुजुर्गों व बच्चों को सांस लेने में दिक्कत हो जाती है । दूसरी ओर इतनी गन्दगी फैली है कि सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है ।

स्थानीय बच्चे पढ़ भी नहीं पाते 

भूमि मालिक रोशन लाल इन झुंगियों के लिए उपयोग की गई जमीन का किराया लेता है । उन्हें हिदायत भी देता हैं मगर वे उनकी भी नहीं सुनते । उनका आपसी झगड़ा आधी आधी रात तक चलता है । आपस में भी इतनी ऊंची आवाज में बतियाते हैं कि उनकी आवाज दूर तक सुनाई देता है। साथ ही साथ इनके कुते भी रात दिन भोंकते रहते है। यही नहीं अपने टीवी की आवाज भी इतनी ऊंची रखते हैं कि स्थानीय बच्चे पढ़ भी नहीं पाते हैं ।

दो चार दिनों के बाद गायब

उल्लेखनीय है कि इस बस्ती में अधिकतर लोग किराए के कमरों में रहकर अपने बच्चों को पढ़ा रहे हैं । इन किरायों के कमरों के तीनों ओर प्रवासी लोग झुंगियां डाल कर रहते हैं । इनकी संख्या आए दिन घटती बढ़ती रहती है । कई नौजवान यहां पंजाब नंबर के मोटरसाइकिलों पर आते हैं तथा दो चार दिनों के बाद गायब हो जाते हैं । ये खाना आदि बनाने के लिए चुल्हे का प्रयोग करते हैं । जलाने के लिए लकड़ियां इधर उधर से इकट्ठी करके लाते हैं । इन प्रवासियों के दर्जन से अधिक बच्चे हैं । इससे अधिक महिलाएं हैं । जमीन के मालिक का कहना है कि इन सबके पहचान पत्र बनें हैं । वह स्थानीय लोगों को कहता है कि ये मेरे किराएदार हैं । इनको कोई नहीं पूछ सकता ।

 

 

 

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