जन्मदिन विशेष : भारतीय राजनीति का ऐसा चेहरा जिसने 25 सालो तक किया राज

The News Warrior
0 0
Spread the love
Read Time:10 Minute, 58 Second
THE NEWS WARRIOR
24 /02 /2022
कर्नाटक के  ‘अय्यर’ परिवार में हुआ था जन्म 
बचपन से ही था एक्टिंग का शौक
पहली बार 1982 में ‘जया’ ने राजनीति में कदम
1984 में उन्हें राज्यसभा के लिए नामांकित किया
 जीवन परिचय 
कर्नाटक:-

जयललिता का जन्म वर्तमान कर्नाटक के मैसूर के मांडया जिले के पांडवपुरा तालुक के मेलुरकोट गांव में एक ‘अय्यर’ परिवार में हुआ था। उनके दादा तत्कालीन मैसूर राज्य में एक सर्जन थे। महज 2 साल की उम्र में ही जयललिता के पिता जयराम, उन्हें माँ संध्या के साथ अकेला छोड़ कर चल बसे थे। पिता की मृत्यु के पश्चात जयललिता माँ के साथ  बंगलौर अपने नाना के घर चली आयीं,जंहा उनका पालन पोषण हुआ । बाद में उनकी मां ने तमिल सिनेमा में काम करना शुरू कर दिया और अपना फिल्मी नाम ‘संध्या’ रख लिया।उनकी प्रारंभिक शिक्षा पहले बंगलौर और बाद में चेन्नई में हुई।

बचपन से ही था एक्टिंग का शौक 

आजादी के एक साल बाद 24 फरवरी 1948 को कर्नाटक के मैसूर जिले के मेलूकोट शहर में जयललिता का जन्म हुआ था. बचपन से ही एक्टिंग का शौक रखने वाली ‘जया’ ने 1961 में 13 साल की उम्र में पहली बार अंग्रेजी फिल्म ‘एपीसल’ में एक बाल कलाकार के तौर पर सुनहरे पर्दे पर कदम रखा.
1965 में एमजी रामचंद्रन के साथ तमिल फिल्म ‘वेनिरा आदाई’ में बतौर अभिनेत्री उन्होंने काम किया. बाद में रामचंद्रन के मार्गदर्शन में ही उन्होंने राजनीति में कदम रखा. जयललिता की दिलचस्पी तमिल फिल्मों में काम करने से अधिक राजनीति में बढ़ती जा रही थी. 1980 में उन्होंने अपनी अंतिम तमिल फिल्म ‘थेड़ी वंधा कादला’ में बतौर अभिनेत्री काम किया.

फ़िल्मी जीवन 

जब वे स्कूल में ही पढ़ रही थीं तभी उनकी मां के कहने   उन्होंने 1961 में ‘एपिसल’ नाम की एक अंग्रेजी फिल्म से अभिनय जीवन की शुरुआत की थी। मात्र 15 वर्ष कीआयु में वे कन्नड फिल्मों में मुख्‍य अभिनेत्री की भूमिकाएं करने लगी। कन्नड भाषा में उनकी पहली फिल्म ‘चिन्नाडा गोम्बे’ है जो 1964 में प्रदर्शित हुई। उसके बाद उन्होने तमिल फिल्मों की ओर रुख किया। वे स्कर्ट पहनकर भूमिका निभाने वाली पहली अभिनेत्री थी।

तमिल सिनेमा में उन्होंने जाने माने निर्देशक श्रीधर की फिल्म ‘वेन्नीरादई’ से अपना सफर शुरू किया और लगभग 300 फिल्मों में काम किया। उन्होंने तमिल के अलावा तेलुगु, कन्नड़, अँग्रेजी और हिन्दी फिल्मों में भी काम किया है। उन्होंने कई अभिनेताओं के साथ फिल्मों में काम किया, किन्तु उनकी ज्यादातर फिल्में शिवाजी गणेशन और एमजी रामचंद्रन के साथ ही आईं।

रामचंद्रन के नेतृत्व में रखा राजनीति में कदम :

अपने फिल्मी करियर को अलविदा कहने के बाद एम जी रामचंद्रन के नेतृत्व में पहली बार 1982 में ‘जया’ ने राजनीति में कदम रखा और अन्नाद्रमुक की सदस्यता ग्रहण की।जयललिता की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब उन्होंने तमिलनाडु के कुद्दालोर में पहली बार रैली की तो लोगों की भारी भीड़ उन्हें देखने के लिए उमड़ पड़ी.

