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5 सितंबर 2023
बिलासपुर : विद्यार्थी जीवन में शिक्षक का बहुत अधिक महत्त्व है । अज्ञान से ज्ञान की ओर ले जाने वाले गुरु को भगवान का दर्जा दिया जाता है । एक शिक्षक ही है, जो मनुष्य को सफलता की बुलंदियों तक पहुंचाता है और जीवन में सही और गलत को परखने लायक बनाता है। जिस प्रकार एक कुम्हार मिट्टी को बर्तन का आकार देता है, ठीक उसी प्रकार शिक्षक छात्र के जीवन को मूल्यवान बनाता है। प्रत्येक वर्ष डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के उपलक्ष्य पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है ।
भारत रत्न से भी किए जा चुके हैं सम्मानित
इस दिन स्वतंत्र भारत के पहले उपराष्ट्रपति व दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सरवपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर, 1888 को तमिलनाडु के तिरुतानी गावं में हुआ था। उन्होंने 1952 से 1962 तक भारत के राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया। वह 1931 से 1936 तक आंध्र विश्वविद्यालय के कुलपति और 1939 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में भी काम किया। डॉ. राधाकृष्णन 1954 में भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से भी नवाजे गए हैं । सर्वपल्ली राधाकृष्णन बचपन से ही एक मेधावी छात्र थे और छात्रवृत्ति के माध्यम से ही उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की। महज 18 साल की उम्र में उन्होंने एथिक्स ऑफ वेदांत पर अपनी एक किताब लिखी और 20 साल की उम्र में वह मद्रास प्रेजिडेंसी कालेज में फिलोसोफी विभाग में प्रोफेसर बन गए। उन्होंने दर्शन शास्त्र में न केवल डिग्री ली, बल्कि लेक्चरर भी बने।
इसलिए मनाया जाता है शिक्षक दिवस
दरअसल उनके जन्मदिन को कुछ छात्र बड़े धूमधाम से मानना चाहते थे, लेकिन जब ये बात डा. राधाकृष्णन को पता चली तो उन्होंने अपने जन्मदिन को मानाने की जगह इसे शिक्षक दिवस के रूप में मानाने की बात कही। यही कारण है कि साल 1962 से प्रत्येक वर्ष पूरे भारत में 5 सितंबर को सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस को शिक्षक दिवस के रुप में मनाया जाने लगा । हर व्यक्ति के जीवन में शिक्षक एक अहम् भूमिका निभाते हैं ये विद्यार्थियों को एक सही दिशा देते हैं माता पिता के बाद शिक्षक ही हैं, जो हमें दुनिया को परखना सिखाते हैं शिक्षकों की दी हुई सीख आजीवन काम आती है।