हिमाचल: HPSSC पेपर लीक मामला, अब तक पांच गिरफ्तार, महिला कर्मी के घर से कागजात की जांच

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THE  NEWS WARRIOR
24 /12 /2022

पेपर लीक मामले के बाद इसकी भीतरी व्यवस्था पर अब मुकम्मल तौर पर उठ रहे सवाल

हिमाचल:

हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग में हुए पेपर लीक मामले के बाद इसकी भीतरी व्यवस्था पर अब मुकम्मल तौर पर सवाल उठ रहे हैं। यहां के सिस्टम में कई तरह की खामियां हैं। जिसकी वजह से एक बार फिर यह आयोग भ्रष्टाचार की सुर्खियों में आया है।

JOA IT के पोस्टकोड 675 के जिस पेपर लीक मामले में आयोग की कारगुजारी ने सुर्खियां बटोरी हैं। उसमें अब तक 5 लोगों की गिरफ्तारी बताई जा रही है। जिनमें एक महिला कर्मचारी सहित चार और लोग शामिल हैं। आरोपी महिला के घर से जादू-टोने का सामान भी पुलिस ने बरामद किया है।

स्टेट विजिलेंस एंड एंटी करप्शन ब्यूरो की कार्रवाई देर रात तक जारी रही। आरोपी महिला के आवास पर रात तक छानबीन जारी थी। उसके बाद एएसपी रेणू शर्मा ने आयोग के कार्यालय में पहुंचकर भी मामले की अगली छानबीन की।

जहां पर आयोग के चेयरमैन, सचिव और अन्य महत्वपूर्ण अधिकारी-कर्मचारी मौजूद थे। उनसे भी पूछताछ हुई है। जो कागजात महिला के आवास पर मिले हैं, उन्हें कार्यालय में पहुंचकर सत्यापित किया गया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार एसआईटी गठित कर सकती है ताकि अब तक हुई तमाम गड़बड़ियों की जांच हो सके।

पेपर 22 दिसंबर को निकाला था 
विजिलेंस की जांच में अभी तक जो जानकारी मिली है उसमें संबंधित पेपर 22 दिसंबर को आरोपी महिला ने निकाला था उसमें एक अकेली थी सीक्रेसी ब्रांच में अब देखना यह है की जिस अलमारी से इसे निकाल कर यह सारा मामला चर्चा में आया है वह कैसे कैसे हुआ इसका खुलासा जांच में ही होगा।

ब्रांच के सीसीटीवी कैमरे खराब
सूत्रों के मुताबिक सीक्रेसी ब्रांच के सीसीटीवी कैमरे भी खराब हैं। यह कब से खराब हैं? इसकी जानकारी तो नहीं मिल पाई है लेकिन बताया गया है कि पुरानी सीसीटीवी फुटेज खंगाल कर कई और चीजों का पता चलेगा। इस ब्रांच में क्या होता आया है, कौन-कौन इसमें शामिल होते थे और कब-कब क्या रहता था? इसका पता भी चलेगा। अब यक्ष प्रश्न यही है कि सीसीटीवी कैमरा क्यों खराब है। यह भी जांच का विषय है।

6 साल से एक ही सेक्रेटरी
आयोग में जनवरी 2017 से जितेंद्र कंवर ही इस आयोग के सचिव हैं। उनकी अदला-बदली कभी नहीं हुई। लेकिन सीक्रेसी ब्रांच में 2019 से आरोपी महिला की इसीलिए कारगुजारी को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। प्रदेश सरकार इतने लंबे समय तक एक ही पद पर वह भी आयोग जैसी महत्वपूर्ण संस्था में 6 सालों तक यदि एचएएस स्तर के एक ही अधिकारी को तैनात रखेगी, तो सवाल तो उठेंगे ही। भूमिका भी कटघरे में खड़ी होगी।

एक अन्य मामले में भी आरोपी महिला संदेह के दायरे में
छानबीन में इस बात का भी पता चला है कि आरोपी महिला JOA IT के एक अन्य मामले में भी संदेह के दायरे में है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग बताया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि उसमें भी पेपर निकाले जाने के मामले की छानबीन हो जाए तो महिला उसमें संलिप्त पाई जाएगी। इसकी भी जांच शुरू हो रही है।

3 टेस्टों में आरोपी महिला के संबंधी आए टॉपर
प्राप्त जानकारी के मुताबिक इस मामले पर भी आयोग की भीतरी व्यवस्था में पहले से ही चर्चा थी। लेकिन इसे लेकर जांच करवाने और एक्शन लेने की भूमिका किसी ने भी नहीं निभाई। इसी वजह से अब यह भंडाफोड़ हुआ है। अब मामला तो जांच का यह भी बनेगा कि महिला के करीबी जिस अभ्यर्थी का तीन अलग-अलग टेस्टों में टॉपर रहा है। उसमें वजह क्या बनी?

