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बिलासपुर, 9 अगस्त, 2023: आज 9 अगस्त है बिलासपुर वासियों के लिए कभी ना भूलने वाला दिन। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिला के जो उस समय कहलूर रियासत थी के राजा दीप चंद द्वारा बसाया गया पुराना बिलासपुर भाखड़ा बांध बनने के कारण बनी गोविंद सागर झील में आज के दिन जलमग्न हो गया था।
भाखड़ा बांध के निर्माण के बाद 10 दिसंबर 1961 को देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित ज्वाहर लाल नेहरू ने इसका उदघाटन करते हुए कहा कि भाखड़ा बांध आधुनिक भारत के सुखों का मंदिर है इसके बनने से देश को विकास की नई दिशा मिलेगी। लेकिन आधुनिकता के इस विकास में बिलासपुर के विस्थापित हुए लोगों का दर्द आज भी उभर कर सामने आ जाता है जिनको अपनी जमीन, घर व रिश्तेदारों को छोड कर देश के दूसरे हिस्सों में बसना पड़ा था ।
गोविंद सागर झील के बन जाने के बाद जो लोग रह गए उनको कई मुसीबतों का सामना करना पड़ा। बिलासपुर के पूर्व विधायक व एडवोकेट स्वर्गीय दीनानाथ पंडित के द्वारा लिखी एक नजम नौ अगस्त की शाम लोगों का दर्द बयान करती है ।
बिलासपुर का यह शहर व राजाओं का बिलासपुर धौलरा मंदिर से नीचे सांडू के मैदान में बसाया गया था। भाखड़ा बांध बनने से आधुनिकता का विकास तो हुआ, मछुआरों को रोजगार मिला, बिजली बनी जो देश के कई हिस्सों में पहुंचाई गई। इसके निर्माण से बनी इंदिरा नहर का पानी पंजाब, हरियाणा, राजस्थान तक पहुंचा जिसके कारण भारत का आधुनिकता का मंदिर कहे जाने वाले भाखड़ा बांध से भरपूर विकास हुआ। लेकिन बिलासपुर की सारी संस्कृति पानी में डूब गई जिसमें पुराना शहर कचैहरी 99 किस्म के मंदिर राजाओं के महल घराट बाग बगीचे व पुराने स्कूल, कालेज बिलासपुर के राजाओं का रंगमहल व लोगों के सपने सब पानी में डूब गए थे।
भाखड़ा बांध बनने से बनी गोविंद सागर झील से पानी ही पानी हो गया। दूर पार बसे गांवों की मुसीबते और बढ़ गई। ना कोई पुल और ना दरिया के पार अपनी जमीन तक जाने का कोई साधन।
कैहलूर की इस रियासत के डूबने की दुःख भरी दास्तां सुननी हो तो उस दौर के किसी बुजुर्ग से ज़रूर मिलिए अपनी माटी घर संस्कृति के खोने का दर्द क्या होता है आपको उनसे बेहतर कोई नहीं बता सकता।