लॉ फील्ड में बना सकते हैं बेहतर करियर,जाने क्या-क्या हैं नए ऑप्शन

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16/04/2022

वकालत में अच्छे करियर ग्रोथ के साथ-साथ बेहतर कमाई

न्यायिक सेवाओं में प्रवेश के लिए कर  सकते हैं अप्लाई

ज्यूडिशल क्लर्क में बेहतर स्कोप

वकालत में करियर:-

वकालत में करियर आज के समय में सुनने में थोड़ा पुराना करियर ऑप्शन जरूर लग सकता है कि, लेकिन बदलते वक्त के साथ इस फील्ड ने बहुत तेजी आई है। बदलते वक्त के साथ अब इस फील्ड में केवल कुछ सीमित विकल्प ही नहीं रह गए हैं। अब लॉ में डिग्री लेने के बाद केवल आप वकील ही नहीं बन सकते हैं, बल्कि आपके सामने इस क्षेत्र में अन्य बहुत सी संभावनाएं खुली हैं। नए जमाने के साथ यहां कई ऐसे विकल्प सामने आए हैं, जिनमें अच्छे करियर ग्रोथ के साथ-साथ बेहतर कमाई भी है। जाने कौन-कौन से ऑप्शन हैं……………….

1. न्यायिक सेवाओं में प्रवेश के लिए करे अप्लाई

लॉ फील्ड में करियर बनाने की सोच रहे उम्मीदवार न्यायिक सेवाओं में प्रवेश के लिए भी आवेदन कर सकते हैं। यह परीक्षा राज्यवार आयोजित की जाती है। संघ लोक सेवा आयोग, भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय विदेश सेवा (IFS), भारतीय पुलिस सेवा, आदि में विभिन्न सिविल सेवा पदों पर भर्ती के लिए एक राष्ट्रीय स्तर पर परीक्षा आयोजित करता है। यह सुरक्षित विकल्प हैं होने के साथ-साथ सरकारी नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए बेहतर विकल्प हैं। ऐसे में वे अभ्यर्थी, जो न्यायाधीश बनना चाहते हैं, वे इन परीक्षाओं में शामिल हो सकते हैं। उच्च न्यायालय में बतौर वकील 7 से 10 साल के अनुभव के बाद आप जज के पोस्ट के लिए आवेदन कर सकते हैं। न्यायाधीशों और सरकारी अधिकारियों के वेतन को सरकार द्वारा अधिसूचित समय-समय पर संशोधित किया जाता है।

2. ज्यूडिशल क्लर्क एक बेहतर स्कोप

लॉ फील्ड में ज्यूडिशल क्लर्क भी एक बेहतर स्कोप है। इस पद पर आवेदन करने वाले उम्मीदवारों को अनुबंध के आधार पर ज्यूडिशल क्लर्कशिप का चयन करके विभिन्न न्यायालयों में न्यायाधीशों के अधीन काम करके अनुभव प्राप्त कर सकते हैं सुप्रीम कोर्ट की न्यायिक क्लर्कशिप प्रति माह 40 से 50 हजार रुपये के बीच भुगतान करते हैं।

3. लीगज एडजवाइर भी है बेहतर ऑप्शन 

लीगल एडवाइजर के पद पर आवेदन करने वाले उम्मीदवारों के लिए एक बेहतर विकल्प है। इस पोस्ट पर कार्य करने आवेदकों को लीगल किसी भी बड़ी कंपनी या संगठन के साथ जुड़कर उनके कानूनी कामकाज देखते हैं। इसके तहत, उम्मीदवारों को कॉर्पोरेट कानूनों का पालन करवाना। इसके साथ ही कर्मचारियों के साथ ही मैनेजमेंट से जुड़े विवादों में सलाह देना होता है। उम्मीदवारों के पास बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा जारी ‘सर्टिफिकेट ऑफ प्रैक्टिस’ अनिवार्य होता है।

 

 

 

 

 

 

 

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