हिमाचल विश्वविद्यालयों, तकनीकी शिक्षा विभाग और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय आकदमी के बीच ड्रोन प्रशिक्षण के लिए समझौता ज्ञापन

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11/06/2022

कौशल विकास पाठ्यक्रम के तहत ड्रोन प्रशिक्षण के लिए समझौता ज्ञापन पर किए हस्ताक्षर

प्रारंभ में सौ छात्रों को ड्रोन उड़ाने का दिया जाएगा नि:शुल्क प्रशिक्षण

शिमला:-

हिमाचल प्रदेश के छह विश्वविद्यालयों, 50 महाविद्यालयों और तकनीकी शिक्षा विभाग ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी के साथ कौशल विकास पाठ्यक्रम के तहत ड्रोन संबंधी प्रशिक्षण के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। यह एमओयू हिमाचल सरकार के प्रधान सचिव शिक्षा डा. रजनीश की उपस्थिति में हुआ। इसके तहत छात्रों को ड्रोन के क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे।

वहीं, ड्रोन फ्लाइंग प्रशिक्षण से संबंधित कौशल विकास पाठ्यक्रम शुरू होगा। प्रारंभ में ड्रोन उड़ाने का सौ छात्रों को नि:शुल्क प्रशिक्षण दिया जाएगा। वहीं कौशल विकास के तहत भी नि:शुल्क प्रशिक्षण मिलेगा। इसके अलावा पांच दिन का प्रशिक्षण लेने वालों को 55 हजार रुपये फीस देनी होगी।

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रोजगार के अवसर होंगे उपलब्ध 

यह ड्रोन संबंधित विभिन्न पाठ्यक्रमों के माध्यम से लाइसेंस प्राप्त, श्रम शक्ति और कौशल विकास के सृजन में सहयोग करेगा। इसे केंद्र सरकार की ओर से राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 और राष्ट्रीय कौशल योग्यता ढांचे के तहत अंतिम रूप दिया जा रहा है। एनएसक्यूएफ के साथ ड्रोन से संबंधित पाठ्यक्रमों को जोडऩे से ड्रोन के क्षेत्र में रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। बाद में ड्रोन की मरम्मत से लेकर कई अन्य पाठयक्रमों को शामिल करने की योजना है। छात्रों को दो किलो से 25 किलो भार तक के ड्रोन को उड़ाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा।

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ड्रोन का प्रयोग करने के लिए लाइसेंस लेना जरूरी

व्यावसायिक तौर पर ड्रोन का प्रयोग करने के लिए लाइसेंस लेना जरूरी है। हालांकि, निजी प्रयोग के लिए नैनो यानी 250 ग्राम वजन से लेकर दो किलोग्राम भार से कम तक के ड्रोन के लिए लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होती। दो किलो से से 150 किलो से ज्यादा भार वाले ड्रोन को उड़ाने के लिए नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) से लाइसेंस लेना अनिवार्य है। पांच दिन का फ्लाइंग कोर्स करने के बाद उस प्रमाणपत्र के आधार पर डीजीसीए के समक्ष परीक्षा देकर लाइसेंस लिया जा सकेगा।

 

 

 

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