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01 /09 /2022
महिला विकास निगम द्वारा महिलाओं को आत्म निर्भर बनाने के लिए चलाई अनेक योजनाएं
बिलासपुर:
हिमाचल प्रदेश महिला विकास निगम द्वारा महिलाओं को स्वाभलम्बी बनाने के लिए अनेक योजनाएं चलाई है । इससे उनके जीवन स्तर में सुधार आया है । यह जानकारी निगम के फील्ड एसिस्टेंट पवन कुमार ने बिलसपुर जिले के सदर विकास खण्ड की मार्कण्ड-मकड़ी पंचायत में निगम के सौजन्य से आयोजित एक दिवसीय जागरूकता शिविर में दी । शिविर में पंचायत प्रधान व उपप्रधान भी उपस्थित थे ।
30 हजार रुपए तक का ऋण 4 प्रतिशत ब्याज पर उपलब्ध
उन्होंने बताया कि महिला उद्यमियों, महिलाएं सहकारी समितियां व अन्य महिला संगठनों को स्वराज स्थापित करने हेतु आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाना है । फील्ड एसिस्टेन्ट ने बताया कि निगम ऐसे व्यवसायों एवं उद्योगों की सम्भवनाओं का पता लगाना, जिन्हें महिलाएं आसानी से चला सकें । इसके साथ ही महिलाओं की व्यवसायिक कार्यकुशलता बढ़ाने हेतु प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध करवाई जाती है । पवन कुमार ने बताया कि निगम महिलाओं को 30 हजार रुपए तक का ऋण 4 प्रतिशत ब्याज पर उपलब्ध करवाता है ।
एक लाख रुपए तक के ऋण पर 5 प्रतिशत ब्याज पर ऋण
एक लाख रुपए तक के ऋण पर 5 प्रतिशत ब्याज पर ऋण दिया जाता है उन्होंने कहा कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें छोटे व लघु उद्योग लगाने चाहिए । जिनमें आचार मुरब्बा बनाना, व्यूटी पार्लर, मधुमखी पालन, डेयरी फार्म आदि स्थापित करने के लिए शामिल है । उन्होंने महिलाओं से कहा कि उन्हें निगम द्वारा दी जाने वाली योजनाओं का लाभ लेना चाहिए
स्वरोजगार योजना :
स्वरोजगार योजना (प्रथम):
गरीबी रेखा से नीचे रह रहे अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के परिवारों को 50,000/- रूपए तक की योजनाओं के लिए बैंकों के माध्यम से ऋण उपलब्ध करवाया जाता है। परियोजना लागत का 25 प्रतिशत भाग सीमान्त धन ऋण/डिपॉजिट के रूप में तथा 50 प्रतिशत अधिकतम 10,000/- रूपए पुंजी अनुदान के रूप में उपलब्ध करवाता है और शेष राशि बैंकों द्वारा ऋणके रूप में उपलब्ध करवाई जाती है। वर्तमान वार्षिक आय सीमा 35,000/- रूपए से कम होनी चाहिए। पूंजी अनुदान के अतिरिक्त निगम ऐसे लाभार्थियों को ब्याज अनुदान प्रदान करता है ताकि उन्हें बैंक ऋण पर 4 प्रतिशत से अधिक दर से ब्याज न देना पड़े। यह सुविधा केवल ऋण की वसूली में चूक न करने वाले लाभार्थियों को ही प्राप्त होती है।
स्वरोजगार योजना (द्वितीय):
यह सुविधा हिमाचल प्रदेश के उन्हीं अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों को उपलब्ध करवाई जाती है जो गरीबी की रेखा से दुगनी आय सीमा से नीचे रह रहे हो। इस योजना के अन्तर्गत ब्याज अनुदान सुविधा प्रदान की जाती है ताकि लाभार्थी को सीमान्त धन ऋण तथा बैंक ऋण पर 6 प्रतिशत से अधिक ब्याज न देना पड़े। इस योजना के अधीन पूंजी अनुदान सुविधा नहीं दी जाती है। व्याज अनुदान की सुविधा केवल उन्हीं लाभार्थियों को प्राप्त होती है जो ऋण की अदायगी में चूक नहीं करते हैं।
हस्त शिल्प विकास योजना
इस परियोजना के अधीन पारम्पारिक व्यवसायों को बढ़ावा देने के लिए ऋण की सुविधा उपलब्ध है। इस ऋण सुविधा को परम्परागत व्यवसायों में लगे कारीगर जिनकी वार्षिक आय गरीबी की रेखा के लिए निर्धारित आय से कम हो अपनी एक संस्था बनाकर प्राप्त कर सकते हैं। निगम हस्तशिल्प में लगे हुए कारीगरों को 15,000/-रूपए प्रति कारीगर की दर से बिना किसी व्याज की दर से 2 वर्ष की अवधि के लिए संस्था को ऋण उपलब्ध करवाता है। संस्था अपने कारीगर सदस्य से अधिकतम 2 प्रतिशत की दर से दिए गए ऋण पर ब्याज ले सकती है जो संस्था के प्रशासनिक भार को पूरा करने के लिए रखा जाएगा। इस योजना के अन्तर्गत निगम व्यक्तिगत तौर पर भी प्रति कारीगर 15,000/- रूपए का ऋण 2 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर पर 2 वर्ष के लिए उपलब्ध करवाता है।
शिक्षा ऋण योजना
निगम अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के युवाओं के अतरिक्त सभी सामान्य वर्ग की लडकियों को मैट्रिक के बाद तकनीकी विषयों और व्यवसायों में पढ़ाई करने हेतु अधिकतम 75000 रूपये तक का ऋण ब्याज मुक्त व 75000 से ऊपर 1,50000 रूपये तक 4 प्रतिशत वार्षिक दर पर उपलब्ध करवाता है जिसकी अधिकतम सीमा 5 वर्ष निर्धारित की गई है। शिक्षा ऋण योजना के अंतर्गत आवेदक के माता पिता व अभिभावक भी सहऋणी होते है।
यह ऋण केवल उन्ही परिवारों के छात्र /छात्राओं को प्रदान किये जाते है जिनकी पारिवारिक वार्षिक आय एक लाख रू से अधिक न हो। इस योजना में डिप्लोमा तथा डिग्री कोर्सिज जैसे जे0बी0टी0, एम0बी0बी0एस0, इंजिनियरिंग, एक वर्षीय होटल मेनेजमेंट, एम0 बी0ए0, जी०ए०एम०एस०, एम० एस०, नर्सिग आदि के लिए ऋण देने की सुविधा है। ऋण की वसूली कोर्स पूर्ण होने के दो वर्ष बाद अथवा नौकरी मिलने पर जो पहले हो, शुरू हो जाती है।
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