कभी स्कूल ने दाखिला देने से किया मना, अब वही दृष्टिबाधित प्रतिभा बनी असिस्टेंट प्रोफेसर

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13 जुलाई 2023

शिमला : हिमाचल की एक ऐसी बेटी जिसकी आंखों में रोशनी न होने के कारण मंडी के एक स्कूल ने उसे  दाखिला देने से इनकार कर दिया था, अब वही बेटी  कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर बन कर बच्चों को ज्ञान की रोशनी बांटेगी। उनकी यह सफलता प्रदेश के अन्य युवाओं के लिए प्रेरणा है इसके साथ ही उन लोगों को जबाव है जो यह सोचते हैं कि दिव्यांग  व दृष्टिबाधित बच्चे कुछ नहीं कर सकते ।

 

राजनीति विज्ञान की असिस्टेंट प्रोफेसर का कार्यभार

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में पीएचडी की छात्रा, राष्ट्रीय रिसर्च फैलोशिप विजेता और उमंग फाउंडेशन की सदस्य प्रतिभा ठाकुर ने वीरवार को शिमला के राजीव गांधी राजकीय महाविद्यालय में प्रिंसिपल डॉ. अनुपमा गर्ग के समक्ष राजनीति विज्ञान की असिस्टेंट प्रोफेसर का कार्यभार ग्रहण किया। इस अवसर पर प्रतिभा के पिता खेमचंद शास्त्री और राज्य विकलांगता सलाहकार बोर्ड के विशेषज्ञ सदस्य प्रो. अजय श्रीवास्तव के अलावा उसके संबंधी हेमंत ठाकुर एवं प्रदेश विश्वविद्यालय से बॉटनी में पीएचडी की दिव्यांग छात्रा अंजना ठाकुर भी उपस्थित रही ।

 

दूसरे दिव्यांग बच्चों के लिए एक रोल मॉडल

उनकी इस उपलब्धि के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एसपी बंसल ने प्रतिभा ठाकुर को बधाई दी है। सीएम ने कहा कि प्रतिभा ने खुद को दृष्टिबाधित होने के कारण लाचार नहीं समझा और कड़ी संघर्षों से उच्च शिक्षा प्राप्त कर समाज में अपना स्थान बनाया। अब वह दूसरे दिव्यांग बच्चों के लिए एक रोल मॉडल है।

 

कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. अनुपमा गर्ग ने कॉलेज के सभी शिक्षकों से प्रतिभा ठाकुर का परिचय कराया और कहा कि उससे युवाओं को आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने दिव्यांगों के सशक्तिकरण के लिए उमंग फाउंडेशन के प्रयासों की भी प्रशंसा की।

 

पाँचवीं तक की पढ़ाई घर से ही की

प्रतिभा मंडी जिले के गाँव मटाक, तहसील कोटली की निवासी और पेशे से पत्रकार खेमचंद शास्त्री एवं शिक्षिका सविता कुमारी की बेटी है । उसे स्कूल में जब दाखिला देने से इंकार कर दिया गया तो वह बहुत रोई और पढ़ने की जिद ठान ली। मजबूरी में पांचवी तक उसने घर पर ही पढ़ाई की और छठी कक्षा में एक स्कूल में दाखिला मिल गया। उसने हर परीक्षा उच्च प्रथम श्रेणी में पास करके शिक्षकों का भी दिल जीता। आजकल वह प्रदेश विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में डॉ महेंद्र यादव के निर्देशन में पीएचडी कर रही है।

 

दूसरे दिव्यांग बच्चों की करना चाहती हैं मदद

प्रतिभा ठाकुर ने स्कूल और कॉलेज स्तर पर वाद-विवाद प्रतियोगिताओं और काव्य पाठ में न सिर्फ हिस्सा लिया बल्कि कई पुरस्कार भी जीते। इसके साथ ही वह एक संवेदनशील कवियत्री है और कई बार रक्तदान भी कर चुकी हैं । उसका कहना है कि वह दूसरे दिव्यांग बच्चों की हर प्रकार से मदद करना चाहती हैं ।

 

प्रतिभा ने इनको दिया अपनी सफलता का श्रेय

उन्होंने अपनी  सफलता का श्रेय माता-पिता, शिक्षकों, मित्रों और उमंग फाउंडेशन को दिया। पिछले  सप्ताह एक अन्य दृष्टिबाधित पीएचडी स्कॉलर और भारतीय चुनाव आयोग की ब्रांड एंबेसडर एवं गायिका मुस्कान ने राजकीय कन्या महाविद्यालय में संगीत की असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर ज्वाइन किया है। दिव्यांगों के लिए काम कर रही संस्था उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव ने कहा कि यदि दृष्टिबाधित एवं अन्य दिव्यांग बच्चों को परिवार समाज और सरकार आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करा दे तो यह बच्चे कोई भी ऊंचाई छू सकते हैं।

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