तीन माह के बाद श्रद्धालुओं के लिए खुले माता शिकारी मंदिर के कपाट

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The news warrior

21 मार्च 2023

मंडी : देवभूमि के नाम से जाने वाला  हिमाचल प्रदेश आस्था का केंद्र होने के साथ साथ अपने अंदर कई रहस्य छिपाए हुए है । हिमाचल में ऐसे सैंकड़ों मंदिर हैं जिनके पीछे कई रहस्यमयी तथ्य छिपे हुए हैं । ऐसा ही एक मंदिर हिमाचल की छोटी काशी के नाम से प्रसिद्ध मंडी की जैजहली घाटी में है । प्राकृतिक सुंदरता से सरोबोर माता  शिकारी देवी का यह मंदिर समुद्र तल से 11 हजार फुट की ऊंचाई पर है । माता शिकारी मंदिर के कपाट तीन महीने के बाद सोमवार को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए हैं । 

 

बर्फबारी के चलते सर्दियों में बंद रहता मंदिर

स्थानीय प्रशासन ने नवंबर माह में बर्फबारी के चलते शिकारी माता मंदिर के कपाट बंद कर दिए थे, लेकिन स्थानीय थुनाग प्रशासन ने चैत्र नवरात्र शुरू होने से पहले माता शिकारी के कपाट आम जनमानस के लिए खोल दिए हैं। हर वर्ष बर्फबारी के चलते मंदिर 3-4 महीने बंद रहता है । जब तक बर्फ पूरी तरह पिघल नहीं जाती, तब तक रायगढ़ गांव से शिकारी माता मंदिर तक का सफर बहुत अच्छा और मनमोहक रहेगा। श्रद्धालु माता के दर्शन करने जा सकते हैं।

 

माता के मंदिर में छिपे कई रहस्य

माता  के इस मंदिर एक बात हमेशा रहस्य ही बनी हुई है कि इस मंदिर की छत आज तक क्यूँ नहीं बन पाई ।  जितनी बार भी छत  बनवाने की कोशिश की गई वह नाकामयाब रही और मंदिर के ऊपर छत नहीं टिक पाई । माता आज भी खुले आसमान के नीचे विराजमान है ।  इस मंदिर में एक रहस्यमयी बात यह भी  है कि सर्दियों में जब यहाँ बर्फ गिरती है तो मंदिर में सब जगह बर्फ होती है लेकिन जो बर्फ माता की मूर्ति पर गिरती है वो एक दम पिघल जाती है और मूर्ति के चारों ओर जमा हो जाती है । इसके पीछे बहुत बड़ा रहस्य छिपा हुआ है ।

 

माता के मंदिर के पीछे का इतिहास

मंदिर के इतिहास के बारे में यह भी कहा जाता है कि  महर्षि मार्कण्डेय  ने यहाँ  कई सालों तक  कठिन तपस्या जिनकी तपस्या से खुश होकर माँ दुर्गा जी अपनी शक्ति रूप में यह प्रकट हुई और यहाँ विराजमान हो गई ।

इसी स्थान पर अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने भी तपस्या की। पांडवों की तपस्या से खुश होकर मां दुर्गा प्रकट हुईं और पांडवों को युद्ध में जीत का आशीर्वाद दिया। उसी समय पांडवों ने मंदिर का निर्माण करवाया, लेकिन किसी कारण इस मंदिर का निर्माण पूरा नहीं हो सका और पांडव यहां पर मां की पत्थर की मूर्ति स्थापित करने के बाद चले गए।

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