जयललिता की लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें 1983 में अन्नाद्रमुक की प्रचार टीम का हिस्सा बनाया गया. उन्हें प्रचार प्रभारी की जिम्मेदारी दी गई. पहली बार थिरुचेंदुर सीट पर हुए उपचुनाव में उन्होंने पार्टी के उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार भी किया.

राजनैतिक जीवन

ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (ए.आई.ए.डी.एम.के.) के संस्थापक एम्. जी. रामचंद्रन ने उन्हें प्रचार सचिव नियुक्त किया और चार वर्ष बाद सन 1984 में उन्हें राज्यसभा के लिए नामांकित किया गया। कुछ ही समय में वे ए.आई.ए.डी.एम.के. की एक सक्रिय सदस्य बन गयीं। उन्हें एम.जी.आर. का राजनैतिक साथी माना जाने लगा और प्रसार माध्यमो में भी उन्हें ए.आई.ए.डी.एम.के. के उत्तराधिकारी के रूप में दिखाया गया।
जब एम.जी. रामचंद्रन मुख्यमंत्री बने तो जयललिता को पार्टी के महासचिव पद की जिम्मेदारी सौंपी गयी। उनकी मृत्यु के बाद कुछ सदस्यों ने जानकी रामचंद्रन को ए.आई.ए.डी.एम.के. का उत्तराधिकारी बनाना चाहा और इस कारण से ए.आई.ए.डी.एम.के. दो हिस्सों में बट गया। एक गुट जयललिता को समर्थन दे रहा था

मुख्यमंत्री का पद 

वर्ष 1987 में रामचंद्रन के निधन के बाद राजनीति में वह खुलकर सामने आयीं, लेकिन अन्नाद्रमुक में फूट पड़ गयी। ऐतिहासिक राजाजी हॉल में एमजीआर का शव पड़ा हुआ था और द्रमुक के एक नेता ने उन्हें मंच से हटाने की कोशिश की। बाद में अन्नाद्रमुक दल दो धड़े में बंट गया, जिसे जयललिता और रामचंद्रन की पत्नी जानकी के नाम पर ‘अन्नाद्रमुक जे’ और ‘अन्नाद्रमुक जा’ कहा गया। एमजीआर कैबिनेट में वरिष्ठ मंत्री आर. एम. वीरप्पन जैसे नेताओं के खेमे की वजह से अन्नाद्रमुक की निर्विवाद प्रमुख बनने की राह में अड़चन आयी और उन्हें भीषण संघर्ष का सामना करना पड़ा।

रामचंद्रन की मौत के बाद बंट चुकी अन्नाद्रमुक को उन्होंने 1990 में एकजुट कर 1991 में जबरदस्त बहुमत दिलायी। 1991 में ही प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या हुई थी और इसके बाद ही चुनाव में जयललिता ने कांग्रेस के साथ गठबंधन कर लिया था, जिसका उन्हें फ़ायदा पहुँचा था। लोगों में डी.एम.के. के प्रति ज़बरदस्त गुस्सा था, क्योंकि लोग उसे लिट्टे का समर्थक समझते थे। मुख्यमंत्री बनने के बाद जयललिता ने लिट्टे पर पाबंदी लगाने का अनुरोध किया था, जिसे केंद्र सरकार ने मान लिया था।

