सहकारिता के क्षेत्र मे प्रदेश के पहले सहकारी संगठन ” “हिमाचल सहकारिता उत्थान संगठन” का प्रथम राज्य स्तरीय सम्मेलन आज ‘होटल रिवर बैंक’ मंडी मे सम्पन्न हुआ। इस सम्मेलन प्रदेश कार्यसमिति के पदाधिकारियों, प्रदेश के सभी जिला इकाइयों के अध्यक्षों सहित लगभग 120 डेलीगेट ने भाग लिया।
सहकारिता के क्षेत्र मे हो रहे इस तरह के प्रथम प्रयास मे उपस्थित सदस्यों मे भारी उत्साह देखने को मिला। इस सम्मेलन मे आये डेलीगेट्स ने प्रदेश मे सहकारिता के स्वरूप, सहकारिता के समक्ष आ रही कठिनाईयों और भविष्य की चुनोतियों पर गहन चिंतन किया और सरकारों एवम अधिकारियों द्वारा इस क्षेत्र मे बन रही नीतियों को गंभीरता से लागू नही किये जाने पर भी चिंता व्यक्त की।
” हिमाचल सहकारिता उत्थान संघ” के प्रदेश अध्यक्ष शेर सिंह ने अपने अध्यक्षीय सम्बोधन मे उपस्थित डेलिगेटस को सम्बोधित करते हैं कहा कि यह सर्वविदित है कि देश और प्रदेश का विकास सहकारिता मे ही सम्भव है। देश के कुछ राज्यों मे सहकारिता की दृष्टि से बहुत अच्छा कार्य हुआ है। हिमाचल प्रदेश मे 12 लाख लोग सहकारी सभाओं से जुड़े हुए हैं। बावजूद इसके हिमाचल प्रदेश मे विभिन्न सरकारों ने सहकारिता के क्षेत्र को उपेक्षित किया है। सरकार इस क्षेत्र के लिए नीतियाँ अवश्य बनाती है परन्तु अधिकारी जान बूझ कर उन नीतियों को जनता तक पहुंचाने मे रोड़ा अटकाते हैं।
प्रदेश मे सहकारिता क्षेत्र से लंबे समय तक जुड़े लोगों ने समय समय पर इस तरह की गलत नीतियों के खिलाफ आवाज उठाई परंतु संगठित न होने की वजह से हमेशा इस तरह की आवाजों को दबा दिया जाता रहा है। हिमाचल सहकारिता उत्थान संघ के निर्माण से, सहकारिता के क्षेत्र से जुड़े लोग अब एक मंच पर एकत्रित है जिस से भविष्य मे सहकार की आवाज को दबाना सरकार के लिए नामुमकिन हो जायेगा।
प्रदेश अध्यक्ष शेर सिंह ने कहा कि सहकारिता के क्षेत्र मे बहुत सी कमियाँ है परंतु प्रथम चरण मे निम्न मांगों को प्रमुखता से उठाया जायेगा।
* प्रदेश सरकार ने पूर्व मे सहकारी सभाओं से खिलवाड करते हुए विभिन्न कॉर्पोरेशन खड़े किये और सहकारी सभाएं धीरे धीरे घाटे मे जाती गयी। प्रदेश पर आर्थिक बोझ अतिरिक्त पड़ा। इसलिए इन तमाम कॉर्पोरेशन को तुरंत बंद किया जाए।
* सहकारी सभाओं के सेल्जमैन को मात्र 3000 रुपये मिलते हैं जबकि जिन डीपुओं को सिविल सप्लाई कॉर्पोरेशन चला रहा है उसके सेल्जमैंन को प्रतिमाह 30,000 रुपये मिलते हैं। यह आर्थिक शोषण पूरी तरह से बंद होना चाहिए।
*. सहकारी सभाओं ने न्युनतम वेतन की पॉलिसी प्रदेश सरकार लागू करे।
*. सहकारी सभाओं मे प्रशिक्षण की व्यवस्था शुरू की जाए और प्रधान, सचिव सहित अन्य सदस्यों की एक्सपोजर टूर की व्यवस्था हो जिससे उनके कार्यों मे दक्षता आये।
*. सरकार सहकारी सभाओं मे अपने चहेतों को भर्ती के लिए मनोनयन को तुरंत बंद करे और चयन केवल एक्ट और रूल्स के तहत ही हो।
*. सहकारी सभाओं के ऑडिट मे लाने वाले 18% जीएसटी को माफ किया जाए।
* किसी भी विवाद के निपटारे के लिए प्राधिकरण का गठन किया जाए और विवाद के निपटारे के लिए समय सीमा निर्धारित की जाए।
*. आर्थिक उत्थान मे महत्वपूर्ण योगदान देने वाली सहकारी संस्थाओं पर बही बैंकों से 11% ब्याज पर ऋण, टीडीएस व परिवार के हर सदस्य का के वाई सी जैसे कदम शकृ संस्थाओं को रोकने का कार्य कर रहे हैं। इसे साथ पंजीयक् का कार्य केवल सहकारी संस्थाओं को रोकने का कार्य रह गया है। संघ इस तरह के अन्यायपूर्ण नियमों का कड़ा विरोध करेगा और इनके खात्मे के लिए कार्य करेगा।
सम्मेलन मे तय किया गया किया गया कि आगामी सप्ताह मे इन मांगों को प्रदेश सरकार के समक्ष उठाया जायेगा। और आने वाले समय मे सहकारिता से जुड़े लोगों का मध्य हिमाचल मे एक खुला सम्मेलन जिसमे 5,000 लोग उपस्थित रहेंगे आयोजित किया जायेगा।
इस सम्मेलन मे , उपाध्यक्ष कश्मीर सिंह राजपूत, कुलदीप ठाकुर, महासचिव बलवंत ठाकुर नंदलाल ठाकुर, संजय शर्मा सचिव एम आर पूडीर,नरेश, नारायण सिंह गुलेरिया, नरेश चौहान सहित प्रदेश के प्रमुख लोग जो सहकारिता से जुड़े हैं उपस्थित रहे।