THE NEWS WARRIOR
07 /07 /2022
बिहार के इन प्रोफेसर की सोशल मीडिया पर हो रही खूब तारीफ
बिहार लोकसेवा आयोग के माध्यम से असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में हुए थे चयनित
बिहार:-
बिहार के इन प्रोफेसर की इस समय सोशल मीडिया पर खूब तारीफ हो रही है. लोगों की इस प्रशंसा का कारण ये है कि एक तरफ जहां कोरोना काल के दौरान कई संस्थानों ने न पढ़ाने के बावजूद परिजनों से पूरी फीस वसूली, वहीं ये प्रोफेसर कोई क्लास न लेने के कारण अपनी तीन साल की सैलरी लौटाना चाहते हैं.
ललन कुमार 24 सितंबर 2019 को बिहार लोकसेवा आयोग के माध्यम से असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में चयनित हुए थे. ललन कुमार के अनुसार 2019 से 2022 तक में उनकी छह बार ट्रांसफर-पोस्टिंग हुई. इससे तंग आ कर उन्होंने 4 बार आवेदन लिखकर मांग की कि उनके कॉलेज में पढ़ाई नहीं होती है.
वह बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं. इसलिए उनका ट्रांसफर PG डिपार्टमेंट, एलएस कॉलेज या आरडीएस कॉलेज में कर दिया जाए. क्योंकि इन संस्थानों में क्लासेज होती हैं. ललन कुमार बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं, जिससे कि उनके ज्ञान का सदुपयोग हो सके.
बार बार आग्रह करने के बाद भी जब उनका ट्रांसफर नहीं किया गया तब अंत में अपनी आत्मा की आवाज सुनते हुए उन्होंने 25 सितंबर 2019 से मई 2022 तक प्राप्त सभी सैलरी विश्वविद्यालय को वापस करने का फैसला ले लिया. समर्पित कर देना चाहता हूं. उनका कहना है कि विद्यार्थियों की संख्या शून्य है, जिस वजह से वह चाहकर भी अपने दायित्व का निर्वहन नहीं कर पा रहे हैं. ऐसी स्थिति में वह सैलरी स्वीकार नहीं कर स
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार नितिश्वर कॉलेज में कहने को कुल 1100 बच्चे हैं लेकिन ये बच्चे एडमिशन करा केवल एग्जाम देने ही आते हैं. बच्चों के क्लास में न आने के कारण 110 बच्चों वाले हिन्दी डिपार्टमेंट में पिछले 3 साल में अभी तक 10 क्लास भी हिन्दी की नहीं हुई हैं.
दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिन्दू कॉलेज से ग्रेजुएशन और जेएनयु से पीजी की पढ़ाई करने वाले ललन दोनों जगह टॉपर रहे हैं. उन्हें ग्रेजुएशन में एकेडमिक एक्सिलेंस का राष्ट्रपति अवॉर्ड भी मिल चुका है. इसके अलावा अपनी एमफिल और पीएचडी भी उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से की है.