राष्ट्रपति संबोधन : हिमाचल प्रदेश के विकास में हर सत्तासीन सरकार ने किया समग्र विकास, राष्ट्रपति ने स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को सराहा।

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राष्ट्रपति संबोधन : हिमाचल प्रदेश के विकास में हर सत्तासीन सरकार ने किया समग्र विकास, राष्ट्रपति ने स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को सराहा।

 

शिमला : भारत के महामहिम राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद अपने 4 दिवसीय दौरे पर शिमला आए हैं। आज हिमाचल सरकार विधानसभा में विशेष सत्र को संबोधित करते हुए उन्होने ने कहा है कि पूरे हिमाचल का समग्र विकास हो रहा है और यहां सत्तासीन रही हर सरकार ने इस पहाड़ी प्रदेश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। तरक्की की इस रफ्तार के मद्देनजर आने वाले समय में हिमाचल प्रदेश देश का सिरमौर बनेगा। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद आज शिमला में हिमाचल प्रदेश विधानसभा के विशेष सत्र को संबोधित कर रहे थे।

 

 

हिमाचल प्रदेश की स्थापना की स्वर्ण जयंती के अवसर पर विशेष सत्र का आयोजन किया गया है। इस सत्र में वर्तमान और पूर्व विधायकों, सांसदों और पूर्व मुख्यमंत्रियों ने भी हिस्सा लिया। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और प्रणब मुखर्जी के बाद राज्य विधान सभा को संबोधित करने वाले रामनाथ कोविंद तीसरे राष्ट्रपति बन गए हैं।

 

रामनाथ कोविंद ने 18 मिनट के अपने संबोधन में हिमाचल की विकास गाथा का उल्लेख करते हुए प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानियों और शहीद वीर सैनिकों को याद करते हुए उन्हें नमन किया। राष्ट्रपति ने कहा हिमाचल प्रदेश को वर्ष 1971 में पूर्ण राज्यत्व का दर्जा मिला और बीते 50 सालों में इस प्रदेश ने अनेक क्षेत्रों में विकास के नए आयाम स्थापित किए हैं। उन्होंने कहा कि सभी पूर्ववर्ती सरकारों का प्रदेश के विकास में उल्लेखनीय योगदान रहा है।

 

उन्होंने कहा कि प्रदेश को नई दिशा देने में पूर्व मुख्यमंत्रियों डॉक्टर यशवंत सिंह परमार, ठाकुर रामलाल, शांता कुमार, प्रेम कुमार धूमल और वीरभद्र सिंह की अहम भूमिका रही है। वर्तमान सरकार प्रदेश को तरक्की की तरफ ले जा रही है और कई मापदंडों में हिमाचल प्रदेश अग्रणी राज्य बनकर उभरा है। इसके लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की सरकार को वो साधुवाद देते हैं।

 

राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानियों, शहीद वीर सैनिकों, पहाड़ी गांधी से विख्यात कांशी राम, भारत के पहले मतदाता श्याम शरण नेगी का उल्लेख करते हुए इनके कृतित्व एवं योगदान को सराहा। उन्होंने कहा कि ‘पहाड़ी गांधी’ के नाम से विख्यात, कांगड़ा के बाबा कांशीराम जैसे स्वाधीनता सेनानियों ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ शांतिपूर्ण सत्याग्रह किया और अपने जीवन के अनेक वर्ष कारावास में बिताए। संविधान-सम्मत मार्ग पर चलते हुए डॉक्टर यशवंत सिंह परमार, पंडित पदम देव, शिवानंद रमौल तथा अन्य जन-सेवकों ने पहाड़ी क्षेत्रों के एकीकरण और हिमाचल प्रदेश की स्थापना के संघर्ष को आगे बढ़ाया था।

 

हिमाचल के सिरमौर का जिक्र करते हुए कहा कि यह हिमाचल का एक जिला है और मुझे आशा है कि हिमाचल विकास के पैमाने पर एक दिन भारत का सिरमौर बनेगा। उन्होंने विश्वास जताया कि वर्ष 2046 में जब हिमाचल अपनी स्थापना की 75वीं वर्षगांठ मनाएगा, उस वक्त यह प्रदेश देश का सिरमौर होगा।

 

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