तमाम पेपर रात तक वापस आ जाएंगे 
प्रदेश भर में 476 जिन सेंटर्स पर रविवार को पेपर होना था, वहां से अब पेपर वापस मंगवाए जा रहे हैं। यह तमाम पेपर संबंधित ट्रेजरीज में जमा करवाए जाते हैं और रविवार के रोज सुबह ही वहां से निकालकर इन्हें सेंटरों तक पहुंचाया जाता है। अब क्योंकि पेपर रद्द हो गया है, इसलिए आयोग ने इन तमाम पेपर्स को ट्रेजरीज से वापस मंगवाने के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है। क्योंकि आयोग के जिम्मेदार लोग अलग-अलग जिलों में इन क्वेश्चन पेपर्स को लेकर गए हुए हैं।

FIR की कॉपी मिलने के बाद होगी सस्पेंड
अभी आयोग को FIR की कॉपी नहीं मिली है इसके मिलते ही संबंधित आरोपी महिला को सस्पेंड किया जाएगा। आयोग के चेयरमैन संजय ठाकुर ने इसकी जानकारी देते हुए बताया है कि यह प्रक्रिया एफआईआर की कॉपी मिलने के बाद ही शुरू होगी।

आयोग के पास अपना स्केनर  नहीं
कर्मचारी चयन आयोग की सबसे बड़ी विडंबना यह है कि यहां पर OMR शीट्स को जांचने के लिए अपना स्केनर ही नहीं है। यह प्रक्रिया आउट सोर्स व्यवस्था से चलती है। इस पर शुरू से ही सवाल उठाए जाते रहे हैं। लेकिन अब क्योंकि जिस कंपनी के पास ओएमआर शीटस जांचने का जिम्मा है। उनका स्केनर इसी आयोग में लगाया जाता है और उसी समय पेपर जांचने के बाद वहीं पर ही उसका रिजल्ट तैयार किया जाता है। यह व्यवस्था आयोग खुद अपने स्तर पर भी कर सकता है। लेकिन आउट सोर्स की गई इस व्यवस्था में काफी पैसा दिया जाता है। खुद इसे आयोग करवा ले, तो उसकी बचत भी होगी।

क्वेश्चन बैंक पर सवाल
पेपर सेटिंग को लेकर भी सवाल तो पहले से ही उठाए जाते रहे हैं और कहा यह भी जाता रहा है कि क्वेश्चन पेपर में यदि 10% से ज्यादा सवाल गलत हों तो पेपर नए सिरे से सेट किया जाता है। इस व्यवस्था में भी कहीं ना कहीं खोट है। क्योंकि आयोग ने ‘क्वेश्चन बैंक’ बनाकर खुद ही इसका जिम्मा संभाल रखा है। इसका पता तो होने वाली जांच के बाद ही चल पाएगा।

कंट्रोलर ऑफ एग्जाम कोई दूसरा क्यों नहीं
सवाल कंट्रोलर ऑफ एग्जाम की भूमिका पर भी है। क्या इस आयोग में कंट्रोलर ऑफ एग्जाम की भूमिका किसी और के सुपुर्द नहीं हो सकती? क्या सचिव के हवाले ही कंट्रोलर ऑफ एग्जाम की व्यवस्था रहनी चाहिए? इस पर भी सवाल उठते रहे हैं।

डिनोटिफाइड करने की तैयारी में सरकार नियुक्तियां
अब क्योंकि मुकम्मल तौर पर इस आयोग की ‘सर्जरी’ होगी। इसमें हाल ही में चुनाव आचार संहिता के दौरान की गई आयोग के तीन सदस्यों की नियुक्तियों के भी डिनोटिफाइड होने की उम्मीद जताई जा रही है। CM सुक्खू के नेतृत्व वाली इस सरकार में अब आयोग की मुकम्मल सर्जरी होगी, ऐसी चर्चा है। कौन-कौन बदला जाएगा किस-किस की जरूरत है, यहां पर, कितने सदस्यों की असल में जरूरत है, इस पर भी काम शुरू हो गया है। क्योंकि इंटरव्यू प्रोसेस के बगैर भारी भरकम सदस्यों का भार आयोग पर बेवजह ही दिखता है।

 

 

 

 

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