जयललिता ने बोदिनायाकन्नूर से 1989 में तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की और सदन में पहली महिला प्रतिपक्ष नेता बनीं। इस दौरान राजनीतिक और निजी जीवन में कुछ बदलाव आया, जब जयललिता ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ द्रमुक ने उन पर हमला किया और उनको परेशान किया।

अम्मा की 20 जनकल्याणकारी योजनाएं 

1. अम्मा फ्री वाई-फाई (Amma Free Wi-Fi)
2. अम्मा बेबी केयर किट्स (Amma Baby Care Kits)
3. अम्मा पीपल सर्विस (Amma People Service)
4. अम्मा एजुकेशन स्कीम (Amma Education Scheme)
5. अम्मा स्किल (Amma skill)
6. अम्मा नमक (Amma salt)
7. अम्मा सीमेंट स्कीम (Amma Cement Scheme)
8. अम्मा मेडिकल स्टोर (Amma Medical Store)
9. अम्मा मैरिज हॉल (Amma Marriage Hall)
10. अम्मा कॉल सेंटर (Amma call center)
11. अम्मा टेबल फैन (Amma table fan)
12. अम्मा टीएनएफडीसी फिश स्टॉल (Amma Tianfdisi Fish sta)
13. अम्मा बीज (Amma seed)
14. अम्मा कैंटीन (Amma canteen)
15. अम्मा मिनरल वाटर (Amma Mineral Water)
16. अम्मा थिएटर (Amma theater)
17. जया टीवी (Jaya TV)
18. अम्मा मोबाइल फोन (Amma mobile phone)
19. अम्मा लैपटॉप (Amma laptop)
20. अम्मा ग्राइंडर (Amma Grinder)

निधन :

5 दिसम्बर 2016 को चेन्नई अपोलो अस्पतालमें  कि रात 11:30 बजे (आईएसटी) उनका निधन हो गया। जयललिता 22 सितंबर से अपोलो अस्पताल में भर्ती थीं, उन्हें दिल का दौरा पड़ने के बाद आईसीयू में भर्ती कराया गया था। द्रविड़ आंदोलन जो हिंदू धर्म के किसी परंपरा और रस्म में यक़ीन नहीं रखता उससे जुड़े होने के कारण इन्हें दफनाया गया। द्रविड़ पार्टी की नींव ब्राह्मणवाद के विरोध के लिए पड़ी थी। सामान्य हिंदू परंपरा के ख़ि़लाफ़ द्रविड़ मूवमेंट से जुड़े नेता अपने नाम के साथ जातिसूचक उपाधि का भी इस्तेमाल नहीं करते।

फिर भी जयललिताजी के जीवनी और आस्था को देखते हुए एक ब्राम्हण पंडीत ने अंतीम विधी करके दफन किया। इनके राजनीतिक गुरु एमजीआर को भी उनकी मौत के बाद दफ़नाया गया था। उनकी क़ब्र के पास ही द्रविड़ आंदोलन के बड़े नेता और डीएमके के संस्थापक अन्नादुरै की भी क़ब्र है, दफ़नाये जाने की वजह को राजनीतिक भी बताया गया। जयललिता की पार्टी एआईएडीएमके उनकी राजनीतिक विरासत को सहेजना चाहती है, जिस तरह से एमजीआर की है। कथित तौर पर यह भी कहा गया कि इस मामले में जो रस्म अपनाई गई है वो श्री वैष्णव परंपरा से ताल्लुक़ रखती है

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

रूस और यूक्रेन में छिड़ी जंग, राजधानी कीव में किये धमाके

Spread the love THE NEWS WARRIOR 24 /02 /2022 रूस का यूक्रेन पर हमला राजधानी कीव में धमाके स्थानीय समयानुसार सुबह 05.00 बजे धमाके हुए कीव:- यूक्रेन की राजधानी कीव और अन्य स्थानों पर गुरुवार की सुबह कई धमाके हुए। गुरुवार को मीडिया रिपाेर्ट में इसकी सूचना दी गई।यूक्रेनियन इंडिपेंडेंट […]